जीवों की मौलिक इकाई
जीवों की मौलिक इकाई :- कोशिका सजीवों की एक मूलभूत संरचनात्मक इकाई है। यह जीवन की एक मूलभूत क्रियात्मक इकाई भी है।
कोशिका का सबसे पहले पता रॉबर्ट हुक ने 1665 में लगाया था उसने कोशिका को कर्क की पतली कट में अनगढ़ सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा।
ल्यूवेनहक ( 1674 ) ने सबसे पहले उन्नत सूक्ष्मदर्शी से तालाब में स्वतंत्र रूप से जीवित कोशिकाओं का पता लगाया।
रॉबर्ट ब्राउन ने 1831 में कोशिका में केंद्रक का पता लगाया।
जे. ई. पुरोकंज ने 1839 में कोशिका में स्थित तरल जैविक पदार्थ को जीवद्रव्य का नाम दिया। जीवों की मौलिक इकाई
दो जीव वैज्ञानिक एम स्लीडन (1838 ) तथा टी स्वान ( 1839 ) ने कोशिका सिद्धांत के विषय में बताया। इस सिद्धांत के अनुसार सभी पौधों तथा जंतु कोशिकाओं से बने हैं और वे जीवन की मूलभूत इकाई है।
विरचो ( 1855 ) ने कोशिका सिद्धांत को और आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि सभी कोशिकाएं पूर्ववर्ती कोशिकाओं से बनती है।
1940 में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद कोशिका की जटिल संरचना तथा बहुत से अंगकों को समझना संभव हो सका।
एक कोशिका स्वयं में ही एक संपूर्ण जीव जैसे अमीबा , क्लैमिडोमोनास , पैरामीशियम तथा बैक्टीरिया हो सकती है। इन सजीवों को एक कोशिका जीव कहते हैं। जीवों की मौलिक इकाई
बहुकोशिक जीवों में अनेक कोशिकाएं समाहित होकर विभिन्न कार्यों को संपन्न करने हेतु विभिन्न अंगों का निर्माण करती है। इसके कुछ उदाहरण है फंजाई , पादप तथा जंतु।
प्रत्येक बहुकोशिका जीव एक कोशिका से ही विकसित हुआ है।
कोशिकाओं की आकृति तथा आकर उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं।
कुछ कोशिकाएं अपना आकर बदलती रहती है जैसे एककोशिका अमीबा। जीवों की मौलिक इकाई
कुछ जीवो में कोशिकाओं का आकार लगभग स्थिर रहता है और प्रत्येक प्रकार की कोशिका के लिए विशिष्ट होता है ; उदाहरण के लिए तंत्रिका कोशिका।
प्रत्येक जीवित कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है , जो सभी सजीवों का गुण है।
बहुकोशिक जीवों में श्रम विभाजन होता है जैसे कि मनुष्यों में। एककोशिका में भी श्रम विभाजन होता है।
प्रत्येक कोशिका में कुछ विशेष घटक होते हैं जिन्हे कोशिकांग कहते हैं। जीवों की मौलिक इकाई
सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के कोशिकांग होते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके कार्य क्या है अथवा वे किस जीव में पाई जाती हैं।
यदि हम कोशिका का अध्ययन सूक्ष्मदर्शी से करें तो हमें लगभग प्रत्येक कोशिकाओं में तीन गुण दिखाई देंगे ; प्लैज़्मा झिल्ली , केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य।
कोशिका के अंदर होने वाले समस्त क्रियाकलाप तथा उसकी बाह्य पर्यावरण से पारस्परिक क्रियाएं इन्हीं गुणों के कारण संभव है। जीवों की मौलिक इकाई
प्लैज्मा झिल्ली अथवा कोशिका झिल्ली
यह कोशिका की सबसे बाहरी परत होती है। यह झिल्ली लिपिड तथा प्रोटीन की बनी होती है।
यह कोशिका को निश्चित आकर तथा कोशिकांगों को सुरक्षा प्रदान करती है।
कोशिका झिल्ली कोशिका का सक्रिय भाग है। यह पदार्थों की गति को कोशिका के भीतर तथा बाहरी वातावरण से नियमित करती है।
कोशिका झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली भी कहते है। जीवों की मौलिक इकाई
कुछ पदार्थ जैसे कार्बन डाइऑक्साइड अथवा ऑक्सीजन कोशिका झिल्ली के आर – पार विसरण प्रक्रिया द्वारा आ – जा सकते है।
कोशिका तथा बाह्य पर्यावरण में गैसों के आदान – प्रदान में विसरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
जल के अणुओं की गति जब वर्णनात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो तो उसे प्रसारण कहते हैं।
एककोशिका अलवणीय जलीय जीवों तथा अधिकांश पादप कोशिकाएँ प्रसरण द्वारा जल ग्रहण करते हैं। पौधों के मूल द्वारा जल का अवशोषण परासरण का एक उदाहरण है।
कोशिका के जीवन में विसरण जल तथा गैसों के आदान – प्रदान की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जीवों की मौलिक इकाई
इसके अतिरिक्त विसरण , कोशिका को अपने बाहरी पर्यावरण से पोषण ग्रहण करने में सहायता करता है।
कोशिका से विभिन्न अणुओं का अंदर आना तथा बाहर निकलना भी विसरण द्वारा ही होता है। इस प्रकार के परिवहन में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है और कार्बनिक अणुओं जैसे लिपिड तथा प्रोटीन की बनी होती है।
कोशिका झिल्ली का लचीलापन एककोशिका जीवो में कोशिका के बाह्य पर्यावरण में अपना भोजन तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने में सहायता करता है।
ऐसी प्रक्रिया को एण्डोसाइटोसिस कहते हैं। अमीबा अपना भोजन इसी प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करता है जीवों की मौलिक इकाई
कोशिका भित्ति
पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के चारों ओर एक कोशिका भित्ति होती है। कोशिका भित्ति सेल्यूलोज से बनी होती है।
सेल्यूलोज एक बहुत जटिल पदार्थ है और यह पौधों को संरचनात्मक दृढ़ता प्रदान करता है।
जब किसी पादप कोशिका में परासरण द्वारा पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं इस घटना को जीवद्रव्य कुंचन कहते हैं।
केवल जीवित कोशिकाओं में ही प्रसारण द्वारा जल अवशोषण की क्षमता होती है ना कि मृत कोशिकाओं में।
पादप की कोशिकाओं में स्थित कोशिका भित्ति पौधों , कवक तथा बैक्टीरिया की कोशिकाओं को अल्पपरासरण दाबी विलयन में बिना फटे बनाए रखती है। जीवों की मौलिक इकाई
केन्द्रक
यह कोशिका का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग है। सन 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने इसकी खोज की थी।
प्राय: एक कोशिका में एक ही केंद्र पाया जाता है।
कोशिका को आयोडीन, सैफ्रानिन तथा मेथलीन ब्लू से अभीरंजीत करके सूक्ष्म सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर केंद्रक स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
यह कोशिका की सभी जैविक क्रियाविधियों पर नियंत्रण रखता है, इसलिए इसे कोशिका का नियंत्रण कक्ष भी कहते हैं।
केंद्रक में क्रोमोसोम होते हैं जो कोशिका विभाजन के समय छड़ाकार दिखाई पड़ते हैं। जीवों की मौलिक इकाई
क्रोमोसोम में अनुवांशिक गुण होते हैं जो माता – पिता से DNA अणु के रूप में अगली संतति में जाते हैं।
क्रोमोसोम DNA तथा प्रोटीन के बने होते है। DNA अणु में कोशिका के निर्माण व संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती है।
DNA के क्रियात्मक खंड को जीन कहते हैं। जो कोशिका विभाजित नहीं हो रही होती है उसने यह DNA क्रोमैटिन पदार्थ के रूप में विद्यमान रहता है।
क्रोमैटिन पदार्थ धागे की तरह की संरचनााओं के एक जाल का पिंड होता है। जब कभी भी कोशिका विभाजित होने वाली होती है, तब यह क्रोमोसोम में संगठित हो जाता है।
बैक्टीरिया जैसे कुछ जीवों में कोशिका का केंद्रकीय क्षेत्र बहुत कम स्पष्ट होता है क्योंकि इसमें केंद्रक झिल्ली नहीं होती है। जीवों की मौलिक इकाई
ऐसे अस्पष्ट केंद्रक क्षेत्र में केवल क्रोमैटिन पदार्थ होते हैं। ऐसे क्षेत्र को केंद्रकाय कहते हैं।
ऐसे जीव जिसकी कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती उन्हें प्रोकैरियोट कहते है।
जिन जीवों की कोशिकाओं में केंद्रक झिल्ली होती है उन्हें यूकैरियोट कहते हैं।
यूकैरियोट में केंद्रक दोहरी झिल्ली द्वारा कोशिकाद्रव्य से अलग होता है। यह कोशिका की जीवन प्रक्रियाओं को निर्देशित करता है। जीवों की मौलिक इकाई
प्रोकैरियोटी कोशिकााओं में और भी अन्य अधिकांश द्रव्य अंगक नहीं होते हैं जो कि यूकैरियोटी कोशिका में होते हैं।
ऐसे अंगकों के अनेक कार्य भी कोशिका द्रव के असंगठित भागों द्वारा ही किए जाते हैं।
प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोई भी झिल्ली युक्त अंगक नहीं होता। उनके क्रोमोसोम के स्थान पर न्यूक्लिक अम्ल होता है और उनमें केवल छोटे राइबोसोम अंगक के रूप में होते हैं।
प्रकाश संश्लेषी बैक्टीरिया में क्लोरोफिल झिल्लीदार पुटिका ( थैले की तरह की संरचना ) के साथ होता है जबकि यूकैरियोटी कोशिकाओं में क्लोरोफिल प्लैस्टिड में होता है। जीवों की मौलिक इकाई
कोशिका अंगक
बड़ी तथा जटिल कोशिकाओं जिसमें बहुकोशिक जीवों की कोशिकाएं भी शामिल है, को भी उपापचयी क्रियाओं की बहुत आवश्यकता होती है जिससे कि वे जटिल संरचना तथा कार्य को सहारा दे सके।
इन विभिन्न प्रकार की उपापचयी क्रियाओं को अलग-अलग रखने के लिए, ये कोशिकाएं झिल्लीयुक्त छोटी – छोटी संरचना ( अंगक ) का प्रयोग करती है।
कोशिका द्रव्य में उपस्थित झिल्लीयुक्त संरचनाएँ कोशिकांग कहलाती है।
अंतर्द्रव्यी जालिका , गॉल्जी उपकरण , लाइसोसोम , माइटोकांड्रिया , प्लैस्टिड तथा राजधानी ; कोशिका अंगको के महत्वपूर्ण उदाहरण है। जीवों की मौलिक इकाई
अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER )
अंतर्द्रव्यी जालिका झिल्ली युक्त नलिकााओं तथा शीट का एक बहुत बड़ा तंत्र है।
अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) अंत: कोशिकीय परिवहन तथा उत्पादक सतह के रूप में कार्य करता है।
ये लंबी नलिका अथवा गोल या आयताकार थैलों ( पुटिकाओं ) की तरह दिखाई देती है।
अंतर्द्रव्यी जालिका की रचना भी प्लैज़्मा झिल्ली के समरूप होती है। जीवों की मौलिक इकाई
अंतर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है :- खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका ( RER ) तथा चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका ( SER )।
खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका ( RER ) सूक्ष्मदर्शी से देखने पर खुरदरी दिखाई पड़ती है क्योंकि इस पर राइबोसोम लगे होते हैं।
राइबोसोम पर प्रोटीन संश्लेषित होता है। खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका ( RER ) तैयार प्रोटीन को आवश्यकता अनुसार अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) के द्वारा कोशिका के अन्य भागों में भेज देता है।
चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका ( SER ) वास अथवा लिपिड अणुओं के बनाने में सहायता करती है। यह कोशिकीय क्रिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जीवों की मौलिक इकाई
कुछ प्रोटीन तथा वास कोशिका झिल्ली को बनाने में सहायता करते हैं। इस क्रिया को झिल्ली जीवात – जनन कहते हैं। कुछ अन्य प्रोटीन तथा वास , एंजाइम एवं हार्मोन के भाँति कार्य करते हैं।
यद्यपि विभिन्न कोशिकाओं में अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) भिन्न रूपों में दिखाई देती है परंतु सदैव एक जालिका तंत्र का निर्माण करती है।
अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) का एक कार्य कोशिकाद्रव्य के विभिन्न क्षेत्रों के मध्य अथवा कोशिकाद्रव के विभिन्न क्षेत्रों तक केंद्रक के मध्य पदार्थों ( मुख्यतः प्रोटीन ) के परिवहन के लिए नलिका के रूप में कार्य करना है।
अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) कोशिका की कुछ जैव रासायनिक क्रियााओं के लिए कोशिका द्रव्यी ढांचे का कार्य भी करती है।
एक वर्ग के जंतुओं , जिन्हें कशेरुकी भी कहते हैं , के यकृत की कोशिकाओं में चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका ( SER ) विष तथा दवा को निराविषिकरण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जीवों की मौलिक इकाई
गॉल्जी उपकरण
गॉल्जी उपकरण का सबसे पहले विवरण कैमिलो गॉल्जी ने किया था।
गॉल्जी उपकरण झिल्ली युक्त पुटिकाओं का स्तंभ है। यह कोशिका में बने पदार्थों का संचयन , रूपांतरण तथा पैकेजिंग करता है।
गॉल्जी उपकरण झिल्ली युक्त पुटिका है जो एक-दूसरे के ऊपर समानांतर रूप से सजी रहती है। जिन्हें कुंडलिका कहते हैं।
इन झिल्लियों का संपर्क अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) झिल्लियों से होता है और इसलिए जटिल कोशिकीय झिल्ली तंत्र के दूसरे भाग को बनाती हैं। जीवों की मौलिक इकाई
अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) में संश्लेषित पदार्थ गॉल्जी उपकरण में पैक किए जाते हैं और उन्हें कोशिका के बाहर तथा अंदर विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया जाता है। इस कार्य में शामिल है पुटिका में पदार्थों का संचयन , रूपांतरण तथा बंद करना।
कुछ परिस्थिति में गॉल्जी उपकरण में सामान्य शक्कर से जटिल शक्कर बनती है।
गॉल्जी उपकरण के द्वारा लाइसोसोम को भी बनाया जाता है। जीवों की मौलिक इकाई
लाइसोसोम
लाइसोसोम कोशिका का अपशिष्ट निपटने वाला तंत्र है।
लाइसोसोम बाहरी पदार्थ के कोशिका अंगको के टूटे – फूटे भागों को पाचित करके कोशिका को साफ करते हैं।
कोशिका के अंदर आने वाले बाहरी पदार्थ जैसे बैक्टीरिया अथवा भोजन तथा पुराने अंगक लाइसोसोम में चले जाते हैं जो उन्हें छोटे – छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं।
लाइसोसोम में बहुत शक्तिशाली पाचनकारी एंजाइम होते हैं जो सभी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ सकने में सक्षम होते हैं।
कोशिकीय चयापचय ( metabolism ) में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है , तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की ‘ आत्मघाती थैली ‘ भी कहते हैं।
संरचनात्मक दृष्टि से, लाइसोसोम में झिल्ली से गिरी हुई संरचना होती है जिनमें पाचक एंजाइम होते हैं। खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका ( RER ) इन एंजाइम को बनाते हैं। जीवों की मौलिक इकाई
माइटोकॉन्ड्रिया
माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का बिजलीघर है। जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया ATP ( ऐडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट ) के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं।
ATP कोशिका की ऊर्जा है। शरीर नए रासायनिक यौगिकों को बनाने तथा यांत्रिक कार्यों के लिए ATP में संचित ऊर्जा का प्रयोग करता है।
माइटोकॉन्ड्रिया में दोहरी झिल्ली होती है। बाहरी झिल्ली छिद्रित होती है। भीतरी झिल्ली बहुत अधिक वलित होती है।
ये वलय ATP बनाने वाले रासायनिक क्रियाओं के लिए एक बड़ा क्षेत्र बनाते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया बहुत अद्भुत अंगक है क्योंकि इसमें उसका अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं। अतः माइटोकॉन्ड्रिया अपना कुछ प्रोटीन स्वयं बनाते है। जीवों की मौलिक इकाई
प्लैस्टिड
प्लैस्टिड केवल पादप कोशिकाओं में स्थित होते हैं।
प्लैस्टिड दो प्रकार के होते हैं :- क्रोमोप्लास्ट ( रंगीन प्लैस्टिड ) तथा ल्यूकोप्लास्ट ( श्वेत तथा रंगीन प्लैस्टिड )।
जिस प्लैस्टिड में क्लोरोफिल वर्णक होता है उसे क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल के अतिरिक्त विभिन्न पीले अथवा नारंगी रंग के वर्णन भी होते हैं। जीवों की मौलिक इकाई
ल्यूकोप्लास्ट का प्राथमिक कार्य संचय करना है। ल्यूकोप्लास्ट प्राथमिक रूप से अंगक है जिसमे स्टार्च , तेल तथा प्रोटीन जैसे पदार्थ संचित होते हैं।
प्लैस्टिड की भीतरी रचना में बहुत – सी झिल्ली वाली परतें होती हैं जो स्ट्रोम में स्थित होती हैं।
प्लैस्टिड बाह्य रचना में माइटोकॉन्ड्रिया की तरह होते हैं। माइटोकॉन्ड्रिया की तरह प्लैस्टिड में भी अपना DNA तथा राइबोसोम होते हैं। जीवों की मौलिक इकाई
रसधानियाँ
रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों की संग्राहक थैलियाँ है।
जंतु कोशिकाओं में रसधानियाँ छोटी होती हैं जबकि पादप कोशिकाओं में रसधानियाँ बहुत बड़ी होती है।
कुछ पौधों की कोशिकाओं की केंद्रीय रसधानी की माप कोशिका के आयतन का 50% से 90% तक होता है।
पादप कोशिकाओं की रसधानियों में कोशिका द्रव्य भरा रहता है और ये कोशिकाओं को स्फीति तथा कठोरता प्रदान करती है। जीवों की मौलिक इकाई
पौधों के लिए आवश्यक बहुत से पदार्थ रसधानी में स्थित होते हैं। ये अमीनो अम्ल , शर्करा , विभिन्न कार्बनिक अम्ल तथा कुछ प्रोटीन है।
एककोशिक जीवो, जैसे अमीबा , की खाद्य रसधानी में उनके द्वारा उपभोग में लाए गए खाद्य पदार्थ होते हैं।
कुछ एककोशिक जीवों में विशिष्ट रसधानियाँ अतिरिक्त जल तथा कुछ अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकलने में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं।
अधिकांश परिपक्व पादप कोशिकाओं में एक बड़ी केंद्रीय रसधानी होती है। यह कोशिका की स्फीति को बनाए रखती है और यह अपशिष्ट पदार्थों सहित महत्वपूर्ण पदार्थों का संचय करती है। जीवों की मौलिक इकाई
MCQ
प्रश्न 1. सजीवों की मूलभूत संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है –
उत्तर- कोशिका
प्रश्न 2. कोशिका का सबसे पहले पता 1665 में लगाया था –
उत्तर- रॉबर्ट हुक ने
प्रश्न 3. सबसे पहले उन्नत सूक्ष्मदर्शी से तालाब में स्वतंत्र रूप से जीवित कोशिकाओं का पता लगाया –
उत्तर- ल्यूवेनहक ( 1674 ) ने
प्रश्न 4. कोशिका में केंद्रक का पता लगाया –
उत्तर- रॉबर्ट ब्राउन ने
प्रश्न 5. कोशिका में स्थित तरल जैविक पदार्थ को जीवद्रव्य का नाम दिया –
उत्तर- जे. ई. पुरोकंज ने
प्रश्न 6. किसने बताया कि सभी कोशिकाएं पूर्ववर्ती कोशिकाओं से बनती है ?
उत्तर- विरचो ने
प्रश्न 7. प्रत्येक बहुकोशिका जीव विकसित हुआ है –
उत्तर- एक कोशिका से
प्रश्न 8. कोशिकाओं की आकृति तथा आकर अनुरूप होते हैं –
उत्तर- उनके विशिष्ट कार्यों के
प्रश्न 9. प्रत्येक कोशिका में कुछ विशेष घटक होते हैं जिन्हे कहते हैं –
उत्तर- कोशिकांग
प्रश्न 10. कोशिका को निश्चित आकर तथा कोशिकांगों को सुरक्षा प्रदान करती है –
उत्तर- कोशिका झिल्ली
प्रश्न 11. कोशिका की सबसे बाहरी परत होती है –
उत्तर- कोशिका झिल्ली
प्रश्न 12. कोशिका झिल्ली बनी होती है –
उत्तर- लिपिड तथा प्रोटीन की
प्रश्न 13. कोशिका झिल्ली को झिल्ली भी कहते है –
उत्तर- वर्णात्मक पारगम्य
प्रश्न 14. कोशिका तथा बाह्य पर्यावरण में गैसों के आदान – प्रदान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है –
उत्तर- विसरण
प्रश्न 15. जल के अणुओं की गति जब वर्णनात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो तो उसे कहते हैं –
उत्तर- प्रसारण
प्रश्न 16. एककोशिका अलवणीय जलीय जीवों तथा अधिकांश पादप कोशिकाएँ जल ग्रहण करते हैं –
उत्तर- प्रसरण द्वारा
प्रश्न 17. पौधों के मूल द्वारा जल का अवशोषण एक उदाहरण है –
उत्तर- परासरण का
प्रश्न 18. पादप कोशिका में कोशिका झिल्ली के चारों ओर होती है –
उत्तर- एक कोशिका भित्ति
प्रश्न 19. कोशिका भित्ति बनी होती है –
उत्तर- सेल्यूलोज से
प्रश्न 20. जब किसी पादप कोशिका में परासरण द्वारा पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं इस घटना को कहते हैं –
उत्तर- जीवद्रव्य कुंचन
प्रश्न 21. प्रसारण द्वारा जल अवशोषण की क्षमता होती है –
उत्तर- केवल जीवित कोशिकाओं में ही
प्रश्न 22. कोशिका की सभी जैविक क्रियाविधियों पर नियंत्रण रखता है –
उत्तर- केन्द्रक
प्रश्न 23. केंद्रक में होते हैं जो कोशिका विभाजन के समय छड़ाकार दिखाई पड़ते हैं –
उत्तर- क्रोमोसोम
प्रश्न 24. क्रोमोसोम में होते हैं जो माता – पिता से DNA अणु के रूप में अगली संतति में जाते हैं –
उत्तर- अनुवांशिक गुण
प्रश्न 25. क्रोमोसोम बने होते है –
उत्तर- DNA तथा प्रोटीन के
प्रश्न 26. कोशिका के निर्माण व संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती है –
उत्तर- DNA अणु में
प्रश्न 27. DNA के क्रियात्मक खंड को कहते हैं –
उत्तर- जीन
प्रश्न 28. जो कोशिका विभाजित नहीं हो रही होती है उसने DNA विद्यमान रहता है –
उत्तर- क्रोमैटिन पदार्थ के रूप में
प्रश्न 29. ऐसे जीव जिसकी कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती उन्हें कहते है –
उत्तर- प्रोकैरियोट
प्रश्न 30. जिन जीवों की कोशिकाओं में केंद्रक झिल्ली होती है उन्हें कहते हैं –
उत्तर- यूकैरियोट
प्रश्न 31. यूकैरियोट में केंद्रक कोशिकाद्रव्य से अलग होता है –
उत्तर- दोहरी झिल्ली द्वारा
प्रश्न 32. प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में क्रोमोसोम के स्थान पर होता है –
उत्तर- न्यूक्लिक अम्ल
प्रश्न 33. अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) अंत: कोशिकीय में कार्य करता है –
उत्तर- परिवहन तथा उत्पादक सतह के रूप
प्रश्न 34. अंतर्द्रव्यी जालिका की रचना भी समरूप होती है –
उत्तर- प्लैज़्मा झिल्ली के
प्रश्न 35. अंतर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है :-
उत्तर- खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका ( RER ) तथा चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका ( SER )
प्रश्न 36. खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका ( RER ) सूक्ष्मदर्शी से देखने पर खुरदरी दिखाई पड़ती है क्योंकि इस पर लगे होते हैं –
उत्तर- राइबोसोम
प्रश्न 37. राइबोसोम पर संश्लेषित होता है –
उत्तर- प्रोटीन
प्रश्न 38. RER तैयार प्रोटीन को आवश्यकता अनुसार कोशिका के अन्य भागों में भेज देता है –
उत्तर- अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) के द्वारा
प्रश्न 39. चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका ( SER ) बनाने में सहायता करती है –
उत्तर- वास अथवा लिपिड अणुओं के
प्रश्न 40. कुछ प्रोटीन तथा वास कोशिका झिल्ली को बनाने में सहायता करते हैं। इस क्रिया को झिल्ली कहते हैं –
उत्तर- जीवात – जनन
प्रश्न 41. अंतर्द्रव्यी जालिका ( ER ) कोशिका की कुछ जैव रासायनिक क्रियााओं के लिए कार्य भी करती है –
उत्तर- कोशिका द्रव्यी ढांचे का
प्रश्न 42. गॉल्जी उपकरण का सबसे पहले विवरण किया था –
उत्तर- कैमिलो गॉल्जी ने
प्रश्न 43. गॉल्जी उपकरण झिल्ली युक्त पुटिकाओं का स्तंभ है। यह कोशिका में बने पदार्थों का करता है –
उत्तर- संचयन , रूपांतरण तथा पैकेजिंग
प्रश्न 44. गॉल्जी उपकरण झिल्ली युक्त पुटिका है जो एक-दूसरे के ऊपर समानांतर रूप से सजी रहती है। जिन्हें कहते हैं –
उत्तर- कुंडलिका
प्रश्न 45. कुछ परिस्थिति में गॉल्जी उपकरण में सामान्य शक्कर से बनती है –
उत्तर- जटिल शक्कर
प्रश्न 46. कोशिका का अपशिष्ट निपटने वाला तंत्र है –
उत्तर- लाइसोसोम
प्रश्न 47. कोशिका की ‘ आत्मघाती थैली ‘ कहते हैं –
उत्तर- लाइसोसोम को
प्रश्न 48. लाइसोसोम में बहुत शक्तिशाली पाचनकारी एंजाइम होते हैं जिन्हे बनाया जाता है –
उत्तर- खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका ( RER ) द्वारा
प्रश्न 49. कोशिका का बिजलीघर है –
उत्तर- माइटोकॉन्ड्रिया
प्रश्न 50. शरीर नए रासायनिक यौगिकों को बनाने तथा यांत्रिक कार्यों के लिए ऊर्जा का प्रयोग करता है –
उत्तर- ATP में संचित
प्रश्न 51. माइटोकॉन्ड्रिया में झिल्ली होती है –
उत्तर- दोहरी
प्रश्न 52. माइटोकॉन्ड्रिया बहुत अद्भुत अंगक है क्योंकि इसमें उसका अपना होते हैं –
उत्तर- DNA तथा राइबोसोम
प्रश्न 53. प्लैस्टिड केवल स्थित होते हैं –
उत्तर- पादप कोशिकाओं में
प्रश्न 54. प्लैस्टिड दो प्रकार के होते हैं :-
उत्तर- क्रोमोप्लास्ट तथा ल्यूकोप्लास्ट
प्रश्न 55. जिस प्लैस्टिड में क्लोरोफिल वर्णक होता है उसे कहते हैं –
उत्तर- क्लोरोप्लास्ट
प्रश्न 56. ल्यूकोप्लास्ट का प्राथमिक कार्य है –
उत्तर- संचय करना
प्रश्न 57. प्लैस्टिड में भी अपना होते हैं –
उत्तर- DNA तथा राइबोसोम
प्रश्न 58. रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों की है –
उत्तर- संग्राहक थैलियाँ
प्रश्न 59. जंतु कोशिकाओं में रसधानियाँ होती हैं –
उत्तर- छोटी
प्रश्न 60. पादप कोशिकाओं में रसधानियाँ होती है –
उत्तर- बहुत बड़ी
प्रश्न 61. पादप कोशिकाओं की रसधानियों में भरा रहता है –
उत्तर- कोशिका द्रव्य