क्षयरोग ( टी . बी. )
क्षयरोग को ‘ टी. बी. ‘ ( ट्यूबरक्लोसिस ) शब्द से भी जाना जाता है। यह एक संक्रमण से होने वाली बीमारी है। यह मुखयतः रोगी से हवा , उसके बलगम या थूक से फैलती है। टी. बी. ( क्षयरोग ) माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से फैलती है।
यह जीवाणु जीवित शरीर में प्रवेश करते ही उसके सभी हिस्सों पर आक्रमण करते है। तथा उन हिस्सों के उत्तकों को नष्ट कर देते हैं। फेफड़ों के आसपास का स्थान टी. बी. ( क्षयरोग )संक्रमण के लिए सबसे अनुकूल होता है। कुछ घटनाओं में शरीर का दूसरे अंग जैसे आहार नलिका तथा हड्डियां भी संक्रमित हो जाती है।
रोगियों में टी. बी. ( क्षयरोग ) का लक्षण धीरे – धीरे दिखाई पड़ता है। जीवाणु की ऊष्मायन अवधि कुछ सप्ताह से लेकर कई वर्षों तक का हो सकती है। यह संक्रमण की मात्रा , शरीर में उपस्थित जीवाणु की उग्रता तथा संक्रमित व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधी क्षमता पर निर्भर करती है।
संक्रमित व्यक्ति को भूख नहीं लगती है तथा वजन के घटना से कमजोरी होने की शिकायत रहती है। तीन सप्ताह से अधिक लगातार सर्दी तथा कम ताप का बुखार , टी. बी. ( क्षयरोग ) के कुछ अग्रिम लक्षण हैं।
कभी – कभी थूक से रक्त का निकलना , छाती में दर्द , ज्यादा चलने पर साँस फूलना , टी. बी. ( क्षयरोग ) के परिपक्व होने के बाद की स्थिति है। टी. बी. ( क्षयरोग ) से ग्रस्त बच्चों की लसीका पर्व फूल जाती है।
टी. बी. ( क्षयरोग ) के होने की सही जानकारी का थूक जांच के सकारात्मक होने , सीने का एक्स – रे तथा ट्यूबरकुलीन जांच से पता लगता है। आजकल टी. बी. ( क्षयरोग ) का इलाज दवाई ( कीमोथिरेपी ) , भोजन , आराम , शल्यचिकित्सा , पुनर्वास का स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा किया जाता है।
रोगियों द्वारा दवाइयां लेने में किसी भी प्रकार की असावधानियों के नियंत्रण का एक व्यापक तरीका डोट्स ( DOTS – Directly Observed Treatment Short – course ) है।
इस प्रणाली में रोगीयो पर कड़ी निगरानी रखी जाती है जिससे रोगी बीच में ही इलाज न छोड़ दे। DOTS यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक रोगी ने अपनी दवाइयों की अवधि पूरी कर ली है
तथा वह पूरी तरह से निरोग हो गया है। बी. सी. जी. का प्रतिरक्षित टीका ( बैलिसस कैलमिटी ग्यूरिन ) इस बीमारी से कुछ सुरक्षा प्रदान करता है।
किसी भी टी. बी. ( क्षयरोग ) रोगी के लिए यह जरूरी है कि वह खाँसते समय अपना मुंह ढक ले। कहीं भी ना थूके , छोटे बच्चों से दूर रहे तथा ज्यादा से ज्यादा समय खुली जगहों में बिताए।
बीमारी के फैलने पर नियंत्रण पाने में यह उपाय काफी मददगार साबित होते हैं। प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व टी. बी. ( क्षयरोग ) दिवस के रूप में मनाया जाता है।
निष्कर्ष
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