शासक और इमारतें

शासक और इमारतें

शासक और इमारतें :- कुत्बमीनार पाँच मंजिली इमारत है।

अभिलेखों की पट्टियाँ इसके पहले छज्जे के नीचे है। ये अभिलेख अरबी में है। मीनार का बाहरी हिस्सा घुमावदार तथा कोणीय हैं।

इस इमारत की पहली मंजिल का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक तथा शेष मंजिलों का निर्माण 1229 के आस – पास इल्तुतमिश द्वारा करवाया गया।

कई वर्षों में यह इमारत आँधी – तूफान तथा भूकंप की वजह से क्षतिग्रस्त हो गई थी।

अलाउद्दीन खलजी , मुहम्मद तुगलक , फिरोज शाह तुगलक तथा इब्राहिम लोदी ने इसकी मरम्मत करवाई।

आठवीं और अठारहवीं शताब्दियों के बीच राजाओं तथा उनके अधिकारीयों ने दो तरह की इमारतों का निर्माण किया। शासक और इमारतें

पहली तरह की इमारतों में – सुरक्षित ,संरक्षित तथा इस दुनिया और दूसरी दुनिया में आराम – विराम की भव्य जगहें – किले , महल तथा मकबरे थे।

दूसरी श्रेणी में मंदिर , मस्जिद , हौज, कुँए , सराय तथा बाजार जैसी जनता के उपयोग की इमारतें थीं।

घरेलू स्थापत्य – व्यापारियों की विशाल हवेलियों के अवशेष अठारहवीं शताब्दी से ही मिलने शुरू होते हैं।

सातवीं और दसवीं शताब्दी के मध्य वास्तुकार भवनों में और अधिक कमरे , दरवाजे और खिड़कियाँ बनाने लगे। शासक और इमारतें

छत , दरवाजे और खिड़कियाँ अभी भी दो ऊर्ध्वाधर खंभों के आर – पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाए जाते थे।

वास्तुकला की यह शैली ‘ अनुप्रस्थ टोडा निर्माण ‘ कहलाई जाती है।

आठवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच मंदिरों , मस्जिदों , मकबरों तथा सीढ़ीदार कुँओं ( बावली ) से जुड़े भवनों के निर्माण में इस शैली का प्रयोग हुआ। शासक और इमारतें

बारहवीं शताब्दी में दो प्रौद्योगिकीय एवं शैली संबंधी परिवर्तन दिखाई पड़ने लगते हैं –

( 1 ) दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अधिरचना का भार कभी – कभी मेहराबों पर डाल दिया जाता था। वास्तुकला का यह ‘ चापाकार ‘ रूप था।

( 2 ) निर्माण कार्य में चूना – पत्थर ,सीमेंट का प्रयोग बढ़ गया।

मेहराब के मध्य में ‘ डाट ‘ अधिरचना के भार को मेहराब की आधारशिला पर डाल देती है।

अधिरचना – भूतल से ऊपर किसी भी भवन का भाग। शासक और इमारतें

राजस्थान के बूंदी में स्थित रानीजी की बावड़ी , उन पचास बावड़ियों में सबसे बड़ी थी जिसका निर्माण पानी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए किया गया।

अपनी स्थापत्य सुंदरता के लिए विख्यात इस बावड़ी का निर्माण 1699 ईसवी में रानी नाथावत जी ने , जो बूंदी के राजा अनिरुद्ध सिंह की रानी थी , किया था।

कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण चंदेल राजवंश के राजा धंगदेव द्वारा 999 में किया गया था।

राजराजेश्वर मंदिर तंजावूर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा राजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना हेतु किया था। शासक और इमारतें

मुगल बादशाह शाहजहाँ के इतिहासकार ने शासक को ‘ साम्राज्य व धर्म की कार्यशाला का वस्तुशिल्पी ‘ बताया।

मंदिरों और मस्जिदों का निर्माण बहुत सुंदर तरीके से किया जाता था क्योंकि वे उपासना के स्थल के साथ – साथ संरक्षक की शक्ति , धन – वैभव तथा भक्ति भाव का भी प्रदर्शन करते थे।

सभी विशालतम मंदिरों का निर्माण राजाओं ने करवाया था।

मुसलमान सुल्तान तथा बादशाह स्वयं को भगवान के अवतार होने का दावा तो नहीं करते थे किन्तु फ़ारसी दरबारी इतिहासों में सुल्तान का वर्णन ‘ अल्लाह की परछाई ‘ के रूप में हुआ है। शासक और इमारतें

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दिल्ली की एक मस्जिद के अभिलेख से पता चलता है कि अल्लाह ने अलाउद्दीन को शासक इसलिए चुना था ,क्योंकि उसमें अतीत के महान विधिकर्त्ताओं मूसा और सुलेमान की विशिष्टताएँ मौजूद थी।

सुल्तान इल्तुतमिश ने देहली – ए – कुहना के एकदम निकट एक विशाल तालाब का निर्माण कराया था जिसे हौज – ए – सुल्तानी अथवा ‘ राजा का तालाब ‘ कहा जाता था।

फ़ारसी शब्द आबाद और आबादी ‘ आब ‘ शब्द से निकले है जिसका अर्थ है पानी।

आबाद शब्द उस जगह के लिए इस्तेमाल होता हैं , जहाँ बसावट हो। इसका एक अन्य अर्थ खुशहाली भी है। आबादी का अर्थ जनसंख्या एवं समृद्धि दोनों से है। शासक और इमारतें

मध्ययुगीन राजनितिक संस्कृति में ज्यादातर शासक अपने राजनैतिक बल व सैनिक सफलता का प्रदर्शन पराजित शासकों के उपासना स्थलों पर आक्रमण करके और उन्हें लूट कर करते थे।

नवीं शताब्दी के आरंभ में जब पांड्यन राजा श्रीमर श्रीवल्लभ ने श्रीलंका पर आक्रमण कर राजा सेन प्रथम ( 831 – 851 ) को पराजित किया था ,उसके विषय में बौद्ध भिक्षु व इतिहासकार धम्मकित्ति ने लिखा है कि , ” सारी बहुमूल्य चीजें वह ले गया रत्न महल में रखी स्वर्ण की बनी बुद्ध की मूर्ति और विभिन्न मठों में रखी सोने की प्रतिमाओं – इन सभी को उसने जब्त कर लिया। “

ग्यारहवीं शताब्दी के आरंभ में जब चोल राजा राजेंद्र प्रथम ने अपनी राजधानी में शिव मंदिर का निर्माण कराया था तो उसने पराजित शासकों से जब्त की गई उत्कृष्ट प्रतिमाओं से इसे भर दिया।

एक अधूरी सूचि में निम्न चीजे सम्मिलित थी : चालुक्यों से प्राप्त एक सूर्य पीठिका , एक गणेश मूर्ति तथा दुर्गा की मूर्तियाँ, पूर्वी चालुक्यों से प्राप्त एक नंदी मूर्ति , उड़ीसा के कलिंगों से प्राप्त भैरव तथा भैरवी की एक प्रतिमा तथा बंगाल के पालों से प्राप्त काली की मूर्ति। शासक और इमारतें

गजनी का सुल्तान महमूद राजेंद्र प्रथम का समकालीन था। भारत में अपने अभियानों के दौरान उसने पराजित राजाओं के मंदिरों को अपवित्र किया तथा उनके धन और मूर्तियों को लूट लिया।

मुगलों के अधीन वास्तुकला और अधिक जटिल हो गई।

बाबर , हुमायूँ , अकबर , जहाँगीर और विशेष रूप से शाहजहाँ , साहित्य , कला और वास्तुकला में व्यक्तिगत रूचि लेते थे।

अपनी आत्मकथा में बाबर ने औपचारिक बागों की योजनाओं और उनके बनाने में अपनी रूचि का वर्णन किया है। शासक और इमारतें

अकसर से बाग दीवार से घिरे होते थे तथा कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित थे।

चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ये चारबाग कहलाते थे। चारबाग बनाने की परंपरा अकबर के समय से शुरू हुई।

कुछ सर्वाधिक सुंदर चारबाग़ों को कश्मीर , आगरा और दिल्ली में जहाँगीर और शाहजहाँ ने बनवाया था।

अकबर के शासनकाल में कई तरह के महत्वपूर्ण वास्तुकलात्मक नवाचार हुए। इनकी प्रेरणा अकबर के वास्तुशिल्पियों ने उसके मध्य एशियाई पूर्वज तैमूर के मकबरों से ली। शासक और इमारतें

हुमायूँ के मकबरे में सबसे पहली बार दिखने वाला केंद्रीय गुंबद और ऊँचा मेहराबदार प्रवेशद्वार ( पिश्तक ) मुगल वास्तुकला के महत्त्वपूर्ण रूप बन गए।

यह मकबरा एक विशाल औपचारिक चारबाग के मध्य में स्थित था।

इसका निर्माण ‘ आठ स्वर्गों ‘ अथवा हश्त बिहिश्त की परंपरा में हुआ था , जिसमें एक केंद्रीय कक्ष , आठ कमरों से घिरा होता था।

इस इमारत का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ था तथा इसके किनारे सफेद संगमरमर से बने थे। शासक और इमारतें

शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान मुगल वास्तुकला के विभिन्न तत्त्व एक विशाल सदभावपूर्ण संश्लेषण में मिला दिए गए।

सार्वजनिक और व्यक्तिगत सभा हेतु समारोह कक्षों ( दिवान – ए – खास और दिवान – ए – आम ) की योजना बहुत सावधानीपूर्वक बनाई जाती थी।

एक विशाल आँगन में स्थित ये दरबार चिहिल सुतुन अथवा चालीस खंभो के सभा भवन भी कहलाते थे।

शाहजहाँ के सभा भवन विशेष रूप से मस्जिद से मिलते – जुलते बनाए गए थे।

उसका सिंहासन जिस मंच पर रखा था उसे प्रायः क़िबला कहा जाता था क्योंकि जिस समय दरबार चलता था , उस समय प्रत्येक व्यक्ति उस ओर ही मुँह करके बैठता था। शासक और इमारतें

इन वास्तुकलात्मक अभिलक्षणों का इस ओर इशारा था कि राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि था।

शाहजहाँ ने दिल्ली के लालकिले के अपने नवनिर्मित दरबार में राजकीय न्याय और शाही दरबार के अन्तः संबंध पर बहुत बल दिया।

बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा – दूरा के जडाऊ काम की एक शृंखला बनाई गई थी , जिसमें पौराणिक यूनानी देवता आर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था।

ऐसा माना जाता था कि आर्फियस का संगीत आक्रामक जानवरों को भी शांत कर सकता है और वे शांतिपूर्वक एक – दूसरे के साथ रहने लगते थे। शासक और इमारतें

शाहजहाँ के सार्वजनिक सभा भवन का निर्माण यह सूचित करता था कि न्याय करते समय राजा ऊँचे और निम्न सभी प्रकार के लोगों के साथ समान व्यवहार करेगा और सभी सदभाव के साथ रह सकेंगे।

चारबाग की योजना के अंतर्गत ही अन्य तरह के बाग भी थे जिन्हें इतिहासकार ‘ नदी – तट – बाग ‘ कहते हैं। इस तरह के बाग में निवासस्थान , चारबाग के बीच में स्थित न होकर नदी तटों के पास बाग के बिल्कुल किनारे पर होता था।

शाहजहाँ ने ताजमहल के नक्शे में नदी – तट – बाग की योजना अपनाई।

नदी पर सभी अभिजातों की पहुँच पर नियंत्रण हेतु शाहजहाँ ने इस वास्तुकलात्मक रूप को विकसित किया। शासक और इमारतें

दिल्ली में शाहजहाँनाबाद में उसने जों नया शहर निर्मित करवाया उसमें शाही महल नदी पर स्थित था।

केवल विशिष्ट कृपा प्राप्त अभिजातों , जैसे – उसके बड़े बेटे दाराशिकोह को ही नदी तक पहुँच मिली थी। अन्य सभी को अपने घरों का निर्माण यमुना नदी से दूर , शहर में करवाना पड़ता था।

मुगल शासक अपने भवनों के निर्माण में क्षेत्रीय वास्तुकलात्मक शैली अपनाने में विशेष रूप से दक्ष थे।

अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी की कई इमारतों पर गुजरात व मालवा की वास्तुकलात्मक शैलियों का प्रभाव दिखता है।

फतेहपुर सीकरी के जोधाबाई महल में छत के विस्तार को संभालते अलंकृत स्तंभ तथा टेक गुजरात क्षेत्र की वास्तुकलात्मक परंपराओं से प्रभावित हैं। शासक और इमारतें

बारहवीं शताब्दी से फ़्रांस में आरंभिक भवनों की तुलना में अधिक ऊँचे व हल्के चर्चों के निर्माण के प्रयास शुरू हुए।

वास्तुकला की यह शैली ‘ गोथिक ‘ नाम से जानी जाती हैं।

इस शैली की विशिष्टताएँ है – नुकीले ऊँचे मेहराब , रंगीन काँच का प्रयोग , जिसमें प्रायः बाइबिल के लिए गए दृश्यों का चित्रण है तथा उड़ते हुए पुश्ते।

दूर से ही दिखने वाली ऊँची मीनारें और घंटी वाले बुर्ज बाद में चर्च से जुड़ें।

इस वास्तुकलात्मक शैली के सर्वोत्कृष्टक ज्ञात उदाहरणों में से एक पेरिस का नाट्रेडम चर्च है। बारहवीं और तेरहवीं शताब्दियों के कई दशकों में इसका निर्माण हुआ। शासक और इमारतें

MCQ

प्रश्न 1. कुत्बमीनार इमारत है –

उत्तर- पाँच मंजिली

प्रश्न 2. कुत्बमीनार पर अभिलेखों की पट्टियाँ इसके पहले छज्जे के नीचे है। ये अभिलेख है –

उत्तर- अरबी में

प्रश्न 3. कुत्बमीनार की पहली मंजिल का निर्माण करवाया था –

उत्तर- कुतुबुद्दीन ऐबक

प्रश्न 4. कुत्बमीनार की ऊपर की मंजिलों का निर्माण 1229 के आस – पास करवाया गया –

उत्तर- इल्तुतमिश द्वारा

प्रश्न 5. मेहराब के मध्य में अधिरचना के भार को मेहराब की आधारशिला पर डाल देती है –

उत्तर- डाट

प्रश्न 6. भूतल से ऊपर किसी भी भवन का भाग कहलाता है –

उत्तर- अधिरचना

प्रश्न 7. राजस्थान के बूंदी में स्थित रानीजी की बावड़ी का निर्माण कराया था –

उत्तर- रानी नाथावत जी ने

प्रश्न 8. रानी नाथावत किस की रानी थी ?

उत्तर- बूंदी के राजा अनिरुद्ध सिंह की

प्रश्न 9. कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण किया गया था –

उत्तर- धंगदेव द्वारा ( चंदेल राजवंश के राजा )

प्रश्न 10. राजराजेश्वर मंदिर कहाँ स्थित है , जिसका निर्माण राजा राजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना हेतु किया था –

उत्तर- तंजावूर में

प्रश्न 11. मुगल बादशाह शाहजहाँ के इतिहासकार ने शासक को बताया –

उत्तर- साम्राज्य व धर्म की कार्यशाला का वस्तुशिल्पी

प्रश्न 12. फ़ारसी दरबारी इतिहासों में सुल्तान का वर्णन के रूप में हुआ है –

उत्तर- अल्लाह की परछाई

प्रश्न 13. सुल्तान इल्तुतमिश ने देहली – ए – कुहना के एकदम निकट एक विशाल तालाब का निर्माण कराया था जिसे कहा जाता था –

उत्तर- हौज – ए – सुल्तानी अथवा ‘ राजा का तालाब ‘

प्रश्न 14. फ़ारसी शब्द आबाद और आबादी ‘ आब ‘ शब्द से निकले है जिसका अर्थ है –

उत्तर- पानी

प्रश्न 15. गजनी का सुल्तान महमूद समकालीन था –

उत्तर- राजेंद्र प्रथम का

प्रश्न 16. हुमायूँ के मकबरे का निर्माण परंपरा में हुआ था –

उत्तर- ‘ आठ स्वर्गों ‘ अथवा हश्त बिहिश्त की

प्रश्न 17. शाहजहाँ के सभा भवन विशेष रूप से मिलते – जुलते बनाए गए थे –

उत्तर- मस्जिद से

प्रश्न 18. शाहजहाँ का सिंहासन जिस मंच पर रखा था उसे प्रायः कहा जाता था –

उत्तर- क़िबला

प्रश्न 19. शाहजहाँ के सिंहासन के पीछे पितरा – दूरा के जडाऊ काम की एक शृंखला बनाई गई थी , जिसमें पौराणिक यूनानी देवता को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था –

उत्तर- आर्फियस

प्रश्न 20. शाहजहाँ ने ताजमहल के नक्शे में योजना अपनाई –

उत्तर- नदी – तट – बाग की

प्रश्न 21. अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी की कई इमारतों पर शैलियों का प्रभाव दिखता है –

उत्तर- गुजरात व मालवा की वास्तुकलात्मक

प्रश्न 22. पेरिस का नाट्रेडम चर्च किस वास्तुकलात्मक शैली का उदहारण है –

उत्तर- गोथिक