मगध का प्रथम राजवंश - हर्यक या शैशुनाग
मगध का प्रथम राजवंश – हर्यक या शैशुनाग ? आज हम इस टॉपिक के बारे में चर्चा करेंगे तथा जानने की कोशिश करेंगे कि मगध जो भारत के इतिहास में एक समय बहुत ही शक्तिशाली राज्य थ।
इतना शक्तिशाली कि जिससे महान सिकंदर कि सेना इतनी भयभीत हो गयी कि उसने मगध पर आक्रमण करने से ही मना कर दिया।
और एक ऐसा राज्य जिसने भारत के इतिहास को बहुत ही शक्तिशाली शासक दिए जिन्होंने अपना नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज करा दिया तथा एक समय ऐसा था कि मगध का इतिहास सम्पूर्ण भारत का इतिहास बन गया।
आखिरकार उस राज्य का प्रथम राजवंश कौन – सा था ? क्या वो हर्यक राजवंश था या शैशुनाग राजवंश ? मगध का प्रथम राजवंश
मगध साम्राज्य पर शासन करने वाले प्रथम राजवंश के विषय में पुराणों तथा बौद्ध ग्रंथों में अलग – अलग विवरण मिलता है। अगर हम पुराणों को देखे तो उन के अनुसार मगध पर प्रथम बार्हद्रथ वंश का शासन था।
इसी वंश का राजा जरासंध था जिसने गिरिब्रज को अपनी राजधानी बनाई थी। इसके बाद वहाँ प्रद्योत वंश का शासन स्थापित हुआ।
प्रद्योत वंश का अंत करके शिशुनाग ने अपने वंश की स्थापना की। शैशुनाग वंश के बाद नंद वंश ने शासन किया। मगध का प्रथम राजवंश
वहीं बौद्ध ग्रंथ तथा लेखक बार्हद्रथ वंश का कोई भी उल्लेख नहीं करते , प्रद्योत तथा उसके वंश को अवन्ति से संबंधित करते है , बिम्बिसार तथा उसके उत्तराधिकारियों को शिशुनाग का पूर्वगामी बताते है और अंत में नंदों को रखते है।
अगर पुराणों तथा बौद्ध ग्रंथो की समीक्षा सही से की जाये तो बौद्ध ग्रंथों का क्रम अधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है। इनके अनुसार मगध का प्रथम शासक बिम्बिसार था जो हर्यक वंश से संबंधित था। शैशुनाग वंश हर्यक वंश का परवर्ती था। मगध का प्रथम राजवंश
यह मानने के लिए निम्नलिखित कारण है –
1. शिशुनाग का पुत्र कालाशोक अथवा काकवर्ण था। उसके समय में वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगती संगीति हुई थी। वैशाली को सर्वप्रथम अजातशत्रु ने जीत कर मगध में मिलाया था। इससे स्पष्ट है कि कालाशोक अजातशत्रु के बाद राजा बना था।
कुछ बौद्ध ग्रंथो में संगीति का स्थल पाटलिपुत्र दिया गया है। पुराणों के अनुसार इस नगर की स्थापना अजातशत्रु के पुत्र उदायिन ने की थी। इससे भी हर्यक कुल शैशुनाग कुल का पूर्वगामी सिद्ध होता है।
2. पुराणों के अनुसार अवंती में प्रद्योत वंश का विनाश शिशुनाग ने किया था। प्रद्योत बिंबिसार का समकालीन था।
उसके उत्तराधिकारियों का विनाश शिशुनाग द्वारा किया गया। यह तभी संभव है जब हम शिशुनाग को बिंबिसार का परवर्ती माने।
3. पुराणों से पता चलता है कि शिशुनाग ने अपने पुत्र को बनारस का उपराजा बनाया था। बौद्ध साक्ष्यों के अनुसार बनारस पर मगध का अधिकार अंशतः बिंबिसार के समय में तथा पूर्णतया अजातशत्रु के समय में हो पाया था।
शिशुनाग के काल में तो काशी मगध का अभिन्न अंग बन चुका था। इससे भी हर्यक वंश शिशुनाग वंश का पूर्वगामी सिद्ध होता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पुराणों में भ्रमवश शिशुनाग को मगध का प्रथम शासक बताया गया है। मगध का प्रथम राजवंश