बयालिसवां संविधान ( संशोधन ) अधिनियम 1976
बयालिसवां संविधान ( संशोधन ) अधिनियम 1976 , आज हम इस टॉपिक के बारे में बताने जा रहे है क्योकि एग्जाम की दृष्टि से ये बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है और बहुत बार यह से प्रश्न आया है और आगे भी आएगा। क्योकिं यह अब तक किए गए संविधान संशोधन में सबसे व्यापक तथा विवादस्पद संशोधन है।
आंतरिक आपात के दौरान किए गए इस संशोधन में लगभग संपूर्ण संविधान का पुनरीक्षण किया गया। इसी कारण इस लघु संविधान ( mini constitusion ) की संज्ञा दी जाती है।
बयालिसवां संविधान ( संशोधन ) अधिनियम 1976
इस संशोधन में कुल 59 प्रावधान थे जिनके द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए –
प्रस्तावना – संविधान की प्रस्तावना में ‘ पंथनिरपेक्ष ‘ और ‘ समाजवादी ‘ शब्द जोड़े गये और ‘ राष्ट्रीय की एकता ‘ को ‘ राष्ट्रीय की एकता और अखंडता ‘ से बदल दिया गया। यह प्रस्तावना में किया गया एकमात्र संशोधन है।
मूल अधिकार – अनुच्छेद 31 ग में बदलाव लाकर यह प्रावधान किया गया कि निति निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली किसी विधि को इस आधार पर शून्य नहीं समझा जाएगा कि वह मूल अधिकारों का अतिक्रमण करता है। 44 वें संविधान संशोधन द्वारा इसे निरस्त कर दिया गया। बयालिसवां संविधान संशोधन
नीति निर्देशक तत्व – नीति निदेशक तत्वों को मूल अधिकारों पर श्रेष्ठता प्रदान की गई। कुछ नीति निर्देशक तत्व जैसे – समान न्याय और नि : शुल्क विधिक सहायता ( 39 क ), उद्योगों के प्रबंधन में कर्मचारियों की भागीदारी ( 43 क ) तथा पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन तथा वन और वन्य जीवों की रक्षा संबंधी प्रावधान जोड़े गए।
मूल कर्तव्य – संविधान में अनुच्छेद 51 क जोड़कर नागरिकों के लिए 10 मूल कर्तव्यों की व्यवस्था की गई। बयालिसवां संविधान संशोधन
राष्ट्रपति ( President ) – अनुच्छेद 74 में परिवर्तन कर मंत्रीपरिषद की सलाह को राष्ट्रपति पर बाध्यकारी कर दिया गया।
सांसद ( Parliament ) – अनुच्छेद 81 में संशोधन कर प्रावधान किया गया कि लोकसभा में राज्यों को आवंटित स्थान सन 2001 की जनगणना तक अपरिवर्तित रहेंगे। लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं के कार्यकाल को 5 वर्ष से बढ़कर 6 वर्ष कर दिया गया तथा गणपूर्ति संबंधी उपबंधो का लोप कर दिया गया।
केंद्र राज्य संबंध – इसके द्वारा शिक्षा, नाप – तौल, वन और जंगली जानवरों तथा पक्षियों के रक्षा के विषय राज्य सूची से निकाल कर समवर्ती सूची में रखे गए। बयालिसवां संविधान संशोधन
न्यायालय- अनुच्छेद 368 और 13 में परिवर्तन कर संसद की संवैधानिक शक्ति को न्यायिक पुनरावलोकन से बाहर कर दिया गया।
उच्चतम न्यायालय को केंद्रीय कानून तथा उच्च न्यायालयों को राज्य विधानमंडल के कानून की वैधता निर्धारित करने तक सिमित कर दिया गया। विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रशासनिक न्यायाधिकरणो की स्थापना का अपबन्ध किया गया।
आपात उपबंध – अनुच्छेद 352 में यह व्यवस्था किया गया की इसके अंतर्गत आपातकाल समस्त राष्ट्र या उसके किसी भाग में की जा सकती है। बयालिसवां संविधान संशोधन
निष्कर्ष
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