ली कुआन येव
ली कुआन येव ने सिंगापुर में क्या योगदान दिया ( What contribution did Lee Kuan Yew make to Singapore ) ? आज हम जानेंगे कि ली कुआन येव ने सिंगापुर के विकास में क्या योगदान दिया और कैसे उनके योगदानो के द्वारा सिंगापुर की तस्वीर ही बदल गयी वह पिछड़े सिंगापुर से आधुनिक सिंगापुर में परिवर्तित हो गया। आज हम सबके लिए सिंगापुर एक कामयाब, अमीर, और सुनियोजित शहर है।
दुनिया भर के लिए नगर विकास का एक शानदार मॉडल। पर, इस शहर को यह हैसियत हाल ही में मिली है। 1965 तक सिंगापुर एक महत्वपूर्ण बंदरगाह तो था लेकिन वह बाकी एशियाई शहरों जैसा ही था।
नियोजन का तत्व तो यहां 1822 से ही मौजूद था लेकिन लंबे समय तक केवल श्वेत बस्तियों को ही योजना के हिसाब से बसाया जाता था। सिंगापुर पर उसे समय श्वेतो का ही शासन था।
शहर की ज्यादातर आबादी भीड़ – भाड़ गंदगी, गंदकी, खराब मकानो और गरीबी के माहौल में रहती थी।
1965 में जब पीपुल्स एक्शन पार्टी के अध्यक्ष ली कुआन येव के नेतृत्व में सिंगापुर को आजादी मिली तो यह एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। इसके बाद एक विशाल आवास एवं विकास कार्यक्रम शुरू किया गया। जिसने इस द्वीप राष्ट्र का चेहरा ही बदल डाला।
इस बारे में जो योजना तैयार की गई थी उसमें शहर के एक एक इंच का हिसाब रखा गया था। बहुत ही बारीकी से शहर पर नजर राखी गयी। सरकार ने लगभग 85% जनता को अच्छे मकान दे दिए थे इसलिए सरकार को जनता का समर्थन भी हासिल था।
ऊँचे – ऊँचे आवासीय खंडो में हवा – निकासी और सभी प्रकार की सेवाओं का इंतजाम किया गया था। ये चीजे अच्छी भौतिक योजना का सबूत थी। इन इमारतों ने शहर के सामाजिक जीवन को भी बदल दिया था।
बाहरी गलियारों के कारण अपराध कम हो गए थे, बड़े – बुढो को भी उनके परिवारों के साथ बस दिया गया था, सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए सभी इमारत में खाली मंजिलें छोड़ दी गई थी। ली कुआन येव
शहर में लोगों को आने पर नियंत्रण रखा जाने लगा। चीनी, मलय और भारतीय, इन तीनों समुदायों के बीच नस्ली सामाजिक टकरावो को रोकने के लिए सामाजिक संबंधों पर भी लगातार नजर रखी जाने लगी थी। अखबारों, पत्रिकाओं और सभी प्रकार के संचार साधनों पर कड़ा नियंत्रण रखा जाता था। ली कुआन येव
1986 में राष्ट्रीय दिवस के अपने भाषण में ली कुआन येव ने नियोजन की शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, ‘अगर हमने निहायत निजी मामले में भी दखल न दिया होता तो हम तरक्की नहीं कर सकते थे : आपके पड़ोस में कौन रहता है, आप कैसे जीते हैं, आप शोर तो नहीं मचाते, आप कहाँ – कैसे थूकते हैं, कैसी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। हम ही तय करते थे कि क्या सही है। लोग क्या सोचते हैं इसकी हमें परवाह नहीं थी।
हालॉंकि सिंगापुर के नागरिकों को भौतिक सुविधाएँ और संपन्नता मिली हुई है लेकिन बहुत सारे लोगों का मानना है कि इस शहर में जीवंत और चुनौतीपूर्ण राजनीतिक संस्कृति अभी भी नहीं है। ली कुआन येव