मृदा ( Soil )
पृथ्वी की ऊपरी सतह को मृदा (soil) कहते हैं। पृथ्वी की इस सतह की मोटाई कुछ मिलीमीटर से लेकर 3 – 4 मीटर तक हो सकती है। साधारणत : मृदा (soil) चट्टानों के सूक्ष्म कणों , ह्यूमस , वायु तथा जल से मिलकर बनती है।
पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए मृदा (soil) की आवश्यकता होती है। मृदा पौधों के लिए अकार्बनिक पोषण एवं जल का मुख्य स्रोत है। मृदा (soil) के ठीक नीचे कठोर चट्टानों की सतह पाई जाती है।
कालांतर में कई प्राकृतिक घटनाओं जैसे भूकंप से ये चट्टानें छोटे – छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं। इन घटनाओं के फलस्वरुप बड़े – बड़े चट्टान टूटकर छोटे टुकड़ों में परिवर्तित हो जाते हैं।
अतः मृदा (soil) का निर्माण पृथ्वी की सतह पर चट्टानों के टूटने तथा अन्य पदार्थों के छोटे – छोटे टुकड़ो में परिवर्तित होने से शुरू होता है।
टूटने का यह प्रक्रम वर्षा , बर्फ , हवा , ग्लेशियर तथा बहते पानी के कारण अपक्षय के द्वारा भी चलता रहता है।
चट्टानों को सूक्ष्म कणों में अपघटित होने में हजारों वर्ष लग जाते हैं जिससे soil का निर्माण होता है। चट्टानों को खंडित करने में पेड़ – पौधों की जड़ें भी मदद करती हैं।
चट्टानों के सूक्ष्म कणों की प्रकृति द्वारा संक्षारण या अपघटन के विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है। जैसे कि ऑक्सीकरण , अपचयन , कार्बोनेटीकरण , जल – अपघटन , जल भोजन इत्यादि।
कुछ खनिज जल में घुलकर वर्षा जल के साथ रिसते हुए नीचे तक पहुँच जाते हैं। लाइकेन तथा अन्य पौधे चट्टानों पर रहकर अम्ल का उत्पादन करते हैं जो soil निर्माण में सहायक होते हैं।
कई जीवाणु भी इस प्रक्रम में सहायक होते हैं। मृत तथा अपघटित पौधों एवं पशुओं के कार्बनिक पदार्थो ( ह्यूमस ) का योग मृदा (soil) के निर्माण के अंतिम चरण में होता है।
अतः मृदा (soil) के जल , वायु एवं खनिज के अलावा कार्बनिक पदार्थ के रूप में ( स्टार्च , शर्करा , सेल्युलोस , वसा तथा प्रोटीन ) ऊर्जा संक्षिप्त रहती है।
यह कई जीवों का वास स्थान है – जैसे कि बैक्टीरिया , कवक , केंचुआ , प्रोटोजोआ। अतः soil का निर्माण जलवायु , वनस्पति , मूल पदार्थ तथा समय कारकों के द्वारा बहुत हद तक प्रभावित होता है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने मृदा (soil) तथा मृदा के निर्माण पर चर्चा कि । अगर आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। अगर आपको कोई भी doubt है तो आप कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं धन्यवाद.
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