वायरस ( विषाणु )
वायरस (virus) , बैक्टीरिया से भी सूक्ष्म होते हैं। इनकी उपस्थिति का पता या तो उनके परपोषी पर हो रहे प्रभाव के द्वारा लगाया जा सकता है या उन्हें इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में देखकर। वे केवल जीवित कोशिकाओं के अंदर गुणन करते हैं।
किसी विशिष्ट परपोषी कोशिका के अलावा virus का संवर्धन करना असंभव है। यह अत्यंत परपोषी गुण virus के समानुपाती सरल संरचना से जुड़ा हुआ है।
एक वायरस (virus) में , कुछ मात्रा में , अनुवांशिक पदार्थ DNA या RNA के रूप में , एक सुरक्षित प्रोटीन आवरण से घिरा रहता है।
अन्य सूक्ष्मजीवों के विपरीत virus की कोशिकीय संरचना नहीं होती। वायरस परपोषी कोशिका के बाहर निर्जीव कण की तरह क्रियाविहीन रहते हैं।
Virus प्रत्येक जगह पाए जाते हैं जैसे हवा , जल , मृदा , यहां तक कि जीवित शरीर में भी। Virus को क्रिस्टलित किया जा सकता है तथा अनेक वर्षों तक सुरक्षित सुरक्षित रखा जा सकता है।
Virus के संभावित उदभव को लेकर कई विचार सामने आए हैं। उनकी अपेक्षाकृत सरल संरचना के कारण , यह निष्कर्ष निकाला गया कि ये आदिकालीन है तथा अजीवित रासायनिक अवयवों से जीवित प्राणी के विकास की पहली अवस्था है।
दूसरा विचार यह है कि इनका विकास बड़े जीवों के अपघटन से हुआ है तथा ये अपनी संश्लेषण क्षमता तथा स्वतंत्र जीवन खो चुके हैं।
Virus के कुछ भौतिक तथा रासायनिक गुण होते हैं। इनमे से प्रमुख है उनकी संक्रमण क्षमता था परपोषी विशेषता के साथ परपोषी प्राकृति।
एंटीबायोटिक का वायरसों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि उनकी कोई अपनी उपापचय क्रिया नहीं होती।
विषाणुओं को उनके परपोषी के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है जिनमें वे पालते हैं। उदाहरण के लिए , वे वायरस (virus) जो पौधे में रहते हैं उन्हें वनस्पति वायरस (virus) कहते हैं।
इसी तरह पशुओं में पाए जाने वाले वायरस (virus) को जंतु वायरस तथा बैक्टीरिया में पाए जाने वाले वायरस को बैक्टीरियाई वायरस या बैक्टीरियोफेजेज कहते हैं।
Virus से कई बीमारियां होती है जैसे रेबीज , पोलियो , चिकेनपॉक्स , सामान्य सर्दी , इन्फ्लूएंजा , तथा तंबाकू एवं आलू में मोजाइक।
बैक्टीरियोफेजेज उन बैक्टीरियाओं को नष्ट कर देता है जिनसे कार्बनिक पदार्थ सड़ जाते हैं या खराब हो जाते हैं। इस तरह के virus गंगा जल में पाए गए है।
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