रेबीज
रेबीज या जलांतक एक भयावह बीमारी है , जो मनुष्य में पशुओं के काटने खासकर रेबीज वायरस से संक्रमित कुत्तों के काटने से होती है। कुछ अन्य पशुओं के काटने से भी रेबीज का संक्रमण हो सकता है
जैसे बिल्ली , बंदर , लोमड़ी , जैकल , भेड़िया तथा नेवला। शहरी क्षेत्रों में ज्यादातर रेबीज से संक्रमित कुत्तों के काटने से यह बीमारी होती है।
रेबीज संक्रमण का मुख्य स्रोत लार है , यह कटी हुई त्वचा के संपर्क में आने से भी संक्रमित हो सकता है। रेबीज की ऊष्मायन अवधि 10 दिन से लेकर एक वर्ष तक की हो सकती है।
गहरे घाव की हालत में यह शरीर के ऊपरी हिस्से में काटे जाने पर ऊष्मायन अवधि कम हो सकती है।
पाश्तर ( लूइ पाश्तर के नाम पर ) टीका पेट में 14 सुई के रूप में लगाकर या मानव द्विगुणित कोशिका टीका 5 सुई के रूप में बाँह में लगाकर रेबीज संक्रमण से बचा जा सकता है।
रेबीज से संक्रमित मरीज बेचैनी , आक्षेपि , कंठरोध से ग्रसित हो जाता है। यहां तक कि तरल पदार्थ भी निगलने में असमर्थ हो जाता है अंततः उसकी मृत्यु बहुत दर्दनाक होती है।
रेबीज के लक्षणों में शामिल है तेज सिर का दर्द , बुखार तथा रुक – रुक कर उत्तेजना एवं चिंता। गले तथा छाती में मांसपेशियों का सिकुड़ना तथा फैलना भी देखा गया है।
कुत्तों में दो प्रकार का रेबीज पाया गया है , तीव्र तथा धीमा। तीव्र का लक्षण एक पागल जैसा होता है। इसमें कुत्ता लोगों को बिना छेड़ ही आक्रमण करता है।
बिना किसी कारण के दौड़ता रहता है तथा ने खाने वाली चीजों जैसे कीचड़ तथा लकड़ी भी खाता है। धीमी रूप वाले रैबीज से संक्रमित कुत्ता शांत क्षेत्र चुनता है , दूसरे के आकर्षण से हटे रहना चाहता है , सोता रहता है तथा मर जाता है।
याद रखें , अगर आप किसी कुत्ते , बिल्ली या बंदर से कटे हुए व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो उसे तुरंत आसपास के अस्पताल में जाने की सलाह दें। यह भी याद रखें कभी किसी भी जानवर को ना छेड़े।
निष्कर्ष
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