ह्रदय
ह्रदय हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग होता है। यह वक्ष में बाईं ओर स्थित होता है। इसका आकर बंद मुट्ठी की तरह होता है तथा इसका भार लगभग 300 ग्राम होता है।
इसके दोनों ओर दो फेफड़े होते है। ह्रदय पर झिल्ली का बना एक आवरण होता है , जिसे पेरीकार्डियम ( Pericardium ) कहते है।
इसकी दो परते होती है – एक परत ह्रदय के संपर्क में रहती है और दूसरी इसके बाहर होती है। ह्रदय वास्तव में एक मांसपेशी है , जिसके अंदर रक्त भरा रहता है। इस भाग को मायोकार्डियम ( Myocardium ) कहते है।
रक्त के संपर्क में रहने वाली इसकी अंदर की परत को एंडोकार्डियम ( Endocardiym ) कहते है।
ह्रदय के अंदर कोष्ठ (chambers ) नामक चार खाने होते है। दो कोष्ठ दाहिनी ओर होते है , जिनके बीच में एक पर्दा ( septum ) होता है , जो दाहिने और बाएं ओर के रक्त को मिलने नहीं देता।
ऊपर का कोष्ठ अलिंद ( atrium ) और नीचे का निलय ( ventricle ) कहलाता है। इस प्रकार दोनों तरफ दो – दो कोष्ठ होते है – दाहिना अलिंद ( Right atrium ) और निलय ( ventricle ) तथा बायां अलिंद ( Right atrium ) और निलय ( ventricle ) ।
अलिंद और निलय के बीच में बड़े – बड़े छेद होते है , जिनमें वाल्व ( valve ) लगे होते है। ये केवल एक ही दिशा में निलय को ओर खुलते है।
इनसे रक्त अलिंद से निलय में तो जा सकता है , लेकिन निलय से अलिंद में वापस नहीं आ सकता। ये वाल्व बंद होकर उसके जाने का मार्ग रोक लेते है।
ह्रदय एक पंप की तरह कार्य करता है और समस्त शरीर में रक्त को भेजता है। इसकी दो साइडें एक साथ काम करती है।
एक ओर से इसमें महाशिरा ( vena cave ) और पल्मोनरी धमनियों द्वारा रक्त आता है , जो ह्रदय के ऊपरी कोष्ठ अलिंद में एकत्र हो जाता है।
रक्त अलिंद से निलय में जाता है और दाहिने निलय से पल्मोनरी धमनी द्वारा फेफड़ों में पहुंचता है। फेफड़ों में ऑक्सीजन के मिलने से वह शुद्ध होकर पल्मोनरी शिराओं में होता हुआ बाएं अलिंद में लोट आता है।
जब वह अलिंद से निलय में जाता है , तो वह उसको महाधमनी ( aorta ) में भेज देता है। वहां से यह अपनी शाखाओं द्वारा उसको समस्त शरीर में पहुंचाती है।
निष्कर्ष
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