ब्रायोफाइटा image
ब्रायोफाइटा

ब्रायोफाइटा

author
0 minutes, 4 seconds Read

ब्रायोफाइटा

ब्रायोफाइटा ( bryophyta) में मॉस तथा लीवरवर्ट आते हैं जो प्राय: पहाड़ियों में नम तथा छायादार क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ब्रायोफाइटा ( bryophyta) को पादप जगत में जलस्थलचर भी कहते हैं ;

क्योंकि ये भूमि पर भी जीवित रह सकते हैं , किंतु लैंगिक जनन के लिए जल पर निर्भर करते हैं। ये प्रायः नम , सीलन , तथा छायादार स्थानों पर पाए जाते हैं। ये अनुक्रमण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

इनकी पादपकाय शैवाल की अपेक्षा अधिक विभेदित होती है। यह थैलस की तरह होता है और शयान अथवा सिधा होता है और एक कोशिका तथा बहुकोशिका मूलाभ द्वारा सबस्ट्रेटम से जुड़ा रहता है।

इनमे वास्तविक मूल , तन अथवा पत्तियां नहीं होती। इनमें मूलसम , पत्तीसम अथवा तनासम संरचना होती है। 

ब्रायोफाइटा ( bryophyta) की मुख्यकाय अगुणित होती है। ये युग्मक उत्पन्न करते हैं , इसलिए इन्हें युग्मकोभिद कहते हैं। ब्रायोफाइटा ( bryophyta) में लैंगिक अंग बहुकोशिक होते हैं।

नर लैंगिक अंग को पुंधानी कहते हैं। ये द्विकशाभिक पुमंग उत्पन्न करते है। मादा जनन अंग को स्त्रीधानी कहते हैं। यह फ्लास्क के आकार का होता है जिसमें एक अंड होता है। ब्रायोफाइटा

ब्रायोफाइटा image

पुमंग को पानी में छोड़ दिया जाता है। ये स्त्रीधानी के संपर्क में आते हैं और अंडे से संगलित हो जाते हैं , जिसके कारण युग्मनज बनता है। युग्मन में तुरंत न्यूनीकरण विभाजन नहीं होता और इससे एक बहुकोशिक बीजाणु – उदभिद ( स्पोरोफाइट ) बन जाता है।

स्पोरोफाइट मुक्तजीवी नहीं है , बल्कि यह प्रकाश संश्लेषी युग्मकोदभिद से जुड़ा रहता है और इससे अपना पोषण प्राप्त करता रहता है। ब्रायोफाइटा

स्पोरोफाइट की कुछ कोशिकाओं में न्यूनीकरण विभाजन होता है , जिससे अंगुणित बीजाणु अंकुरित हो कर युग्मकोदभिद में विकसित हो जाते है।

ब्रायोफाइटा ( bryophyta) का बहुत कम आर्थिक महत्व है। लेकिन कुछ मॉस शाकाहारी स्तनधारियो, पक्षियों तथा अन्य प्राणियों को भोजन प्रदान करते हैं। ब्रायोफाइटा

स्फेगनम की कुछ स्पीशीज पीट प्रदान करती है इसका उपयोग ईंधन के रूप में करते हैं। इसका उपयोग पैकिंग में और सजीव पदार्थों को स्थानांतरित करने में भी करते हैं।

इसका कारण यह है कि इनमें पानी को रोकने की क्षमता बहुत अधिक होती है। लाइकेन समेत मॉस सर्वप्रथम ऐसे सजीव हैं , जो चट्टानों पर उगते हैं। इनका परिस्थितिक दृष्टि से बहुत महत्व है। ब्रायोफाइटा

इन्होने चट्टानों को अपघटित किया और अन्य उच्च कोटि के पौधों को उगाने के अनुरूप बनाया। चूँकि मॉस मिट्टी पर एक सघन परत बना देते हैं ,

इसलिए वर्षा की बौछारें मृदा को अधिक हानि नहीं पहुंच पाती और इस प्रकार ये मृदा अपक्षरण को रोकते हैं। ब्रायोफाइटा को लिवरवर्ट तथा मॉस में विभक्त कर सकते हैं। ब्रायोफाइटा

FOR SCIENCE NOTES CLICK ON LINK – SCIENCE  

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *