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रवीन्द्रनाथ टैगोर

रवीन्द्रनाथ टैगोर

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रवीन्द्रनाथ टैगोर

साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 ईस्वी को कोलकाता की प्रसिद्ध जोड़ा साँको ठाकुरबाड़ी के एक संपन्न परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम देवेन्द्र नाथ ठाकुर व उनकी माता का नाम शारदा देवी था। इनके पिता तथा दादा अत्यंत संपन्न व्यक्ति थे और राजस्वी ठाट-बाट के साथ जीवन व्यतीत करते थे। रवीन्द्रनाथ टैगोर जी के परिवार का समाज में अत्याधिक सम्मान था।

रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई, छोटी आयु में ही इन्होंने स्वाध्याय से अनेक विषमों का ज्ञान अर्जित कर लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर जी के पिता जाने-माने समाज सुधारक थे वे चाहते थे कि रवीन्द्रनाथ टैगोर बड़े होकर बैरिस्टर बने। इसलिए बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए इन्हें इंग्लैंड भेजा गया , किंतु ये बैरिस्टर की डिग्री पूरी किए बिना कोलकाता लौट आए।

सन 1883 में मृणालिनी देवी के साथ उनका विवाह हुआ। वे ‘गुरुदेव’ उपनाम से प्रसिद्ध हुए। 7 अगस्त, 1941 को कोलकाता में इस बहुमुखी साहित्यकार का निधन हो गया।

साहित्यिक परिचय

टैगोर जी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। विद्यालय में रुचि ने होने के बाद भी साहित्य के प्रति इनका अत्यधिक लगाव था। 8 वर्ष की अल्पायु में इन्होंने पहली कविता लिखी और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। ‘गीतांजलि’ की रचना करके रवीन्द्रनाथ टैगोर जी विश्व कवि बन गए। इसी कृति के लिए इन्हें सन 1913 ईस्वी में साहित्य का सर्वाधिक प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ।

 टैगोर जी ने साहित्य की निबंध, काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक आदि सभी मुख्य विधाओं में साहित्य-रचना की। साहित्य के साथ-साथ इन्होंने नृत्य, संगीत, चित्रकला एवं अभिनय में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। साहित्य एवं संगीत की कितनी ही नई शैलियां इन्होने विकसित की।

आज कला एवं नृत्य-संगीत में  टैगोर जी के द्वारा विकसित नई शैलियाँ इन्हीं के नाम से जानी जाती है। बांग्ला भाषा में इनके द्वारा लिखे गए दो हजार से अधिक गीत ‘रवीन्द्रनाथ संगीत’ के नाम से जाने जाते हैं और बांग्ला भाषियों के द्वारा अत्यधिक रुचि के साथ सुने जाते हैं।

 टैगोर जी जितनी उच्चकोटि के साहित्यकार थे, उतने ही उच्च कोटि के अभिनेता, गीतकार, संगीतकार, चित्रकार और नृत्य कलाकार थे। बांग्ला में मौलिक लेखन के अतिरिक्त रवीन्द्रनाथ टैगोर जी ने कितनी ही कृतियों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ‘आमार शोनार बांग्ला’ भी इन्हीं के विश्वप्रसिद्ध रचनाएं हैं।

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रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की प्रमुख रचनाएँ

रवीन्द्रनाथ टैगोर जी की प्रमुख रचनाओं का परिचय इस प्रकार है –

काव्य कृतियां – गीतांजलि, रवीन्द्रनाथ संगीत, मानसी, सोनार तरी, नैवेद्य, खेया, निरुपमा, करना मुझको क्षमा, पूरबी, बालका, आरोग्य शेषलेखा , क्षणिका, चित्रा, भारत प्रशसित, आज दखिन पवन, चुप-चुप रहना सखी, जन्मकथा आदि।

कहानी – काबुलीवाला, अपरिचिता, अनमोल भेंट, अनाथ, पत्नी का पत्र, गूँगी, पाषाणी, अंतिम प्यार से, कंचन, पिंजर, प्रेम का मूल्य, भिखारिन,विदा, समाज का शिकार, सीमांत आदि।

उपन्यास – आंख की किरकिरी, गोरा ,राजर्षि, चोखेर वाली, घरे, बाइरे।

पत्र – रूस के पत्र।

नाटक – वाल्मीकि , रुद्रचण्ड, प्रतिभा, गीतिनाट्य, राजा, चित्रांगदा, डाकघर, विसर्जन आदि।

लघुकथा – समाप्ति, संस्कार,प्रायश्चित्त, अध्यापक, त्याग आदि।

भाषा

रवीन्द्रनाथ टैगोर मूलतः बंगाली थे। अतः इन्होंने बंगाली भाषा को आधार बनाकर साहित्य सर्जन किया है। इस प्रकार रवीन्द्रनाथ टैगोर जी को वास्तव में बंगाली भाषा के संस्करण की उत्पत्ति का श्रेय दिया जाता है। इनका साहित्य लयबध्द ,आशावादी और गीतात्मक प्रकृति के लिए काफी उल्लेखनीय है।

बंगाली के साथ-साथ टैगोर जी ने अंग्रेजी भाषा में भी साहित्य सर्जन किया है। उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है। अंग्रेजी अनुवाद के बाद इनकी प्रतिभा पूरे विश्व में फैली।

शैली

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 2230 गीतों की रचना की है। इनके गीत बांग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की ठुमरी शैली से प्रभावित ये गीत मानवीय भावनाओं के अलग-अलग रंग प्रस्तुत करते हैं।

टैगोर जी की रचनाओं में सभी प्रसिद्ध शैलियों का प्रयोग हुआ है। इन्होंने चित्रात्मक, वर्णनात्मक, विवेचनात्मक और व्यंग्यात्मक शैली का मुख्य रूप से प्रयोग किया है। इनका व्यंग्य वास्तविकता का उद्घाटन करके व्यवस्था पर करारी चोट करता है।

हिंदी साहित्य में स्थान

रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्व विख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता है। वे बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय चेतना में नई जान फूंकने वाले युगद्रष्टा थे। टैगोर जी एकमात्र कवि हैं, जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनी। भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बांग्ला’ इन्हीं की रचनाएं हैं।

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