ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि क्लास 9 नोट्स – ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है।

ध्वनि तभी उत्पन्न होती है , जब ध्वनि स्रोत कम्पन अवस्था में होता है तथा यह तरंगों के रूप में माध्यम के चारों ओर फैलती है।

प्रत्येक कम्पन करती वस्तु ध्वनि का एक स्रोत होती है।

मनुष्यों में वाकध्वनि उनके वाक – तंतुओं के कंपित होने के कारण उत्पन्न होती है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि का संचरण

कंपन करती हुई वस्तुओं के द्वारा ध्वनि उत्पन्न होती है।

द्रव्य या पदार्थ जिससे होकर धमनी संचारित होती है , माध्यम कहलाता है। यह ठोस , द्रव या गैस हो सकता है।

जब कोई वस्तु कंपन करती है तो यह अपने चारों ओर विद्यमान माध्यम के कणों को कंपमान कर देती है।

ये कण कंपमान वस्तु से हमारे कानों तक स्वयं गति कर नहीं पहुंचते। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

सबसे पहले कंपमान वास्तु के संपर्क में रहने वाले माध्यम के कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं।

ये अपने समीप के कणों पर एक बाल लगते हैं। जिसके फलस्वरूप निकटवर्ती कण अपनी विरामावस्था से विस्थापित हो जाते हैं।

निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात प्रारंभिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं।

माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक की ध्वनि आपके कानों तक नहीं पहुंच जाती।

माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ ( माध्यम के कण नहीं ) माध्यम से होता हुआ संचारित होता है।

ध्वनि संचरण में , माध्यम के कण आगे नहीं बढ़ते , केवल विक्षोभ ही संचरित होता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

वायु में ध्वनि क्रमागत संपीड़नों तथा विरलनों के रूप में संचरित होती है।

संपीड़न उच्च दाब का क्षेत्र है और विरलन निम्न दाब का क्षेत्र है ।

दाब किसी माध्यम के दिए हुए आयतन में कणों की संख्या से संबंधित है।

किसी माध्यम में कणों का अधिक घनत्व अधिक दाब को और कम घनत्व कम दाब को दर्शाता है।

ध्वनि का संचरण घनत्व परिवर्तन के संचरण के रूप में भी देखा जा सकता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता

ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है और इसके संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है।

यह माध्यम ठोस , द्रव अथवा गैस किसी भी अवस्था में हो सकता है। जैसे – वायु , जल , स्टील आदि।

निर्वात में ध्वनि तरंगो का संचरण नहीं हो सकता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि तरंग

ध्वनि किसी भी माध्यम में तरंग के रूप में चलती है।

तरंग एक विक्षोभ है जो किसी माध्यम से होकर गति करता है।

माध्यम में तरंग अथवा विक्षोभ ( हलचल ) के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को तरंग गति कहते है।

तरंग गति में माध्यम के कारण अपनी साम्य स्थिति के दोनों ओर कंपन करते हैं।

तरंग गति में कुछ समय पश्चात माध्यम के आगे वाले कणों में , माध्यम के पीछे वाले कणों जैसी ही गति पाई जाती है।

तरंग गति में माध्यम के कणों का स्थानांतरण नहीं होता , केवल ऊर्जा का स्थानांतरण होता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

तरंगों के प्रकार

यांत्रिक तरंगे – वे तरंगे जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है , यांत्रिक तरंगे कहलाती हैं।

यांत्रिक तरंगे ठोस , द्रव अथवा गैसीय माध्यम में , माध्यम के कणों के कंपनों अथवा दोलनो के कारण संचारित होती है।

उदाहरण – वाद्य यंत्रों में लगे तार में उत्पन्न तरंगे , पानी के पृष्ठ पर उत्पन्न तरंगे इत्यादि।

यांत्रिक तरंगों का संचरण माध्यम के पदार्थ के गुणों ( प्रत्यास्थाता , घनत्व , जड़त्व इत्यादि )पर निर्भर करता है।

ध्वनि तरंगें भी यांत्रिक तरंगे ही है , क्योंकि इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।

माध्यम के कणों के कंपन की दिशा के आधार पर यांत्रिक तरंगों को दो श्रेणीयो में विभक्त किया गया है –

अनुप्रस्थ तरंगे

वे तरंगे जिसमें माध्यम के कण अपनी माध्य स्थितियों पर तरंग संचरण के लंबवत कंपन करते हैं , अनुप्रस्थ तरंगे कहलाती हैं।

माध्यम के कणों की अपनी साम्यावस्था के दोनों और अधिकतम विस्थापन को शृंग व गर्त कहते है।

अनुप्रस्थ तरंगे माध्यम में शृंगों व गर्तों के रूप में बढ़ती है।

ये तरंगे केवल उन्हीं ठोस अथवा द्रवों की सतह पर उत्पन्न की जा सकती है , जिनमें दृढ़ता होती है।

यह तरंगे गैसों में उत्पन्न नहीं की जा सकती है , क्योंकि गैसों में दृढ़ता नहीं होती है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

अनुदैर्ध्य तरंगे

वे तरंगे जिनमें माध्यम के कणों का कंपन तरंग संचरण की दिशा के समांतर होता है , अनुदैर्ध्य तरंगे कहलाती हैं।

अनुदैर्ध्य तरंग माध्यम में संपीड़नों तथा विरलनों के रूप में संचरित होती है।

अनुदैर्ध्य तरंग के संचरण के दौरान , वे स्थितियां जहां कंपन करते हुए माध्यम के कारण पास-पास होते हैं , संपीडन कहलाती है तथा जहां माध्यम के कारण दूर-दूर होते हैं , विरलन कहलाती है।

संपीडन वाले स्थानों पर माध्यम का घनत्व व दाब अधिक होता है , जबकि विरलन वाले स्थानों पर माध्यम का घनत्व व दाब कम होता है।

अनुदैर्ध्य तरंगे ठोस , द्रव , गैस तीनों माध्यम में संचरित हो सकती हैं।

ध्वनि तरंगे अनुदैर्ध्य तरंगे होती है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

विधुत चुंबकीय तरंगे

वे तरंगे जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती तथा ये तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती है , विधुत चुंबकीय तरंगे कहलाती है। उदाहरण – प्रकाश तरंगे , रेडियो तरंगे इत्यादि। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि तरंग के अभिलक्षण

किसी ध्वनि तरंग के निम्नलिखित अभिलक्षण होते है :- आवृत्ति , आयाम और वेग।

ध्वनि माध्यम में क्रमागत संपीड़नों तथा विरलनों के रूप में संचरित होती है।

दो क्रमागत संपीड़नों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है।

दूसरे शब्दों में , वह न्यूनतम दूरी जिस पर किसी माध्यम का घनत्व या दाब आवर्ती रूप में अपने मान की पुनरावृत्ति करता है , ध्वनि की तरंगदैर्ध्य कहलाती है।

तरंगदैर्ध्य को λ से निरूपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

जब ध्वनि किसी माध्यम में संचरित होती है तो माध्यम का घनत्व किसी अधिकतम तथा न्यूनतम मान के बीच बदलता है।

घनत्व के अधिकतम मान से न्यूनतम मान तक परिवर्तन में और पुनः अधिकतम मान तक आने पर एक दोलन पूरा होता है।

एकांक समय में इन दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति कहलाती है।

ध्वनि तरंग की आवृत्ति को v ( ग्रीक अक्षर , न्यू ) से प्रदर्शित करते है और इसका SI मात्रक Hz ( हर्ट्ज ) है।

दो क्रमागत संपीड़नों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते है।

आप कह सकते है कि माध्यम में घनत्व के एक संपूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्त काल कहलाता है।

आवर्तकाल को T से निरूपित करते है तथा इसका मात्रक सेकंड (s) है।

आवृत्ति तथा आवर्त काल के बीच संबंध को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है :- v = 1 / T

ध्वनी का वेग (v) , आवृत्ति (ν) तथा तरंगदैर्ध्य (λ) में संबंध है ,v = λν ध्वनि क्लास 9 नोट्स

किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है , उसे तारत्व कहते है।

तारत्व ध्वनि का वह गुण है , जिससे ध्वनि का मोटा या पतला होना ज्ञात होता है।

मोटी ध्वनि को निम्न तारत्व की ध्वनि तथा पतली ध्वनि को उच्च तारत्व की ध्वनि कहा जाता है।

ध्वनि का तारत्व उसकी आवृत्ति पर निर्भर करता है।

किसी स्रोत का कंपन जितनी शीघ्रता से होता है , आवृत्ति उतनी ही अधिक होती है और उसका तारत्व भी अधिक होता है।

इसी प्रकार जिस ध्वनि का तारत्व कम होता है उसकी आवृत्ति भी कम होती है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते है।

आयाम को A से प्रदर्शित करते है तथा इसका SI मात्रक मीटर (m) होता है।

ध्वनि की प्रबलता अथवा मृदुता मूलतः इसके आयाम से ज्ञात की जाती है।

ध्वनि की गुणता वह अभिलक्षण है जो हमें समान तारत्व तथा प्रबलता की दो ध्वनियों में अंतर करने में सहायता करता है।

एकल आवृत्ति की ध्वनि को टोन कहते है। अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर कहते है।

किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते है।

प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है।

यधपि दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती है फिर भी हम एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते है क्योकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल

ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से बहुत कम होती है।

ध्वनि की चाल उस माध्यम के गुणों पर निर्भर करती है जिसमे ये संचरित होती है।

ध्वनि की चाल मुख्यतः संचरित होने वाले माध्यम की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर होती है।

जब हम ठोसों से गैसीय अवस्था की ओर जाते है तो ध्वनि की चाल कम होती जाती है।

किसी भी माध्यम में ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल भी बढ़ती है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि बूम

जब ध्वनि उत्पादक स्रोत ध्वनि की चाल से अधिक तेजी से गति करती है तो यह वायु में प्रघाती तरंगे उत्पन्न करते हैं। इन प्रघाती तरंगों में बहुत अधिक ऊर्जा होती है।

इस प्रकार की प्रघाती तरंगों से संबद्ध वायुदाब में परिवर्तन से एक बहुत तेज और प्रबल ध्वनि उत्पन्न होती है जिसे ध्वनि बूम कहते हैं।

पराध्वनिक वायुयान से उत्पन्न इस ध्वनि बूम में इतनी मात्रा में ऊर्जा होती है कि यह खिड़कियों के शीशों को तोड़ सकती है और यहां तक कि भवनों को भी क्षति पहुंचा सकती है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि का परावर्तन

प्रकाश की भाँति , ध्वनि की दिशा में भी परिवर्तन हो सकता है। अर्थात ध्वनि किसी ठोस या द्रव सतह से परावर्तित होती है।

दो माध्यमों के अंतरापृष्ठ , जिसे परावर्तक सतह कहते हैं, से टकराकर ध्वनि के वापस लौटने की घटना ध्वनि का परावर्तन कहलाती है।

ध्वनि तरंगों के परावर्तन के लिए बड़े आकार के अवरोधक की आवश्यकता होती है जो चाहे पालिश किए हुए हों या खुरदरे।

ध्वनि भी प्रकाश के भांति परावर्तन के नियमों का पालन करती है।

आपतित ध्वनि तरंग , परावर्तित ध्वनि तरंग तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।

आपतित कोण तथा परावर्तित कोण आपस में बराबर होते हैं। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

प्रतिध्वनि

किसी विस्तृत अथवा बड़े अवरोध से ध्वनि के परावर्तित होकर पुन: सुने जाने की घटना को प्रतिध्वनि कहते हैं।

यदि परावर्तक श्रोता के पास होता है , तो प्रतिध्वनि स्पष्ट सुनाई नहीं देती है।

हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना लगभग 0.1 सेकंड तक बनी रहती है।

अतः स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 सेकंड का समय अंतराल अवश्य होना चाहिए।

ध्वनि के स्रोत तथा अवरोध के बीच की न्यूनतम दूरी 17.2 मीटर होनी चाहिए है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

यह दूरी वायु ( माध्यम ) के ताप के साथ बदल जाती है क्योंकि तप के साथ ध्वनि की चाल में भी परिवर्तन होता है।

ध्वनि के बार-बार परावर्तन के कारण हमें एक से अधिक प्रतिध्वनियाँ भी सुनाई दे सकती हैं।

बादलों के गड़गड़ाहट की ध्वनि कई परावर्तक पृष्ठों जैसे बादलों तथा भूमि से बार-बार परावर्तन के फल स्वरुप उत्पन्न होती है।

यदि ध्वनि श्रोता से प्रेषित ध्वनि तथा वस्तु से परावर्तित ध्वनि के बीच समय अंतराल t हो तो ध्वनि का वेग v हो , तो

स्रोत से वस्तु की दूरी = ( v × t ) / 2 ध्वनि क्लास 9 नोट्स

अनुरणन

किसी बड़े हॉल में उत्पन्न होने वाली ध्वनि दीवारों से बार-बार परावर्तन के कारण बहुत लंबे समय तक बनी रहती है , जब तक कि यह इतनी कम न हो जाए कि यह सुनाई ही न पड़े।

ध्वनि का यह बारंबार प्रवर्तन , जिसके कारण ध्वनि का स्थायित्व होता है ,अनुकरण कहलाता है।

अनुकरण को कम करने के लिए हॉल की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थ जैसे संपीड़ित फाइबर बोर्ड / खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्दे लगे होते हैं।

सीटों के पदार्थों का चुनाव इनके ध्वनि अवशोषक गुणों के आधार पर भी किया जाता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

श्रव्यता का परिसर

मनुष्य के कानों द्वारा आवृत्ति परिसर के सुनने की सुग्राहिता को श्रव्य परिसर कहते हैं।

मनुष्य में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर लगभग 20 Hz से 20000 Hz तक होता है।

पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे तथा कुछ जंतु जैसे कुत्ते 25 kHz तक की ध्वनि सुन सकते हैं।

जैसे-जैसे व्यक्तियों की आयु बढ़ती है उनके कान उच्च – आवर्तियों के लिए काम सुग्राही होते जाते हैं। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

श्रव्यता के परिसर से कम ( 20 Hz से कम ) आवृत्तियों की ध्वनि को ‘ अवश्रव्य ‘ ध्वनि कहते है।

20 Hz से कम व 20000 Hz से अधिक आवर्ती की ध्वनि तरंगों को एक स्वस्थ मनुष्य के कान द्वारा नहीं सुना जा सकता है।

राइनोसिरस ( गेंडा ) 5 Hz तक की आवृत्ति की अवश्रव्य ध्वनि के उपयोग करके संपर्क स्थापित करता है।

व्हेल तथा हाथी अवश्रव्य ध्वनि परिसर की ध्वनियाँ उत्पन्न करते है।

श्रव्यता के परिसर से अधिक ( 20 kHz से अधिक ) आवृत्ति की ध्वनियों को ‘ पराध्वनि ‘ कहते है।

डॉल्फिन , चमगादड़ और पारपाइज पराध्वनि उत्पन्न करते है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

ध्वनि क्लास 9 नोट्स image

पराध्वनि के अनुप्रयोग

पराध्वनियाँ उच्च आवृत्ति के तरंगे है। पराध्वनियाँ अवरोधों की उपस्थिति में भी एक निश्चित पथ पर गमन कर सकती है।

उद्योगों तथा चिकित्सक के क्षेत्र में पराध्वनियों का विस्तृत रूप से प्रयोग किया जाता है।

पराध्वनि प्राय: उन भागों को साफ करने में उपयोग की जाती है जिन तक पहुंचना कठिन होता है।

पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों में दरारें तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

पराध्वनि संसूचक एक ऐसा यंत्र है जो पराध्वनि तरंगों का उपयोग करके मानव शरीर के आंतरिक अंगों का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए काम में लाया जाता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

पराध्वनि तरंगों का ह्रदय के विभिन्न भागों से परावर्तित करा कर ह्रदय का प्रतिबिम्ब बनाया जाता है। इस तकनीक का ” इकोकार्डियोग्राफी ” (ECG) कहा जाता है।

पराध्वनि का उपयोग गुर्दे की छोटी पथरी को बारीक़ कणों में तोड़ने के लिए भी किया जाता है।

चमगादड़ गहन अंधकार में संचालन व अपने भोजन को खोजने के लिए पराध्वनि तरंगों को प्रयोग करता है।

पारपाइज मछलियाँ भी अँधेरे में संचालन व भोजन की खोज में पराध्वनि को उपयोग करती है।

सोनार ( SONAR ) शब्द Sound Navigation And Ranging से बना है। सोनार एक ऐसी युक्ति है , जिसमें जल में स्थित पिंडों की दूरी , दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

मानव कर्ण

कर्ण ( कान ) एक अति संवेदी युक्ति है , जिसकी सहायता से हम सुन पाते हैं।

यह श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलता है , जो श्रवण तांत्रिक से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंचते हैं।

मानव कारण की संरचना एवं कार्यविधि

कर्ण तीन भागो बाहरी कर्ण , मध्यकर्ण तथा आंतरिक कर्ण से मिलकर बना होता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

बाह्य कर्ण

यह कर्ण को वह भाग है , जिसे हम कर्ण के बाहरी सिरे पर देखते हैं। बाह्य कर्ण , कर्ण पल्लव कहलाता है।

यह परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करता है , एकत्रित ध्वनि श्रवण नालियों से गुजरती हैं।

श्रवण नलिका के सिरे पर एक पतली झिल्ली होती है , जिसे कर्ण पटह या कर्ण पटह झिल्ली कहते हैं।

जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह , तक पहुंचाते हैं , तब झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है।

दाब बढ़ाने के कारण कर्ण पटह अंदर की ओर दबता है।

इसी प्रकार विरलन के कारण कर्ण पटह बाहर की ओर गति करता है।

इस प्रक्रिया के अंतर्गत है कर्ण पटह कंपन करता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

मध्य कर्ण

मध्य कर्ण में तीन हड्डियां मुग्दरक , निहाई तथा वलयक विद्यमान होती है।

ये हड्डियां एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं तथा ये कर्ण पटह के कंपनों को कई गुना बढ़ा देती हैं।

इसके बाद मध्य कर्ण ध्वनि तरंगों से मिलने वाले इन दाब परिवर्तनों को आंतरिक कर्ण तक संचारित कर देता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

आंतरिक कर्ण

आंतरिक कर्ण एक घुमावदार नलिका होती है , जिसे कर्णवृत्त कहते हैं।

इसका एक भाग मध्य कर्ण से होकर प्रत्यास्थ झिल्ली तक पहुंचता है तथा दूसरा भाग मस्तिष्क से जुड़ा होता है।

इस कर्णवृत्त द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है।

इन विद्युत संकेतों को श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है और मस्तिक इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है। ध्वनि क्लास 9 नोट्स

MCQ

प्रश्न 1. ध्वनि तभी उत्पन्न होती है , जब ध्वनि स्रोत होता है –

उत्तर- कम्पन अवस्था में

प्रश्न 2. प्रत्येक कम्पन करती वस्तु ध्वनि का होती है –

उत्तर- एक स्रोत

प्रश्न 3. द्रव्य या पदार्थ जिससे होकर धमनी संचारित होती है ,कहलाता है –

उत्तर- माध्यम

प्रश्न 4. ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है और इसके संचरण के लिए आवश्यकता होती है –

उत्तर- किसी माध्यम की

प्रश्न 5. ध्वनि तरंगो का संचरण नहीं हो सकता है –

उत्तर- निर्वात में

प्रश्न 6. ध्वनि किसी भी माध्यम में चलती है –

उत्तर- तरंग के रूप में

प्रश्न 7. तरंग एक है जो किसी माध्यम से होकर गति करता है –

उत्तर- विक्षोभ

प्रश्न 8. माध्यम में तरंग अथवा विक्षोभ ( हलचल ) के आगे बढ़ने की प्रक्रिया को कहते है –

उत्तर- तरंग गति

प्रश्न 9. तरंग गति में माध्यम के कारण कंपन करते हैं –

उत्तर- अपनी साम्य स्थिति के दोनों ओर

प्रश्न 10. तरंग गति में माध्यम के कणों का स्थानांतरण नहीं होता , केवल स्थानांतरण होता है –

उत्तर- ऊर्जा का

प्रश्न 11. वे तरंगे जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता होती है , कहलाती हैं –

उत्तर- यांत्रिक तरंगे

प्रश्न 12. वे तरंगे जिसमें माध्यम के कण अपनी माध्य स्थितियों पर तरंग संचरण के लंबवत कंपन करते हैं , कहलाती हैं –

उत्तर- अनुप्रस्थ तरंगे

प्रश्न 13. माध्यम के कणों की अपनी साम्यावस्था के दोनों और अधिकतम विस्थापन को कहते है –

उत्तर- शृंग व गर्त

प्रश्न 14. अनुप्रस्थ तरंगे माध्यम में बढ़ती है –

उत्तर- शृंगों व गर्तों के रूप में

प्रश्न 15. अनुप्रस्थ तरंगे केवल उन्हीं ठोस अथवा द्रवों की सतह पर उत्पन्न की जा सकती है , जिनमें होती है –

उत्तर- दृढ़ता

प्रश्न 16. अनुप्रस्थ तरंगे गैसों में उत्पन्न नहीं की जा सकती है , क्योंकि गैसों में नहीं होती है –

उत्तर- दृढ़ता

प्रश्न 17. वे तरंगे जिनमें माध्यम के कणों का कंपन तरंग संचरण की दिशा के समांतर होता है , कहलाती हैं –

उत्तर- अनुदैर्ध्य तरंगे

प्रश्न 18. अनुदैर्ध्य तरंग माध्यम में संचरित होती है –

उत्तर- संपीड़नों तथा विरलनों के रूप में

प्रश्न 19. अनुदैर्ध्य तरंग के संचरण के दौरान , वे स्थितियां जहां कंपन करते हुए माध्यम के कारण पास-पास होते हैं , कहलाती है –

उत्तर- संपीडन

प्रश्न 20. अनुदैर्ध्य तरंग के संचरण के दौरान , वे स्थितियां जहां कंपन करते हुए माध्यम के कारण दूर-दूर होते हैं , कहलाती है –

उत्तर- विरलन

प्रश्न 21. संपीडन वाले स्थानों पर माध्यम का अधिक होता है –

उत्तर- घनत्व व दाब

प्रश्न 22. विरलन वाले स्थानों पर माध्यम का घनत्व व दाब होता है –

उत्तर- कम

प्रश्न 23. ध्वनि तरंगे होती है –

उत्तर- अनुदैर्ध्य तरंगे

प्रश्न 24. वे तरंगे जिनके संचरण के लिए भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती तथा ये तरंगे निर्वात में भी संचरित हो सकती है , कहलाती है –

उत्तर- विधुत चुंबकीय तरंगे

प्रश्न 25. दो क्रमागत संपीड़नों अथवा दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी कहलाती है –

उत्तर- तरंगदैर्ध्य

प्रश्न 26. एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या ध्वनि तरंग की कहलाती है –

उत्तर- आवृत्ति

प्रश्न 27. दो क्रमागत संपीड़नों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का कहते है –

उत्तर- आवर्तकाल

प्रश्न 28. किसी उत्सर्जित ध्वनि की आवृत्ति को मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है , उसे कहते है –

उत्तर- तारत्व

प्रश्न 29. जिस ध्वनि का तारत्व कम होता है उसकी आवृत्ति होती है –

उत्तर- कम

प्रश्न 30. किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का कहते है –

उत्तर- आयाम

प्रश्न 31. ध्वनि की प्रबलता अथवा मृदुता मूलतः ज्ञात की जाती है –

उत्तर- इसके आयाम से

प्रश्न 32. एकल आवृत्ति की ध्वनि को कहते है –

उत्तर- टोन

प्रश्न 33. किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की कहते है –

उत्तर- तीव्रता

प्रश्न 34. अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को कहते है –

उत्तर- स्वर

प्रश्न 35. ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है –

उत्तर- प्रबलता

प्रश्न 36. ध्वनि की चाल प्रकाश की चाल से होती है –

उत्तर- बहुत कम

प्रश्न 37. जब हम ठोसों से गैसीय अवस्था की ओर जाते है तो ध्वनि की चाल होती जाती है –

उत्तर- कम

प्रश्न 38. किसी भी माध्यम में ताप बढ़ने पर ध्वनि की चाल –

उत्तर- बढ़ती है

प्रश्न 39. दो माध्यमों के अंतरापृष्ठ , जिसे परावर्तक सतह कहते हैं, से टकराकर ध्वनि के वापस लौटने की घटना कहलाती है –

उत्तर- ध्वनि का परावर्तन

प्रश्न 40. ध्वनि भी प्रकाश के भांति पालन करती है –

उत्तर- परावर्तन के नियमों का

प्रश्न 41. किसी विस्तृत अथवा बड़े अवरोध से ध्वनि के परावर्तित होकर पुन: सुने जाने की घटना को कहते हैं –

उत्तर- प्रतिध्वनि

प्रश्न 42. हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना बनी रहती है –

उत्तर- लगभग 0.1 सेकंड तक

प्रश्न 43. स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच समय अंतराल अवश्य होना चाहिए –

उत्तर- कम से कम 0.1 सेकंड का

प्रश्न 44. प्रतिध्वनि सुनने के लिए , ध्वनि के स्रोत तथा अवरोध के बीच की न्यूनतम दूरी होनी चाहिए है –

उत्तर- 17.2 मीटर

प्रश्न 45. मनुष्य के कानों द्वारा आवृत्ति परिसर के सुनने की सुग्राहिता को कहते हैं –

उत्तर- श्रव्य परिसर

प्रश्न 46. मनुष्य में ध्वनि की श्रव्यता का परिसर लगभग होता है –

उत्तर- 20 Hz से 20000 Hz तक

प्रश्न 47. श्रव्यता के परिसर से कम ( 20 Hz से कम ) आवृत्तियों की ध्वनि को कहते है –

उत्तर- अवश्रव्य ध्वनि

प्रश्न 48. श्रव्यता के परिसर से अधिक ( 20 kHz से अधिक ) आवृत्ति की ध्वनियों को कहते है –

उत्तर- पराध्वनि

प्रश्न 49. चमगादड़ गहन अंधकार में संचालन व अपने भोजन को खोजने के लिए प्रयोग करता है –

उत्तर- पराध्वनि तरंगों को

प्रश्न 50. मानव कर्ण की श्रवण नलिका के सिरे पर एक पतली झिल्ली होती है , जिसे कहते हैं –

उत्तर- कर्ण पटह या कर्ण पटह झिल्ली

प्रश्न 51. मानव कर्ण का आंतरिक कर्ण एक घुमावदार नलिका होती है , जिसे कहते हैं –

उत्तर- कर्णवृत्त