हम बीमार क्यों होते है

हम बीमार क्यों होते है

हम बीमार क्यों होते है – कोशिकाएँ सजीवों की मौलिक इकाई हैं।

कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों ; जैसे – प्रोटीन , कार्बोहाइड्रेट , वसा अथवा लिपिड , आदि से बनी होती है।

कोशिकाओं के अंदर कुछ न कुछ क्रियाएँ सदैव होती रहती है।

कोशिकाएँ एक स्थान से दूसरे स्थान को गतिशील रहती है।

यहाँ तक कि जिन कोशिकाओं में गति नहीं होती है उनमे भी कुछ न कुछ मरम्मत का कार्य चलता रहता है। हम बीमार क्यों होते है

ऐसा कोई भी कारक जो कोशिकाओं एवं ऊतकों को उचित प्रकार से कार्य करने से रोकता है , वह हमारे शरीर की समुचित क्रिया में कमी का कारण होगा।

‘ स्वास्थ्य ‘ वह अवस्था है जिसके अंतर्गत शारीरिक , मानसिक तथा सामाजिक कार्य समुचित क्षमता द्वारा उचित प्रकार से किया जा सके।

किसी का स्वास्थ्य उसके भौतिक पर्यावरण तथा आर्थिक अवस्था पर निर्भर करता है।

हम किसी रोग के लक्षणों की अभिव्यक्ति के बिना भी अस्वस्थ हो सकते है।

यही कारण है जब हम स्वास्थ्य के विषय में सोचते हैं , हम समाज तथा समुदाय के विषय में सोचते है।

रोग के विषय में सोचते समय हम सिर्फ अपने बारे में विचार करते है। हम बीमार क्यों होते है

रोग यह स्वस्थ शरीर की कार्यिकी में उत्पन्न वह गतिरोध है , जो इसकी कार्य क्षमता को प्रभावित करता है।

रोग के चिन्ह वे है जिन्हें चिकित्सक लक्षणों के आधार पर देखते है। लक्षण किसी विशेष रोग के बारे में सुनिश्चित संकेत देते है।

रोगों की अवधि के आधार पर इसे तीव्र तथा दीर्घकालिक दो वर्गों में विभाजित कर सकते है।

ऐसे रोग जो कम अवधि तक रहते है , तीव्र रोग कहलाते है। जैसे जुकाम , खाँसी , आदि।

तीव्र रोग मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक हानिकारक प्रभाव नहीं डालते है। हम बीमार क्यों होते है

ऐसे रोग जो लम्बी अवधि तक अथवा जीवनपर्यंत रहते हैं , दीर्घकालिक रोग कहलाते है। जैसे हाथीपाँव , फीलपाँव , आदि।

ये रोग मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक विपरीत प्रभाव डालते है।

सभी रोगों के तात्कालिक कारण तथा सहायक कारण होते है। साथ ही विभिन्न प्रकार के रोग होने के एक नहीं बल्कि बहुत से कारण होते है।

रोग के कारक संक्रामक अथवा असंक्रामक हो सकते है।

संक्रमक कारक जीवों के विभिन्न वर्ग से हो सकते है। ये एककोशिका सूक्ष्मजीव अथवा बहुकोशिका हो सकते है।

वह रोग जिनके तात्कालिक कारक सूक्ष्म जीव होते हैं उन्हें संक्रामक रोग कहते है। हम बीमार क्यों होते है

असंक्रामक रोग वे रोग , जो एक रोगी व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में संचरित नहीं होती है ; उदाहरण – उच्च रुधिर चाप , एनीमिया , टाइफाइड , कैंसर आदि |

रोगो के फैलने के तरीके तथा उनके उपचार की विधियाँ तथा सामुदायिक स्तर पर उनके निवारण की विधियाँ विभिन्न रोगों के लिए भिन्न – भिन्न होती है।

यहाँ पर यह निर्भर करता है कि इनके तात्कालिक कारण संक्रामक है अथवा असंक्रामक।

वायरस से होने वाले सामान्य रोग है खाँसी – जुकाम , इन्फ्लुएंजा , डेंगू बुखार तथा एड्स।

टाइफाइड बुखार , हैजा , क्षयरोग तथा एंथ्रेक्स बैक्टीरिया द्वारा होते हैं। हम बीमार क्यों होते है

बहुत से सामान्य त्वचा रोग विभिन्न प्रकार के फंजाई द्वारा होते हैं।

प्रोटोजोआ से मलेरिया , तथा कालाजार नामक रोग हो जाते हैं।

फीलपाँव नामक रोग कृमि की विभिन्न स्पीशीज द्वारा होता है।

स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया मुँहासों का कारक होता है।

प्रोटोजोआ ट्रिपनोसोमा निंद्रालु व्याधि का कारक होता है।

लेश्मानिया प्रोटोजोआ कालाजार व्याधि का कारक होता है।

गोलकृमि छोटी आंत में पाया जाता है। हम बीमार क्यों होते है

सभी वायरस , परपोषी की कोशिकाओं में रहते हैं , लेकिन बैक्टीरिया में ऐसा कम ही होता है।

वायरस , बैक्टीरिया तथा फंजाई में गुणन अत्यंत तेजी से होता है जबकि तुलनात्मक रूप से कृमि में गुणन मंद होता है।

औषधि जो किसी वर्ग में किसी एक जैव प्रक्रिया को रोकते हैं तो यह उसे वर्ग के अन्य सदस्यों पर भी इसी प्रकार का प्रभाव डालेगी। लेकिन वही औषधि अन्य वर्ग से संबंधित रोगाणुाओं पर प्रभाव नहीं डालेगी।

एंटीबायोटिक सामान्यतः बैक्टीरिया के महत्वपूर्ण जैव रासायनिक मार्ग को बंद कर देते हैं।

बहुत – से बैक्टीरिया अपनी रक्षा के लिए कोशिका भित्ति बना लेते हैं। हम बीमार क्यों होते है

पेनिसिलिन , एंटीबायोटिक बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति बनाने वाली प्रक्रिया को बाधित कर देती हैं। इसके परिणाम स्वरुप बैक्टीरिया कोशिका भित्ति नहीं बना सकते हैं और वे सरलता से मर जाते हैं।

मानव की कोशिकाएं कोशिका भित्ति नहीं बन सकती इसलिए पेनिसिलिन का प्रभाव हम पर नहीं होता।

पेनिसिलिन ऐसी सभी बैक्टीरिया को प्रभावित करेगा जिनमें कोशिका भित्ति बनाने की प्रक्रिया होती है।

बहुत से एंटीबायोटिक बैक्टीरिया की अनेक स्पीशीज को प्रभावित करते हैं ना कि केवल एक स्पीशीज को।

कोई भी एंटीबायोटिक वाइरस संक्रमण पर प्रभावकारी नहीं होती है। हम बीमार क्यों होते है

रोग का उपचार उसके कारक रोगाणु के वर्ग के आधार पर किया जाता है।

संक्रामक कारक वायु , जल , शारीरिक संपर्क अथवा रोगवाहक द्वारा फैलते हैं।

संक्रामक रोग को संचारी रोग भी कहते है।

वायु द्वारा फैलने वाले रोगों के उदाहरण है खाँसी – जुकाम , निमोनिया तथा क्षय रोग।

कुछ सूक्ष्मजीवीय रोग जैसे सिफलिस अथवा एड्स लैंगिक संपर्क के समय एक साथी से दूसरे साथी में स्थानांतरित हो जाते है।

यधपि ऐसे लैंगिक संचारी रोग सामान्य संपर्क जैसे हाथ मिलाना अथवा गले मिलना अथवा खेलकूद जैसे कुश्ती , अथवा और कोई अन्य विधि जिसमें हम सामाजिक रूप से एक – दूसरे के संपर्क में आते है , से नहीं फैलते।

एड्स , लैंगिक संपर्क के अतिरिक्त रक्त स्थानांतरण द्वारा भी संक्रमित होता है। हम बीमार क्यों होते है

सूक्ष्मजीवी के विशिष्ट आवास स्थानों का निर्धारण उनके प्रवेश के स्थान पर निर्भर करता है।

यदि वे वायु द्वारा नासिक में प्रवेश करते हैं , तो फेफड़ों में पहुंचते हैं। ट्यूबरक्लोसिस रोग उत्पन्न करने वाला जीवाणु इसी प्रकार शरीर में प्रवेश करता है।

यदि वे मुख द्वारा प्रवेश करते हैं , वे आहार नाल के आस्तर में रह सकते हैं , जैसे – टाइफाइड रोग उत्पन्न करने वाला जीवाणु।

यदि वे लैंगिक संपर्क द्वारा प्रवेश करते हैं , तो वे पूरे शरीर में लसिका ग्रंथियां में फैल जाते हैं। जैसे – HIV।

यदि वे मच्छर के काटने से प्रवेश करते हैं , तो वे रुधिर से यकृत और वहाँ से लाल रुधिर कोशिकाओं में जा सकते हैं , जैसे – मलेरिया उत्पन्न करने वाला प्रोटोजोआ। ये मस्तिष्क तक भी पहुंच जाते हैं ; जैसे – जापानी मस्तिष्क ज्वर फैलाने वाला विषाणु। हम बीमार क्यों होते है

किसी रोग के चिन्ह व सामान्य लक्षण रोगजनकों द्वारा लक्ष्य ऊतक या अंग पर निर्भर करते हैं।

यदि फेफड़ों में संक्रमण होता है , तो खांसी व सांस लेने में परेशानी होना सामान्य लक्षण होंगे।

यकृत में संक्रमण होने से पीलिया हो सकता है।

मस्तिष्क में संक्रमण होने से सिरदर्द , उल्टी , चक्कर आना , आदि की शिकायत हो सकती है।

इन अंग विशिष्ट तथा ऊतक विशिष्ट लक्षणों के अतिरिक्त संक्रामक रोगों के कुछ सामान्य लक्षण भी होते हैं , जो शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र पर निर्भर करते हैं।

रोग की तीव्रता की अभिव्यक्ति शरीर में स्थित सूक्ष्मजीवों की संख्या पर निर्भर करती है।

यदि सूक्ष्मजीव की संख्या बहुत कम है तो रोग की अभिव्यक्ति भी कम होगी।

यदि उसी सूक्ष्म जीव की संख्या अधिक होगी तो रोग की अभिव्यक्ति इतनी तीव्र होगी कि जीवन को भी खतरा हो सकता है। हम बीमार क्यों होते है

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प्रतिरक्षा तंत्र एक प्रमुख कारक है जो शरीर में जीवित सूक्ष्म जीवों की संख्या को निर्धारित करता है।

एंटीवायरस औषधि का बनाना एंटीबैक्टीरियल औषधि के बनाने की अपेक्षा कठिन है।

इसका कारण है बैक्टीरिया में अपनी जैव रासायनिक प्रणाली होती है जबकि वायरस में अपनी जैव रासायनिक प्रणाली बहुत कम होती है।

वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और अपनी जीवन प्रक्रिया के लिए हमारी मशीनरी का उपयोग करते हैं।

इसका अर्थ यह है कि आक्रमण करने के लिए अपेक्षाकृत कम वायरस विशिष्ट लक्ष्य होता है।

इन सीमाओं के बावजूद और प्रभावशाली एंटीवायरस औषधि भी उपलब्ध है , उदाहरण के लिए HIV संक्रमण को नियंत्रित करने वाली औषधि। हम बीमार क्यों होते है

गंभीर संक्रामक रोग प्रतिरक्षा तंत्र की असफलता को इंगित करता है।

जब रोगाणु प्रतिरक्षा तंत्र पर पहली बार आक्रमण करते हैं तो प्रतिरक्षा तंत्र रोगाणुाओं के प्रति क्रिया करता है और फिर इसका विशिष्ट रूप से स्मरण कर लेता है।

इस प्रकार जब वही रोगाणु या उससे मिलता – जुलता रोगाणु संपर्क में आता है तो पूरी शक्ति से उसे नष्ट कर देता है।

इससे पहले संक्रमण की अपेक्षा दूसरा संक्रमण शीघ्र ही समाप्त हो जाता है। यह प्रतिरक्षाकरण के नियम का आधार है।

रोगों का निवारण सफल उपचार की अपेक्षा अच्छा है।

संक्रामक रोगों का निवारण जन स्वास्थ्य स्वच्छता विधियों द्वारा किया जा सकता है जिससे संक्रामक कारक काम हो जाते हैं।

टीकाकरण द्वारा संक्रामक रोगों का निवारण किया जा सकता है।

संक्रामक रोगों के निवारण को प्रभावशाली बनाने के लिए आवश्यक है कि सार्वजनिक स्वच्छता तथा टीकाकरण की सुविधा सभी को उपलब्ध हो। हम बीमार क्यों होते है

MCQ

प्रश्न 1. कोशिकाएँ सजीवों की हैं –

उत्तर- मौलिक इकाई

प्रश्न 2. रोगों की अवधि के आधार पर इसे दो वर्गों में विभाजित कर सकते है –

उत्तर- तीव्र तथा दीर्घकालिक

प्रश्न 3. ऐसे रोग जो कम अवधि तक रहते है , कहलाते है –

उत्तर- तीव्र रोग

प्रश्न 4. ऐसे रोग जो लम्बी अवधि तक अथवा जीवनपर्यंत रहते हैं , कहलाते है –

उत्तर- दीर्घकालिक रोग

प्रश्न 5. वह रोग जिनके तात्कालिक कारक सूक्ष्म जीव होते हैं उन्हें कहते है –

उत्तर- संक्रामक रोग

प्रश्न 6. खाँसी – जुकाम , इन्फ्लुएंजा , डेंगू बुखार तथा एड्स होते है –

उत्तर- वाइरस द्वारा

प्रश्न 7. टाइफाइड बुखार , हैजा , क्षयरोग तथा एंथ्रेक्स होते हैं –

उत्तर- बैक्टीरिया द्वारा

प्रश्न 8. मुँहासों का कारक होता है –

उत्तर- स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया

प्रश्न 9. प्रोटोजोआ निंद्रालु व्याधि का कारक होता है –

उत्तर- ट्रिपनोसोमा

प्रश्न 10. प्रोटोजोआ कालाजार व्याधि का कारक होता है –

उत्तर- लेश्मानिया

प्रश्न 11. सामान्यतः बैक्टीरिया के महत्वपूर्ण जैव रासायनिक मार्ग को बंद कर देते हैं –

उत्तर- एंटीबायोटिक

प्रश्न 12. बहुत – से बैक्टीरिया अपनी रक्षा के लिए बना लेते हैं –

उत्तर- कोशिका भित्ति

प्रश्न 13. संक्रामक रोग को भी कहते है –

उत्तर- संचारी रोग

प्रश्न 14. सूक्ष्मजीवी के विशिष्ट आवास स्थानों का निर्धारण निर्भर करता है –

उत्तर- उनके प्रवेश के स्थान पर

प्रश्न 15. रोग की तीव्रता की अभिव्यक्ति निर्भर करती है –

उत्तर- शरीर में स्थित सूक्ष्मजीवों की संख्या पर

प्रश्न 16. गंभीर संक्रामक रोग इंगित करता है –

उत्तर- प्रतिरक्षा तंत्र की असफलता को