प्राचीन भारत old ncert notes
प्राचीन भारत old ncert notes – प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। इससे हम जानते हैं कि मानव – समुदायों ने हमारे देश में प्राचीन संस्कृतियों का विकास कब , कहां और कैसे किया।
कोई समुदाय तब तक सभ्य नहीं समझा जाता जब तक वह लिखना नहीं जानता हो। आज भारत में जो विभिन्न प्रकार की लिपियाँ प्रचलन में है उन सबका विकास प्राचीन लिपियों से हुआ है।
हमारी वर्तमान भाषाओं की जड़े अतीत में है और वे कई युगों में विकसित हुई है।
भारत में अनेक मानव – प्रजातियों का मिश्रण हुआ है जिनमें प्रमुख है – प्राक – आर्य , भारतीय आर्य , यूनानी , शक , हूण , तुर्क आदि। इन सभी ने भारतीय सामाजिक – व्यवस्था , वास्तुकला , शिल्पकला और साहित्य के विकास में योगदान दिया।
प्राचीन भारतीय संस्कृति की विलक्षणता यह रही है कि इसमें उत्तर और दक्षिण के , तथा पूर्व और पश्चिम के सांस्कृतिक उपादान समेकित हो गए हैं। प्राचीन भारत old ncert notes
आर्य जातीय उपादान उत्तर के वैदिक और संस्कृतमूलक संस्कृति से समानता प्रकट करते हैं , वहीं प्राक आर्य जातीय उपादान दक्षिण की द्रविड़ और तमिल संस्कृति से।
द्रविड़ और संस्कृतेतर भाषाओं के बहुत से शब्द वैदिक ग्रंथों (1500-500 ई. पू. ) में भी पाए जाते हैं। ये शब्द प्रायद्वीपीय एवं वैदिकेतर भारत से संबंध भावनाओं , संस्थाओं , उत्पादों और निवासों के द्योतक हैं।
पालि और संस्कृत के बहुत से शब्द जो गंगा के मैदानों में विकसित भावनाओं और संस्थाओं के द्योतक हैं , प्राचीनतम तमिल ग्रंथों ( संगम साहित्य ,300 ई. पू . – 600 ई. ) में मिलते हैं।
भारत के पूर्वांचल में जहां प्राक आर्य जातियां बसी हुई है , यहाँ के लोग मुंडा या कोल भाषाएं बोलते हैं।
भाषा वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि हिंद – आर्य भाषाओं में फाहा , नौका , खंती ( डिगिंग स्टिक ) आदि के सूचक बहुत शब्द मिलते हैं जो मुंडा भाषाओं से लिए गए हैं। प्राचीन भारत old ncert notes
द्रविड़ भाषा के भी अनेक शब्द हिंद – आर्य भाषाओं में पाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि वैदिक भाषा में जो ध्वन्यात्मक और शब्दात्मक परिवर्तन लक्षित होते हैं उनकी व्याख्या मुंडा प्रभाव के आधार पर जितनी की जा सकती है उतनी ही द्रविड़ प्रभाव के आधार पर।
हमारे देश में विविधताओं के बावजूद भीतर से गहरी एकता झलकती है। प्राचीन भारत के लोग एकता के लिए प्रयत्नशील रहे। उन्होंने इस विशाल उपमहाद्वीप को एक अखंड देश समझा।
सारे देश को ‘ भरत ‘ नामक एक प्राचीन कबीला के नाम पर ‘ भारतवर्ष ‘ ( अर्थात भरतों का देश ) नाम दिया गया और इसके निवासियों को ‘ भरतसंतति ‘ कहा गया।
हमारे प्राचीन कवियों , दार्शनिकों और शास्त्रकारों ने इस देश को एक अखंड सत्ता के रूप में देखा है। प्राचीन भारत old ncert notes
हिमालय से कन्याकुमारी तक , पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी से पश्चिम में सिंध – पार तक अपना राज्य फैलाने वाले राजाओं का व्यापक रूप से यशोगान किया गया है। ऐसे राजा चक्रवर्तिन कहलाते थे।
देश में इस प्रकार की राजनीतिक एकता कम से कम दो बार प्राप्त हुई थी। ईसा – पूर्व तीसरी सदी में अशोक ने अपना साम्राज्य सुदूर दक्षिणांचल को छोड़ सारे देश में फैलाया।
फिर ईसा की चौथी सदी में समुद्रगुप्त की विजय – पताका गंगा की घाटी से तमिल देश के छोर तक पहुंची।
सातवीं सदी में चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय ने हर्षवर्धन को हराया। जो संपूर्ण उत्तर भारत का अधिपति माना जाता था।
राजनीतिक एकता के अभाव की स्थिति में भी , सारे देश में राजनीतिक ढांचा कमो – बेश एक – जैसा रहा। प्राचीन भारत old ncert notes
विदेशी सर्वप्रथम सिंधु तटवासियों के संपर्क में आए। इसलिए उन्होंने पूरे देश को ही सिंधु या इंडस नाम दे दिया।
‘ हिन्द ‘ शब्द संस्कृत के ‘ सिंधु ‘ से निकला है और आगे चलकर यह देश ‘ इंडिया ‘ के नाम से मशहूर हो गया जो इसके यूनानी पर्याय के बहुत निकट है। फारसी और अरबी भाषाओं में इसे ‘ हिन्द ‘ कहा गया।
ईसा – पूर्व तीसरी सदी में संपूर्ण देश की ‘ संपर्क भाषा ‘ प्राकृत थी।
देश के प्रमुख भागों में अशोक के शिलालेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में लिखे गए थे।
बाद में इस संपर्क भाषा का स्थान संस्कृत में ले लिया और देश के कोने – कोने में राजाभाषा के रूप में प्रचलित हुई। प्राचीन भारत old ncert notes
गुप्त काल में संस्कृत राजभाषा के रूप में पूरी तरह से प्रतिष्ठित हो गयी और राजकीय दस्तावेज संस्कृत में लिखे जाने गए।
प्राचीन महाकाव्य ‘ रामायण ‘ और ‘ महाभारत ‘ तमिल देश में भी इस भक्ति – भाव से पढ़े जाते थे जैसे काशी और तक्षशिला की पंडित मंडलियों में।
उपर्युक्त दोनों महाकाव्य की रचना मूलतः संस्कृत में हुई थी जिन्हें बाद में विभिन्न स्थानीय भाषाओं में भी प्रस्तुत किया गया।
भारत के सांस्कृतिक मूल्य और चिंतन चाहे जिस किसी भी रूप में प्रस्तुत किये जाएँ , उनका सारत्व सारे देश में एक – सा रहा है।
भारतीय इतिहास की यह विशेषता है कि यहां एक विचित्र प्रकार की सामाजिक व्यवस्था उदित हुई है। प्राचीन भारत old ncert notes
उत्तर भारत में वर्ण – व्यवस्था या जाति प्रथा का जन्म हुआ जो सारे देश में व्याप्त हो गई।
प्राचीन काल में जो लोग बाहर से आए वे भी किसी – न – किसी वर्ण / जाति में मिल गए।
वर्णव्यवस्था ने ईसाइयों और मुसलमानों को भी प्रभावित किया। धर्म परिवर्तन करने वाले लोग किसी – न – किसी जाति के थे , और वे हिंदू धर्म को छोड़ नए धर्म में दीक्षित हो जाने पर भी पूर्व की अपनी जाति के कुछ रीति – रिवाज पर पूर्ववत चलते रहे।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि प्राचीन भारतीय समाज सामाजिक न्याय से मुक्त नहीं था। निम्न वर्णों पर विशेषत: शूद्रों और चाण्डालों पर जिस तरह से अयोग्यताए थोप दी गई थी वह आज के विचार में बड़ा ही खेदजनक है।
भारत में सभ्यता के विकास की धारा इन सामाजिक भेदभावों की वृद्धि के साथ – साथ बही है।
पुराने लोकाचार , मान्यताएं , सामाजिक रीति – रिवाज और धार्मिक कर्मकांड को उपनिवेशीय परिस्थिति में जान – बूझकर बढ़ावा दिया गया। प्राचीन भारत old ncert notes
MCQ
प्रश्न 1 – कोई समुदाय तब तक सभ्य नहीं समझा जाता जब तक वह नहीं जानता हो –
उत्तर – लिखना
प्रश्न 2 – आज भारत में जो विभिन्न प्रकार की लिपियाँ प्रचलन में है उन सबका विकास हुआ है –
उत्तर – प्राचीन लिपियों से
प्रश्न 3 – हमारे देश का नाम भारतवर्ष किसके नाम पड़ा ?
उत्तर – भरत नामक एक प्राचीन वंश के नाम पर
प्रश्न 4 – भरत संतति कहा जाता था –
उत्तर – भारत देश के निवासियों को
प्रश्न 5 – हिमालय से कन्याकुमारी तक , पूर्व में ब्रह्मपुत्र घाटी से पश्चिम में सिंध – पार तक अपना राज्य फैलाने वाले राजाओं को कहा जाता था –
उत्तर – चक्रवर्तिन
प्रश्न 6 – सातवीं सदी में चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय ने हराया –
उत्तर – हर्षवर्धन को
प्रश्न 7 – विदेशी सर्वप्रथम सिंधु तटवासियों के संपर्क में आए। इसलिए उन्होंने पूरे देश को नाम दे दिया –
उत्तर – सिंधु या इंडस
प्रश्न 8 – ‘ हिन्द ‘ शब्द संस्कृत के किस शब्द से निकला है ?
उत्तर – ‘ सिंधु ‘
प्रश्न 9 – ईसा – पूर्व तीसरी सदी में संपूर्ण देश की ‘ संपर्क भाषा ‘ थी –
उत्तर – प्राकृत
प्रश्न 10 – देश के प्रमुख भागों में अशोक के शिलालेख लिखे गए थे –
उत्तर – प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में