भौगोलिक ढांचा
भौगोलिक ढांचा – भारतीय उपमहाद्वीप इतना बड़ा है जितना रूस को छोड़ सारा यूरोप। इसका कुल क्षेत्रफल 4202500 वर्ग किलोमीटर है।
भारतीय उपमहाद्वीप पांच देशों में बँटा है – भारत , बांग्लादेश , नेपाल , भूटान और पाकिस्तान।
भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग उष्णकटिबंध में पड़ता है।
भारत के इतिहास में मानसून की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
भारत में ‘ दक्षिण – पश्चिम मानसून ‘ जून से अक्टूबर तक रहता है और देश के अधिकांश भाग में विभिन्न मात्रा में वर्षा करता है।
जाड़े में पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी भारत में वर्षा होती है।
प्रायद्वीपीय भारत विशेषकर तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में मध्य अक्टूबर से मध्य दिसंबर तक अधिकतम वर्षा उत्तर – पूर्व मानसून से होती है।
एक बार जब ईशा की पहली सदी के आस – पास मानसून की दिशा मालूम हो गई , व्यापारी लोग उत्तर – पश्चिमी मानसून के सहारे जहाजों पर सवार होकर पश्चिम एशिया और भूमध्य सागरीय क्षेत्र से चलकर भारत और दक्षिण – पूर्व एशिया आने लगे। वे लोग उत्तर – पूर्व मानसून के उतरने पर पश्चिम की ओर लौटते थे।
मानसून के ज्ञान के फलस्वरुप भारत पश्चिम एशिया , भूमध्यायसागरीय क्षेत्र और दक्षिण – पूर्व एशिया से व्यापार करने और सांस्कृतिक संपर्क स्थापित करने में समर्थ हो गया।
भारत उत्तर में हिमालय से और शेष तीन दिशाओं में समुद्रों से घिरा है।
हिमालय साइबेरिया से चलकर मध्य एशिया को पार करने वाली उत्तरध्रुवीय हवाओं को रोकता है और इस प्रकार हमारे देश की रक्षा करता है। यही कारण है कि उत्तर भारत की जलवायु लगभग पूरे साल काफी गर्म रहती है।
हिमालय बहुत ऊंचा होने के कारण उत्तर से होने वाले हमलों से देश की रक्षा करता है।
उत्तर – पश्चिम में सुलेमान पर्वत श्रंखला को खैबर , बोलन और गोमल दर्रे से पार की जा सकती है। इन दर्रों से भारत और मध्य एशिया के बीच प्रागैतिहासिक काल से ही आवागमन होता आया है।
हिमालय पर्वत श्रृंखला का पश्चिमी विस्तार हिंदूकुश कहलाता है।
ये दर्रे एक ओर भारत और दूसरी ओर मध्य एशिया और पश्चिमी एशिया के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध के स्थापन में बड़े सहायक हुए है।
ईसा – पूर्व छठी सदी में सबसे पुरानी कृषि – बस्तियां तराई वाले इलाकों में ही विकसित हुई और यही के रास्ते व्यापार के लिए अपनाए गए। इसके कारण निम्नलिखित थे –
1. मैदानों की कछारी मिट्टी में पनपे घने जंगलों की अपेक्षा हिमालय की तराइयों के जंगलों को साफ करना आसान था।
2. इन तराइयों में बहने वाली नदियां कम चौड़ी होती हैं अतः उन्हें पर करना कठिन न था। भौगोलिक ढांचा
ऐतिहासिक भारत का वक्षस्थल उन महत्त्वपूर्ण नदियों का क्षेत्र है जो उसे कटिबंधीय मानसूनी वर्षा से लबालब भरी रहती है। नदियों के ये क्षेत्र हैं – सिंधु का मैदान , सिंधु – गंगा जलविभाजक , गंगा की घाटी और ब्रह्मपुत्र की घाटी।
ज्यों – ज्यों हम पश्चिम से पूरब की ओर बढ़ाते हैं त्यों – त्यों वार्षिक वृष्टिमान क्रमशः बढ़ता जाता है। इसके साथ ही भूमि कठोर और वन सघन होते जाते है।
25 से 37 सेंटीमीटर वर्षा द्वारा पोषित सिंधु प्रदेश
37 से 60 सेंटीमीटर वर्षा द्वारा पोषित पश्चिमी गंगा घाटी
60 से 125 सेंटीमीटर वर्षा द्वारा पोषित मध्य गंगा घाटी
125 से 250 सेंटीमीटर वर्षा द्वारा पोषित ब्रह्मपुत्र घाटी भौगोलिक ढांचा
प्राकृतिक संपदाओं का इस्तेमाल पहले पश्चिमी प्रदेश में किया गया और बड़ी बस्तियों का विस्तार आमतौर से पश्चिम से पूरब की ओर होता गया।
सिंधु और गंगा के पश्चिमी मैदाने में मुख्यतः गेहूँ और जौ की उपज होती थी , जबकि मध्य तथा निम्न गंगा मैदानों में मुख्यतः चावल पैदा किया जाता था।
हड़प्पा संस्कृति का उद्भव और विकास सिंधु की घाटी में हुआ , जबकि वैदिक संस्कृति का उद्भव पंजाब में हुआ और विकास पश्चिमी गंगा घाटी में।
वैदिक उत्तर संस्कृति जो मुख्यतः है लोहे के प्रयोग पर आश्रित थी , मध्य गंगा घाटी में फूली – फली।
निम्न गंगा घाटी और उत्तरी बंगाल को वास्तव में गुप्त युग में उत्कर्ष मिला।
असम सहित समूची ब्रह्मपुत्र घाटी को आरंभिक मध्य युग में महत्व प्राप्त हुआ।
‘ गंगा – यमुना दोआब ‘ के लिए देसी शक्तियों में सबसे अधिक संघर्ष हुआ। भौगोलिक ढांचा
प्राचीन काल में सड़के बनाना कठिन था। अतः नदी – मार्ग सैनिक और वाणिज्य संचार के लिए बड़े ही महत्वपूर्ण सिद्ध हुए। अशोक द्वारा स्थापित प्रस्तर स्तंभ नावों से ही देश के दूर-दूर स्थानों तक पहुंचाए गए।
संचार – साधन के रूप में नदियों की यह भूमिका ‘ ईस्ट इण्डिया कंपनी ‘ के दिनों तक कायम रही।
औद्योगिक युग के आरंभ से पहले नगर अधिकतर नदी के तट पर ही स्थापित होते थे।
नदियों और पहाड़ों ने राजनैतिक और सांस्कृतिक सीमाओं का काम किया।
उड़ीसा का समुद्रतटवर्ती प्रदेश जो कालिंग देश कहलाता था , उसकी उत्तरी सीमा महानदी थी और दक्षिणी सीमा गोदावरी।
भारतीय प्रायद्वीप का पूर्वी भाग कोरोमंडल तट से घिरा हुआ है।
आरिकमेडु ( आधुनिक नाम ) , महाबलिपुरम और कवेरीपट्टनम बंदरगाह कोरोमंडल तट पर अवस्थित हैं।
प्रायद्वीप का समुद्री तटवर्ती पश्चिमी भाग मालाबार तट कहलाता है।
अरावली पर्वत से पश्चिम का भू – भाग थार मरुभूमि में पड़ता है। भौगोलिक ढांचा
राजस्थान का दक्षिण – पूर्वी भाग प्राचीन काल से ही अपेक्षाकृत उपजाऊ रहा है। इसके अलावा , खेत्री की तांबे की खानें भी उसी क्षेत्र में होने से वहां ताम्र – पाषाण युग से ही बस्तियां बनती रही हैं।
गुजरात राज्य का तटीय क्षेत्र काफी दंतुर होने के कारण यहां कई बंदरगाह बने है। यही कारण है कि प्राचीन काल से ही गुजरात समुद्रतटीय और विदेशी व्यापार के लिए प्रसिद्ध रहा है , तथा यहां के लोगों ने अपने को उद्यमशील व्यापारी सिद्ध किया है।
उत्तरी और पश्चिमी भारत की अधिकांश भाषाएँ एक ही मूल हिन्द – आर्य भाषा से विकसित हुई हैं , इसलिए इनमें बहुत ही तात्विक समानता दिखाई देती है।
विंध्य पर्वत श्रृंखला देश को पूरब से पश्चिम तक बीचो-बीच विभक्त करती है और इस प्रकार यह उत्तर और दक्षिण भारत की विभाजक रेखा बनी हुई है।
द्रविड़ भाषा बोलने वाले लोग विंध्य के दक्षिण में और भारतीय आर्यभाषा बोलने वाले इसके उत्तर में रहते हैं।
दोनों के बीच के विंध्य क्षेत्र में आदिवासी लोग रहते थे , जहां वे आज भी हैं। विंध्य की यह सीमा अलंघ्य नहीं है। भौगोलिक ढांचा
प्राचीन काल में संचार – व्यवस्था की कठिनाइयों के बावजूद , उत्तर के लोग दक्षिण और दक्षिण के लोग उत्तर पहुंचते थे । परिणामत: संस्कृति और भाषा का आदान-प्रदान हुआ। इसने सामासिक संस्कृति के विकास में योग दिया।
प्राकृतिक संपदा के उपभोग का देश के इतिहास में विशिष्ट महत्व हैं।
प्राचीन काल में जब पकाई हुई ईंटों का अधिक इस्तेमाल नहीं होता था , लकड़ी के मकान और लकड़कोट बनाए जाते थे। इनके अवशेष पाटलिपुत्र में मिले हैं जहां देश की पहली प्रमुख राजधानी स्थापित हुई थी।
भारत में सबसे पुरानी बस्तियां पहाड़ी इलाकों में और पहाड़ों के बीच की नदी घाटियों में स्थापित हुई थी।
ऐतिहासिक युगों में पत्थर के मंदिरों और प्रस्तर – मूर्तियों का निर्माण उत्तर भारत के मैदानों की अपेक्षा दक्कन और दक्षिण भारत में अधिक संख्या में हुआ। भौगोलिक ढांचा
तांबा देश भर में व्यापक रूप से बिखरा है। तांबे की परम समृद्ध खाने छोटानागपुर के पठार में , विशेष कर सिंहभूम जिले में पाई जाती हैं।
प्राचीन काल में यहां से तांबा निकल जाता था।
तांबे के औजारों का इस्तेमाल करने वाले बिहार के सबसे पुराने निवासियों ने सिंहभूमि और हजारीबाग के तांबे की खानों का उपयोग किया था।
झारखंड और मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में तांबे के बहुत से औजार मिले हैं।
तांबे के विपुल भंडार राजस्थान के खेत्री खानों में भी मिले है।
राजस्थान के खेत्री इलाके में तांबे के बहुत से आदम कुल्हाड़े पाए गए हैं और वे लगभग 1000 ईसा पूर्व से पहले की अवधि के प्रतीत होते हैं।
तांबा उपयोग में लाई गई सबसे पहली धातु थी इसलिए हिंदू इस धातु को पवित्र मानने लगे और ताम्र – पत्रों का धार्मिक अनुष्ठानों में व्यवहार होने लगा। भौगोलिक ढांचा
प्राचीन काल में टिन राजस्थान और बिहार में पाई जाती थी , परंतु अब इसके भंडार समाप्त हैं। क्योंकि तांबे और टिन को मिलने से ही कांसा बनता है , इसलिए हमें प्रागैतिहासिक काल की कांस्य – वस्तुएं अधिक नहीं मिलती।
हड़प्पा संस्कृति के लोग संभवत: राजस्थान से कुछ टिन प्राप्त करते थे , परंतु वे टिन का आयात मुख्यतः अफगानिस्तान से करते थे और वह भी सीमित मात्रा में ही।
हड़प्पा के लोग कांसे के औजारों का प्रयोग तो करते थे लेकिन यहां पर ऐसे औजार पश्चिमी एशिया , मिस्र और क्रीट की अपेक्षा कम ही मिले हैं और जो मिले हैं उनमें टिन की मात्रा कम है। अतः भारत में अधिकतर हिस्से में वास्तव में कांस्य – युग आया ही नहीं।
ईसवी सन के आरंभिक शतकों से ही भारत का घना संपर्क बर्मा और मल्य प्रायद्वीपों के साथ कायम हुआ , जहां टिन के विपुल भंडार हैं। फलस्वरूप बड़ी मात्रा में कांसे का इस्तेमाल होने लगा , विशेषत: दक्षिण भारत में बनने वाली देव प्रतिमाओं में।
बिहार में मिली पाल-कालीन कांस्य प्रतिमाओं के लिए टिन संभवत: हजारीबाग और रांची से प्राप्त किया गया था, क्योंकि हजारीबाग में पिछली सदी के मध्यकाल तक टिन के अयस्क को गलने का काम होता था। भौगोलिक ढांचा
भारत लौह अयस्क में समृद्ध रहा है। युद्ध के काम में लोहे के प्रयोग से यह कहीं अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ जंगल को साफ करने और गहरी नियमित खेती करने में।
मगध में ईसा पूर्व छठी – चौथी सदियों में जो पहला साम्राज्य स्थापित हुआ उसका प्रमुख कारण यही बताया जाता है कि इस प्रदेश में ठीक दक्षिण में लोहा उपलब्ध था।
बड़े पैमाने पर लोहे का उपयोग करके ही अवन्ति जिसकी राजधानी उज्जनयिनी में थी , ईसा – पूर्व छठी पांचवी सदियों में एक महत्वपूर्ण राज्य बन गया।
सात वाहनों ने और विंध्य के दक्षिण में उदित हुई अन्य सत्ताओं ने भी शायद आंध्र और कर्नाटक के लौह – अयस्कों का इस्तेमाल किया था।
आंध्र प्रदेश में सीसा मिलता है। यही कारण है कि ईसा की दो आरंभिक सदियों में आंध्र और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों पर शासन करने वाले सातवाहनों ने बड़ी संख्या में सीसे के सिक्के जारी किए थे।
हमारे देश के सबसे प्राचीन सिक्के , जिन्हें आहत ( या पंच – मार्क्ड ) सिक्के कहते हैं , मुख्यतः चांदी के हैं।
प्राचीन काल में मुंगेर जिले के खड़कपुर पहाड़ियों में चांदी की खान मौजूद थी। अकबर के समय तक इन खानों के उल्लेख मिलते हैं। यही कारण है कि बिहार में मिले सबसे पुराने आहत सिक्के चांदी के हैं। भौगोलिक ढांचा
प्रचुर स्वर्णकण नदी – धाराओं द्वारा हिमालय से बहकर मैदान में आते थे। नदी – धाराओं से बने ऐसे जमावो को ‘ प्लेसर्स ‘ कहते हैं।
सोना कर्नाटक की कोलार खानों में मिलता है।
सोने का सबसे पुराना अवशेष 1800 ईसा पूर्व के आसपास के कर्नाटक के एक नवपाषाण युगीन स्थल से मिला है।
कोलार दक्षिण कर्नाटक के गंगवांशियों की प्राचीनतम राजधानी माना जाता है।
प्राचीन काल में उपयोग में लाया गया अधिकांश सोना मध्य – एशिया और रोमन साम्राज्य से प्राप्त किया गया था। इसलिए स्वर्ण मुद्रा का नियमित प्रचलन ईशा की आरंभिक पांच सदियों में हुआ था।
प्राचीन भारत में मध्य भारत उड़ीसा और दक्षिण भारत में विभिन्न प्रकार के रतन और मोतियों का उत्पादन होता था
ईसा की आरंभिक सदियों में रोमन लोग भारत की जिन व्यापार – वस्तुओं के लिए लालायित रहते थे उनमें रत्नों का प्रमुख स्थल था। भौगोलिक ढांचा
MCQ
प्रश्न 1 – भारतीय उपमहाद्वीप का कुल क्षेत्रफल है –
उत्तर – 4202500 वर्ग किलोमीटर
प्रश्न 2 – भारतीय उपमहाद्वीप किन पांच देशों में बँटा है ?
उत्तर – भारत , बांग्लादेश , नेपाल , भूटान और पाकिस्तान
प्रश्न 3 – भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग पड़ता है –
उत्तर – उष्णकटिबंध में
प्रश्न 4 – भारत में ‘ दक्षिण – पश्चिम मानसून ‘ रहता है –
उत्तर – जून से अक्टूबर तक
प्रश्न 5 – जाड़े में उत्तरी भारत में वर्षा होती है –
उत्तर – पश्चिमी विक्षोभ के कारण
प्रश्न 6 – साइबेरिया से चलकर मध्य एशिया को पार करने वाली उत्तरध्रुवीय हवाओं से भारत की रक्षा करता है –
उत्तर – हिमालय
प्रश्न 7 – हिमालय पर्वत श्रृंखला का पश्चिमी विस्तार कहलाता है –
उत्तर – हिंदूकुश
प्रश्न 8 – भारत में प्राकृतिक संपदाओं का इस्तेमाल पहले किया गया –
उत्तर – पश्चिमी प्रदेश में
प्रश्न 9 – हड़प्पा संस्कृति का उद्भव और विकास हुआ –
उत्तर – सिंधु की घाटी में
प्रश्न 10 – औद्योगिक युग के आरंभ से पहले नगर अधिकतर स्थापित होते थे –
उत्तर – नदी के तट पर
प्रश्न 11 – उड़ीसा का समुद्रतटवर्ती प्रदेश जिसकी उत्तरी सीमा महानदी थी और दक्षिणी सीमा गोदावरी , कहलाता था –
उत्तर – कालिंग देश
प्रश्न 12 – भारतीय प्रायद्वीप का पूर्वी भाग तट से घिरा हुआ है –
उत्तर – कोरोमंडल
प्रश्न 13 – आरिकमेडु ( आधुनिक नाम ) , महाबलिपुरम और कवेरीपट्टनम बंदरगाह अवस्थित हैं –
उत्तर – कोरोमंडल तट पर
प्रश्न 14 – भारतीय प्रायद्वीप का समुद्री तटवर्ती पश्चिमी भाग कहलाता है –
उत्तर – मालाबार तट
प्रश्न 15 – उत्तरी और पश्चिमी भारत की अधिकांश भाषाएँ विकसित हुई हैं –
उत्तर – हिन्द – आर्य भाषा से
प्रश्न 16 – तांबे के बहुत से आदम कुल्हाड़े पाए गए हैं और वे लगभग 1000 ईसा पूर्व से पहले की अवधि के प्रतीत होते हैं –
उत्तर – राजस्थान के खेत्री इलाके में
प्रश्न 17 – हड़प्पाई लोग टिन मुख्यतः कहाँ से प्राप्त करते थे ?
उत्तर – अफगानिस्तान
प्रश्न 18 – मगध में ईसा पूर्व छठी – चौथी सदियों में जो पहला साम्राज्य स्थापित हुआ उसका प्रमुख कारण बताया जाता है –
उत्तर – मगध के ठीक दक्षिण में लोहा उपलब्धता
प्रश्न 19 – बड़ी संख्या में सीसे के सिक्के जारी किए थे –
उत्तर – सातवाहनों ने
प्रश्न 20 – हमारे देश के सबसे प्राचीन सिक्के , जिन्हें आहत ( या पंच – मार्क्ड ) सिक्के कहते हैं , मुख्यतः हैं –
उत्तर – चांदी के
प्रश्न 21 – प्रचुर स्वर्णकण नदी – धाराओं द्वारा हिमालय से बहकर मैदान में आते थे। नदी – धाराओं से बने ऐसे जमावो को कहते हैं –
उत्तर – प्लेसर्स
प्रश्न 22 – सोने का सबसे पुराना अवशेष 1800 ईसा पूर्व के आसपास मिला है –
उत्तर – कर्नाटक के एक नवपाषाण युगीन स्थल से
प्रश्न 23 – कोलार प्राचीनतम राजधानी माना जाता है –
उत्तर – दक्षिण कर्नाटक के गंगवांशियों की