स्वप्न दोष का घरेलू व आयुर्वेदिक इलाज

स्वप्न दोष

स्वप्न दोष ( Night Discharge) – जब पुरुषों में निद्रावस्था में ( रात अथवा दिन में ) स्वप्नावस्था में स्वतः वीर्यपात हो जाता है तो ऐसी अवस्था को ‘ स्वप्न दोष ‘ ( Night Discharge) कहा जाता है।

एक माह में 2 – 4 बार स्वप्न दोष ( Night Discharge) होना सामान्य / प्राकृत है। यह कोई रोग नहीं होता।

यदि स्वप्न दोष ( Night Discharge) एक माह में 8 – 10 बार अथवा इससे अधिक बार होने लगे तो वह रोग है और उसकी चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

यदि विकृतिजन्य स्वप्न दोष ( Night Discharge) की समुचित चिकित्सा न की जाये तो रोगी अनेक अन्य रोगों ( शीघ्रपतन तथा नामर्दी ) आदि से ग्रस्त हो सकता है। 

स्वप्न दोष के मुख्य कारण

1. वासनामय , गंदी फिल्मों , नग्न चित्रों , ब्लू फिल्मों का देखना।

2. गंदे एवं बुरे विचारों के लोगों की संगत।

3. वासनामय , गंदी पुस्तकों , पत्र – पत्रिकाओं आदि का अधिक पठन – पठान।

4. हस्तमैथुन करने की लत।

5. कम आयु में ही स्त्री समागम की अधिकता।

6. मादक व उत्तेजनात्मक पदार्थों का सेवन।

7. अधिक मिर्च – मसालेदार गर्म प्रकृति भोजन करना।

8. साईकिल या घोड़े आदि की अधिक सवारी करना।

9. नरम / मुलायम बिस्तर पर लेटना / शयन करना।

10. निरंतर अजीर्णी या कब्ज रहना।

11. भय , चिंता आदि मानसिक उद्वेग।

स्वप्न दोष के मुख्य लक्षण

1. भूख का खुलकर न लगना।

2. शरीर में सुस्ती / आलस्य बने रहना , किसी भी कार्य को करने में मन न लगना।

3. अल्प परिश्रम युक्त काम करके ही थकावट हो जाना।

4. चेहरे की रौनक / सुंदरता में कमी।

5. स्मरण शक्ति का काम हो जाना।

6. बात – बात पर शीघ्र ही क्रोध आ जाना।

7. आंखों के नीचे काले धब्बे हो जाना।

8. कभी – कभी मूत्र के साथ वीर्य का निकल जाना।

9. आत्मविश्वास की कमी।

10. हथेलियां तथा पैरों के तलवों में जलन होना / आग निकलना।

स्वाभाविक स्वप्न दोष के लक्षण

1. यह प्रायः 25 वर्ष से अधिक आयु के अविवाहित युवकों को होता है।

2. स्खलित वीर्य की मात्रा अधिक होती है तथा इसके सूखने पर कपड़े पर इसका पड़ा दाग कड़ा पड़ जाता है।

3. स्वप्नदोष महीने में तीन – चार बार से अधिक बार नहीं होता है तथा दो स्वप्न दोषों के बीच 10 – 15 दिनों का अंतराल होता है।

4. अगले दिन युवक को कमजोरी अनुभव नहीं होती , बल्कि वह और दोनों की अपेक्षा अपने को अधिक स्वस्थ , प्रसन्नचित्त तथा स्फूर्तियुक्त अनुभव करता है।

5. स्वाभाविक स्वप्न दोष में काम – क्रीड़ा के बीच में ही वीर्य स्खलन नहीं होता है।

विकृतिजन्य स्वप्न दोष के लक्षण

1. रोगी की आयु 25 वर्ष से कम होती है।

2. विकृतिजन्य स्वप्नदोष में 1 महीने में 8 – 10 बार अथवा इससे अधिक बार होता है।

3. विकृतिजन्य स्वप्नदोष में काम – क्रीड़ा के बीच में ही वीर्य स्खलन हो जाता है।

4. स्वप्नदोष होने के अगले दिन रोगी युवक को काफी शारीरिक व मानसिक कमजोरी का अनुभव होता है।

5. वीर्य स्खलन का कपड़े पर लगा हुआ दाग सूखकर पहले कड़ा होता है , किंतु रोगी का जैसे – जैसे वीर्य पतला होता जाता है उसकी कठोरता कम होती जाती है।

स्वप्न दोष image

स्वप्नदोष नाशक कुछ घरेलू आयुर्वेदिक प्रयोग

1. सोते समय 4 ग्रेन कपूर मिश्री मिलाकर कुछ दिन तक सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।

2. 2 माशा हल्दी गर्म दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से स्वप्नदोष मिट जाता है।

3. 10 ग्राम बिनोलों की गिरी को 250 मिली दूध में खीर की तरह पकाकर सुबह – शाम सेवन करने से स्वप्नदोष रोग दूर हो जाता है।

4. शीतल चीनी का पिसा छना चूर्ण 2 माशा की मात्रा में खाकर ऊपर से 1 कप ताजा पानी पीने से स्वप्नदोष नहीं होता है।

5. बबूल के नरम – नरम पत्ते 6 माशा से 1 तोला तक खाकर ऊपर से ठंडा पानी पीने से स्वप्नदोष रोग ठीक हो जाता है।

औषधि

1. अश्वगंधा का चूर्ण 5 ग्राम को 50 मिली दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष मिट जाता है।

2. 3 माशा सालम का चूर्ण दूध के साथ सेवन करना स्वप्नदोष में लाभकर है।

3. त्रिफला का चूर्ण शहद में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करना भी स्वप्नदोष विकार में अत्यंत उपयोगी है।

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