नपुंसकता
नपुंसकता (Impotency) – ऐसा पुरुष जो स्त्री के साथ संभोग न कर सके अथवा संभोग के समय प्रयास करने पर तथा इच्छा होने पर भी जिसका लिंग खड़ा ना हो सके या जो मैथुन करते समय पसीने से तर – बतर हो जाये , हाँफने लगे , अतिशीघ्र स्खलित हो जाये , उसे ‘ नपुंसक ‘ कहते है तथा इस समस्या से ग्रस्त रोगी की बीमारी को ‘ नपुंसकता ‘ (Impotency) कहा जाता है।
दूसरे सरल शब्दों में हम यह भी कह सकते है कि – शीघ्र स्खलन के कारण अथवा लैंगिक उत्थान के अभाव में पुरुष का स्त्री को संतुष्ट न कर पाना ही ‘ नपुंसकता ‘ (Impotency) कहलाती है।
नपुंसकता के प्रकार
नपुंसकता मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
1. प्राथमिक नपुंसकता (Primary Impotency)
2. द्वितीयक नपुंसकता (Secondary Impotency)
प्राथमिक नपुंसकता (Primary Impotency) – प्राथमिक नपुंसकता में दम्पत्ति एक बार भी लिंग में उत्थान न होने के कारण संभोग नहीं कर पाते हैं।
द्वितीयक नपुंसकता (Secondary Impotency) – द्वितीयक नपुंसकता में रोगी आरम्भ में तो ठीक प्रकार से संभोग कर सकता है , परंतु कुछ वर्षों के बाद लैंगिक उत्थान में कमी के कारण वह सहवास नहीं कर पाता।
नपुंसकता के मुख्य कारण
1. अत्याधिक हस्तमैथुन करना।
2. अत्याधिक मादक पदार्थों का सेवन करना।
3. अधिक धर्म – कर्म तथा पूजा – पाठ में विश्वास करना।
4. सैक्स को गंदा कार्य समझना।
5. बचपन में सैक्स संबंधी कोई आघात।
6. लंबे समय तक शीघ्रपतन की शिकायत रहना।
7. वीर्य का कम आयु में नाश करना।
8. अंडकोष का छोटा होना या अंडकोष में रोग आदि।
नपुंसकता के मुख्य लक्षण
1. लिंग में थोड़ा तनाव आता है परंतु स्त्री के पास जाते ही खत्म हो जाता है।
2. संभोग की इच्छा होते हुए भी संभोग करने में असमर्थता।
3. सहवास करने का प्रयास करते ही संपूर्ण शरीर में पसीना निकलना आरंभ हो जाता है , सांस फूलने लगती है तथा दिल घबराने लगता है।
4. रोगी हमेशा आत्मग्लानि से भरा रहता है। उसका किसी भी कार्य में मन नहीं लगता है।
5. रोगी को अकेले रहना अच्छा लगता है।
6. रोगी के शरीर व सिर में दर्द रहता है।
7. रात में ठीक प्रकार से नींद नहीं आती है।
8. रोगी को प्राय कब्ज बना रहता है। खाया पिया हजम नहीं होता है आदि।
नपुंसकता में उपयोगी कुछ सरल घरेलू आयुर्वेदिक प्रयोग
1. कुलिंजन का चूर्ण डेड ग्राम, 10 ग्राम शहद में मिला ले। इसे चटकार ऊपर से गाय के दूध में शहद मिलाकर सेवन करने से शीघ्रपतन नहीं होता है।
2. चने के आटा ( बेसन ) का हलवा बनाकर सेवन करने से या भिगोये हुए चनो के पानी में मधु मिलाकर सेवन करने से वीर्य पुष्ट होता है तथा दुर्बलता दूर होती है।
3. सफेद प्याज का रस 6 ग्राम , गाय का घी 4 ग्राम तथा शहर 3 ग्राम मिलाकर सुबह शाम सेवन करने हस्त मैथुन से जन्य नामर्दी में लाभ होता है।
4. सफेद प्याज का रस 8 माशा , अदरक का रस 6 माशा , शहद 4 माशा और घी 3 माशा इन सभी को मिलाकर निरंतर 2 माह सेवन करने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
5. चमेली का असली तेल प्रतिदिन लिंग पर मालिश करें। लिंग के लिए यह अति उत्तम औषधि है।
6. मक्खन व मिश्री एक- एक तोला और चांदी के वर्क 2 नग इन तीनों को मिलाकर सुबह शाम 4 – 5 माह निरंतर सेवन करते रहने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।
औषधि
1. टेंटेक्स फोर्ट टेबलेट – 1 – 1 गोली सुबह – शाम दूध के साथ निरंतर 6 सप्ताह तक दें।
2. अम्बरफ़ोर्ट टैबलेट – 1 – 2 गोली एक बार शाम को एक कप गर्म दूध के साथ दें।
3. आर वीटाफोर्ट टैबलेट – 2 – 2 गोली सुबह – शाम व रात को सोने से 1 घंटा पहले दें।