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Hybrid Fund Kya Hota Hai? | पूरी जानकारी आसान हिंदी में

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Hybrid Fund Kya Hota Hai

Hybrid Fund kya hota hai – हम सभी अपनी मेहनत की कमाई को ऐसी जगह निवेश करना चाहते हैं जहाँ हमें बेहतर रिटर्न मिले, लेकिन जोखिम कम हो। शेयर मार्केट ज़्यादा रिटर्न तो देता है, पर उसके साथ जुड़ा उतार-चढ़ाव कई बार डराता है। वहीं, फिक्स्ड डिपॉजिट या डेट इंस्ट्रूमेंट्स सुरक्षित होते हैं, लेकिन रिटर्न सीमित होता है। ऐसे में अगर कोई Mutual Fund इन दोनों का संतुलन लेकर आए — तो कैसा रहेगा?

यही काम करता है Hybrid Fund। यह निवेश का एक ऐसा विकल्प है जो रिटर्न और सुरक्षा दोनों का बैलेंस बनाने की कोशिश करता है।

इस ब्लॉग में हम जानेंगे :-

Hybrid Fund kya hota hai

यह कैसे काम करता है

इसके प्रकार

इसके फायदे और नुकसान

और कैसे करें निवेश?

Hybrid Fund kya hota hai

Hybrid Mutual Fund एक ऐसा फंड होता है जो दो या अधिक प्रकार की एसेट क्लासेस में निवेश करता है — मुख्यतः Equity और Debt। इसका उद्देश्य है – रिटर्न और रिस्क के बीच संतुलन बनाना।

सरल शब्दों में : – यह ऐसा फंड है जो एक ही जगह पर आपको शेयर मार्केट की ग्रोथ और फिक्स्ड इनकम की सुरक्षा देता है।

उदाहरण :-

मान लीजिए आपने 10,000 निवेश किया।

6,000 Equity में लगाया गया (उच्च रिटर्न का अवसर)

4,000 Debt में लगाया गया (सुरक्षित और स्थिर रिटर्न)

इस तरह आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई हो जाता है, जिससे मार्केट गिरावट में भी आपका नुकसान सीमित रहता है।

इसे आप एक “Balanced Thali” की तरह समझ सकते हैं — जिसमें स्वाद ( रिटर्न ) भी है और पोषण (सुरक्षा) भी। hybrid fund Kya Hota Hai

Hybrid Fund कैसे काम करता है?

Hybrid Mutual Funds एक विशेष रणनीति के तहत काम करते हैं जिसमें Equity (शेयर) और Debt (ऋण साधन) दोनों का संतुलित मिश्रण शामिल होता है। इन फंड्स के फंड मैनेजर बाजार की मौजूदा परिस्थितियों और फंड के निवेश उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, इक्विटी और डेट में निवेश का अनुपात समय-समय पर बदलते रहते हैं।

इसका मुख्य उद्देश्य होता है :—

– लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि (Capital Growth)
– और साथ ही निवेश की सुरक्षा (Capital Protection) भी सुनिश्चित करना।

जब शेयर बाजार में तेजी होती है, तो फंड का अधिक हिस्सा इक्विटी में लगाया जाता है ताकि उच्च रिटर्न मिल सके। वहीं, जब बाजार अस्थिर होता है, तो फंड मैनेजर डेट इंस्ट्रूमेंट्स की ओर रुख करते हैं ताकि जोखिम को कम किया जा सके।

-> आसान शब्दों में कहें तो :-

यह फंड आपके पैसे को “जहाँ ज़रूरत हो वहाँ” की रणनीति से लगाते हैं — ताकि आपको बढ़िया रिटर्न मिले लेकिन बहुत ज़्यादा जोखिम न उठाना पड़े।

इसलिए Hybrid Funds उन निवेशकों के लिए एक समझदारी भरा विकल्प साबित होते हैं जो बाजार में बने रहना तो चाहते हैं, लेकिन हर समय पूरी पूंजी जोखिम में नहीं डालना चाहते। hybrid fund Kya Hota Hai

Hybrid Fund के प्रकार

अगर आप अपने निवेश पोर्टफोलियो में Hybrid Fund शामिल करना चाहते हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के अनुसार Hybrid Funds के कई प्रकार होते हैं। हर फंड का लक्ष्य और जोखिम-रिटर्न प्रोफाइल अलग होता है। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं :-

Conservative Hybrid Fund

यह फंड सबसे कम जोखिम वाले Hybrid Funds में आता है। इसमें निवेश का अधिकांश हिस्सा (75% से 90%) Debt instruments में होता है, जैसे कि सरकारी बॉन्ड, कॉरपोरेट डिबेंचर्स और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स।

बचा हुआ 10% से 25% हिस्सा इक्विटी में लगाया जाता है, ताकि थोड़ा बहुत रिटर्न ग्रोथ भी मिल सके।

उदाहरण :- अगर आपने 10,000 इस फंड में लगाए तो 7500 से 9000 तक डेट में और 1000 से 2500 तक इक्विटी में लगेंगे।

फायदे :-

जोखिम बहुत कम

बाजार में गिरावट के समय पूंजी की सुरक्षा

FD से बेहतर टैक्स लाभ और रिटर्न

उपयुक्त निवेशक :- जो लोग पहली बार Mutual Fund में निवेश कर रहे हों या सेवानिवृत्त निवेशक जिनका उद्देश्य पूंजी बचाना हो। hybrid fund Kya Hota Hai

Balanced Hybrid Fund

इस फंड का लक्ष्य इक्विटी और डेट के बीच लगभग बराबर संतुलन बनाए रखना होता है। फंड का 40% से 60% हिस्सा इक्विटी में और बाकी 40% से 60% डेट में लगाया जाता है।

– SEBI के नियमों के कारण यह कैटेगरी बहुत सीमित AMC द्वारा ही ऑफर की जाती है।

मुख्य विशेषता :- बाजार में तेजी हो या मंदी, यह फंड बैलेंस बनाकर चलता है।

उपयुक्त निवेशक :- वे लोग जो Equity exposure चाहते हैं, लेकिन full risk नहीं लेना चाहते।

एग्रेसिव हाइब्रिड फंड (Aggressive Hybrid Fund)

यह सबसे लोकप्रिय और अधिक रिटर्न देने वाले हाइब्रिड फंड्स में से एक है। इसमें 65% से 80% तक निवेश इक्विटी में और बाकी का हिस्सा डेट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है।

मुख्य उद्देश्य :- Equity से लंबी अवधि में ग्रोथ पाना, और डेट से थोड़ा सुरक्षा कवच रखना।

टैक्स लाभ :- 65% से ज्यादा इक्विटी होने की वजह से इसे Equity Fund की तरह टैक्स ट्रीटमेंट मिलता है, जिससे LTCG में फायदा होता है।

उपयुक्त निवेशक :- जो लोग moderate-to-high risk ले सकते हैं और Equity के जरिए अच्छे रिटर्न चाहते हैं। hybrid fund Kya Hota Hai

Dynamic Asset Allocation or BAF

यह फंड किसी भी समय 0% से 100% तक इक्विटी या डेट में निवेश कर सकता है। यानी फंड मैनेजर पूरी स्वतंत्रता के साथ बाजार की परिस्थितियों के अनुसार Asset Allocation तय करते हैं।

– कैसे काम करता है?
जब बाजार सस्ता होता है, तब इक्विटी में निवेश बढ़ाया जाता है। जब बाजार महंगा हो जाता है, तो डेट की ओर झुकाव किया जाता है।

फायदे :-

जोखिम का प्रबंधन फंड मैनेजर करते हैं

बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद मिलती है

उपयुक्त निवेशक :- जो बाजार की टाइमिंग खुद नहीं करना चाहते और प्रोफेशनल पर भरोसा करना पसंद करते हैं। hybrid fund Kya Hota Hai

Multi Asset Allocation Fund

इस फंड की खासियत है कि यह कम से कम तीन अलग-अलग एसेट क्लास (जैसे — इक्विटी, डेट और गोल्ड या कमोडिटी) में निवेश करता है और प्रत्येक में कम से कम 10% का निवेश जरूरी होता है।

फायदे :-

डायवर्सिफिकेशन का उच्च स्तर

किसी एक एसेट क्लास के खराब प्रदर्शन से ज्यादा प्रभावित नहीं होता

उदाहरण :-
मान लीजिए 10000 निवेश किए गए:

4000 इक्विटी

3000 डेट

3000 गोल्ड में

उपयुक्त निवेशक :- जो अपने निवेश को कई दिशा में फैलाकर सुरक्षा चाहते हैं। hybrid fund Kya Hota Hai

Arbitrage Fund

यह फंड शेयर मार्केट में कीमत के अंतर का लाभ उठाकर कम जोखिम वाला रिटर्न कमाने की कोशिश करता है। यह स्पॉट और फ्यूचर्स मार्केट के बीच का डिफरेंस पकड़ता है।

– कैसे काम करता है?
अगर किसी स्टॉक की कीमत Cash Market में 100 है और Futures में 102 — तो फंड 100 में खरीदता है और 102 में बेचने का सौदा करता है। दोनों डेट्स पर मुनाफा पक्का।

उपयुक्त निवेशक :- जो FD जैसे विकल्प से बेहतर टैक्स लाभ और liquidity चाहते हैं।

टैक्स फायदा :- 65% से अधिक इक्विटी में निवेश होने पर Equity Fund के टैक्स नियम लागू होते हैं। hybrid fund Kya Hota Hai

Equity Savings Fund

 

इस फंड में तीन तरह के निवेश एक साथ किए जाते हैं :-

Equity

Arbitrage

Debt

-> Asset Allocation:

Equity (Net exposure): ≥ 65%

Debt: ≥ 10%

Arbitrage का हिस्सा संतुलन के लिए

उद्देश्य : – Equity का फायदा भी मिले और Arbitrage व Debt से सुरक्षा भी बनी रहे।

उपयुक्त निवेशक :- जो Equity में रहना चाहते हैं लेकिन Volatility से डरते हैं।

Hybrid Fund के फायदे

1.डाइवर्सिफिकेशन :- आप एक ही फंड के तहत विभिन्न एसेट क्लास निवेश कर सकते हैं. इन सबसे बढ़कर आप एक ही एसेट क्लास में डाइवर्सिफिकेशन का लाभ भी उठा सकते हैं.

2. जोखिम में संतुलन (Risk ka Balance) :- Equity रिटर्न देता है और Debt स्थिरता। दोनों का मिश्रण निवेश को सुरक्षित बनाता है।

3. Market Timing की जरूरत नहीं :- Fund Manager खुद बाजार के अनुसार एसेट अलोकेशन करता है।

4. नए निवेशकों के लिए Ideal :- जो लोग सीधे शेयर बाजार में नहीं जाना चाहते, उनके लिए अच्छा विकल्प।

5. SIP से शुरुआत संभव :- 100 या 500 से भी निवेश संभव है, जिससे आम आदमी भी शुरुआत कर सकता है।

6. लंबी अवधि में स्थिर ग्रोथ :- Market उतार–चढ़ाव के बावजूद Hybrid Fund ने समय के साथ अच्छे रिटर्न दिए हैं। hybrid fund Kya Hota Hai

Hybrid Fund के नुकसान

1.अनिश्चित रिटर्न (Unpredictable Returns)

Hybrid Funds इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं, लेकिन फिर भी इनका प्रदर्शन बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।

– अगर शेयर बाजार में गिरावट होती है, तो फंड का इक्विटी हिस्सा घाटा दे सकता है।

– डेट मार्केट में ब्याज दर में उतार-चढ़ाव हो तो वह हिस्सा भी प्रभावित हो सकता है।

-> इसलिए, भले ही फंड को “संतुलित” कहा जाता है, लेकिन रिटर्न की गारंटी नहीं होती।

2.फंड मैनेजर की रणनीति पर निर्भरता (Dependence on Fund Manager)

Dynamic Asset Allocation या Balanced Advantage Funds जैसे Hybrid Funds फंड मैनेजर की सूझबूझ पर चलते हैं।

अगर Asset Allocation गलत हो गया या टाइमिंग गड़बड़ हुई, तो आपका रिटर्न भी प्रभावित हो सकता है।

– हर बार मैनेजर सही फैसला ले, यह ज़रूरी नहीं है।

3. ज्यादा चार्ज और खर्च (Higher Expense Ratio)

कुछ Hybrid Funds, खासकर मल्टी-एसेट या डायनेमिक फंड्स में Expense Ratio ज़्यादा होता है।

– क्योंकि फंड मैनेजर को अलग-अलग एसेट क्लास का प्रबंधन करना होता है।

– ज़्यादा खर्च आपके रिटर्न को कम कर सकता है। hybrid fund Kya Hota Hai

4.कर संरचना की जटिलता (Complex Taxation Rules)

हर Hybrid Fund को एक जैसा टैक्स ट्रीटमेंट नहीं मिलता:

अगर इक्विटी हिस्सा 65% से ज्यादा है, तो Equity Fund जैसा टैक्स लगेगा

अगर इक्विटी हिस्सा कम है, तो Debt Fund की तरह टैक्स लगेगा

-> इससे नया निवेशक कन्फ्यूज हो सकता है और टैक्स की प्लानिंग बिगड़ सकती है।

5.झूठी सुरक्षा की भावना (False Sense of Security)

Hybrid Funds को “संतुलन बनाने वाले फंड” कहा जाता है, लेकिन कई बार निवेशक ये मान लेते हैं कि इनमें जोखिम नहीं होता।

– जबकि Equity का हिस्सा बाजार से जुड़ा होता है, जो घाटा भी दे सकता है।

-> बिना सही जानकारी के निवेश करने से नुकसान संभव है।

6. कम अवधि में रिटर्न निराशाजनक हो सकता है

अगर आपने Hybrid Fund में 1 या 2 साल के लिए निवेश किया, तो यह जरूरी नहीं कि वह FD या Debt Fund से बेहतर रिटर्न दे।

-> Hybrid Fund को कम से कम 3–5 साल के नजरिए से देखना चाहिए।

7.Over-Diversification का खतरा

कुछ Multi Asset Funds में इतनी ज्यादा Diversification होती है कि रिटर्न सीमित हो जाते हैं।

-> बहुत सारे एसेट क्लास में थोड़ी-थोड़ी राशि होने से किसी एक में अच्छा प्रदर्शन होने पर भी उसका असर कम हो जाता है। hybrid fund Kya Hota Hai

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Hybrid Fund में कौन निवेश करे?

वे लोग जो ना बहुत ज़्यादा रिस्क लेना चाहते हैं, ना बहुत कम रिटर्न

शुरुआती निवेशक जिन्हें शेयर मार्केट की समझ कम है

जो लोग लंबी अवधि (5+ साल) के लिए निवेश करना चाहते हैं

जो रेगुलर SIP के ज़रिए धीरे–धीरे वेल्थ बनाना चाहते हैं

Hybrid Fund में निवेश कैसे करें?

– किसी भरोसेमंद म्यूचुअल फंड ऐप या वेबसाइट पर जाएं (जैसे Groww, Zerodha, Paytm Money आदि)

– “Hybrid Fund” सर्च करें

– स्कीम की जानकारी पढ़ें – AUM, रिस्क, रिटर्न

– SIP या Lumpsum ऑप्शन चुनें

– KYC प्रोसेस पूरा करें (PAN, आधार आदि)

– भुगतान करें और निवेश शुरू करें hybrid fund Kya Hota Hai

Hybrid Mutual Funds पर टैक्स

Hybrid Funds में निवेश करने के बाद यह जानना जरूरी हो जाता है कि उस पर टैक्स कैसे लगता है। लेकिन ध्यान रहे, हर Hybrid Fund पर टैक्स एक जैसा नहीं होता। टैक्स की गणना इस बात पर निर्भर करती है कि फंड का कितना हिस्सा इक्विटी (शेयर बाज़ार) और कितना हिस्सा डेट (बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियां आदि) में लगाया गया है।

– अगर फंड में 65% या उससे अधिक हिस्सा इक्विटी में हो
अगर किसी Hybrid Fund का 65 प्रतिशत या उससे अधिक हिस्सा इक्विटी और उससे जुड़े इंस्ट्रूमेंट्स में लगाया गया है, तो उसे इक्विटी-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड माना जाता है। ऐसे फंड पर टैक्स नियम इक्विटी म्यूचुअल फंड जैसे होते हैं।

अगर आपने इस फंड को एक साल से कम समय तक रखा है, तो उस पर जो भी मुनाफा हुआ है, उस पर 15% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।

वहीं अगर आपने फंड को एक साल या उससे ज़्यादा समय तक रखा है, तो जो भी मुनाफा 1 लाख तक है, वह पूरी तरह टैक्स फ्री रहेगा। 1 लाख से ऊपर के मुनाफे पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।

यह नियम उन फंड्स पर लागू होता है जो एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स, इक्विटी सेविंग्स फंड्स, और आर्बिट्राज फंड्स जैसे होते हैं — जिनमें इक्विटी का हिस्सा 65% या उससे ज्यादा हो।

– अगर फंड में इक्विटी हिस्सा 65% से कम हो
अब अगर Hybrid Fund में इक्विटी की हिस्सेदारी 65% से कम है, तो उसे डेट-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड कहा जाता है। जैसे कि कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड या कुछ मल्टी-एसेट फंड्स।

2023 से पहले ऐसे फंड्स पर लंबी अवधि के निवेश (3 साल से ज़्यादा) पर इंडेक्सेशन के साथ टैक्स छूट मिलती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

अब इन फंड्स पर मिलने वाला मुनाफा पूरी तरह से आपकी टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होता है, चाहे आपने फंड को कितने भी समय तक क्यों न हो रखा हो।

इसका मतलब यह है कि अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो आपका मुनाफा भी 30% की दर से टैक्स के दायरे में आएगा। और यदि आपकी इनकम कम है, तो टैक्स भी उसी हिसाब से कम लगेगा। hybrid fund Kya Hota Hai

महत्वपूर्ण बातें :-

इक्विटी और डेट के अनुपात को देखकर ही टैक्स की प्रकृति तय होती है।

इक्विटी ज्यादा है तो टैक्स का फायदा मिलता है, लेकिन अगर डेट ज्यादा है तो आपका मुनाफा पूरी तरह आपकी इनकम की तरह टैक्सेबल होगा।

बहुत से निवेशक सिर्फ फंड का नाम देखकर निवेश कर लेते हैं, लेकिन टैक्स के नियमों को समझे बिना निवेश करना नुकसानदायक हो सकता है।

निवेश से पहले ध्यान दें

अगर आप लॉन्ग टर्म में निवेश कर रहे हैं और टैक्स में भी बचत चाहते हैं, तो ऐसा Hybrid Fund चुनें जिसमें इक्विटी की हिस्सेदारी 65% या उससे अधिक हो।

अगर आप कंज़र्वेटिव निवेशक हैं और टैक्स स्लैब में कम आते हैं, तो डेट-ओरिएंटेड फंड भी आपके लिए सही हो सकता है, लेकिन समझदारी के साथ। hybrid fund Kya Hota Hai

निष्कर्ष

Hybrid Fund उन लोगों के लिए वरदान है जो बाजार में सीधे कूदने से डरते हैं लेकिन पैसे को FD से बेहतर जगह पर लगाना चाहते हैं। यह फंड सुरक्षा, स्थिरता और विकास – तीनों का मेल है। यदि आप अपने निवेश जीवन की शुरुआत कर रहे हैं, तो Hybrid Fund से बेहतर शुरुआत शायद ही कोई हो।

सुझाव

– शुरुआत में आप SIP के ज़रिए 500 से निवेश शुरू करें

-Aggressive Hybrid Fund चुनें अगर आप 5 साल या उससे ज़्यादा के लिए निवेश कर रहे हैं

– हमेशा फंड के पिछले रिटर्न और फंड मैनेजर के अनुभव को देखें

अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ ज़रूर शेयर करें — हो सकता है किसी की निवेश यात्रा की शुरुआत इसी से हो जाए!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – Hybrid Fund (FAQs)

प्र.1: Hybrid Fund क्या होता है?

 

उत्तर – Hybrid Fund ऐसा म्यूचुअल फंड होता है जो इक्विटी (शेयर) और डेट (बॉन्ड/ऋण) दोनों में निवेश करता है। यह निवेशकों को रिटर्न और सुरक्षा का संतुलन देता है।

प्र.2: क्या Hybrid Fund नए निवेशकों के लिए सही है?

 

उत्तर – हाँ, Hybrid Fund उन लोगों के लिए बहुत अच्छा विकल्प है जो निवेश की शुरुआत कर रहे हैं और बहुत ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते।

प्र.3: Hybrid Fund में कितना रिटर्न मिल सकता है?

 

उत्तर – रिटर्न फंड के प्रकार, बाजार की स्थिति और समयावधि पर निर्भर करता है। सामान्यतः 8% से 12% तक का औसत रिटर्न देखने को मिल सकता है।

प्र.4: Hybrid Fund में निवेश कैसे करें?

 

उत्तर – आप किसी भी म्यूचुअल फंड प्लेटफ़ॉर्म, मोबाइल ऐप या AMFI रजिस्टर्ड एडवाइज़र की मदद से SIP या Lump Sum के जरिए निवेश कर सकते हैं।

प्र.5: Hybrid Fund में टैक्स कैसे लगता है?

 

उत्तर – अगर फंड में 65% से अधिक हिस्सा इक्विटी में है तो उस पर इक्विटी म्यूचुअल फंड जैसा टैक्स लगता है। यदि डेट का हिस्सा ज़्यादा है, तो डेट फंड की टैक्स व्यवस्था लागू होती है।

प्र.6: Hybrid Fund और Balanced Fund में क्या अंतर है?

 

उत्तर – पहले दोनों लगभग एक जैसे थे, लेकिन अब SEBI की कैटेगरी के अनुसार Hybrid Fund अलग-अलग प्रकारों में बांटे गए हैं जैसे — Aggressive, Conservative, Dynamic आदि, जबकि Balanced Fund एक सीमित कैटेगरी है।

प्र.7: क्या Hybrid Fund में नुकसान भी हो सकता है?

 

उत्तर – हाँ, चूंकि इनमें इक्विटी में भी निवेश होता है, तो बाजार गिरावट पर नुकसान संभव है। लेकिन डेट निवेश हिस्सा इस जोखिम को कुछ हद तक कम करता है।

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