वायु प्रदूषण
मनुष्य के क्रियाकलापों के फलस्वरूप पर्यावरण में हानिकारक तथा अवांछित घटकों की उपस्थिति प्रदूषण कहलाती हैं। यह प्रदूषण वायु , जल एवं मृदा किसी का भी हो सकता है।
वायु का अर्थात वायुमंडलीय प्रदूषण जीवाश्म ईंधनों के दहन , मोटर वाहनों से निकलने वाली अनुपयोगी गैसों तथा विभिन्न उद्योगों द्वारा वायुमंडल में छोड़ी गई सल्फर डाइऑक्साइड , कार्बनमोनोक्साइड तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइडों जैसी गैसों के फलस्वरूप होता है।
कभी – कभी वायु में उपस्थिति इन हानिकारक घटकों को संदूषक भी कहते हैं।
वायु प्रदूषण के मुख्यतः तीन कारण है :- बढ़ता हुआ यातायात , फैलते हुए शहर एवं औद्योगिकीकरण। वायुमंडल में एक या अधिक संदूषकों की ऐसी मात्रा का इतने समय तक जो मानवीय स्वास्थ्य या कल्याण तथा प्राणियों एवं पौधों के जीवन के लिए हानिकारक हो अथवा हानिकारक होने की संभावना को ही वायु प्रदूषण कहते हैं।
वायु का प्रदूषण उसमे हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति से होता है। Air pollution से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती है और यह पर्यावरण एवं संपत्ति को क्षति पहुंच सकता है।
वायु के प्रदूषण में वायुमंडल की रक्षात्मक ओजोन परत को , जो हमें सूर्य के लिखित हानिकारक प्रभाव वाली पराबैंगनी विकिरणों से बचाती हैं , विरल कर दिया है। इसके फलस्वरूप अवांछित मौसमी परिवर्तन हो रहे हैं।
निम्नलिखित उद्योग एवं गतिविधियां वे हैं जो वायु में काफी मात्रा में प्रदूषण छोड़ते हैं : सीमेंट , स्टील , शोधक कारखाने , पेट्रोरसायन , तापीय ऊर्जा संयंत्र , खनिज तथा खदान संबंधित कार्य।
Air pollution के कारक
वायु प्रदूषण के प्रमुख वायु प्रदूषक निम्नलिखित है :-
कार्बन मोनोक्साइड
कार्बन डाइऑक्सइड
लंबित कणीय द्रव्य
क्लोरो फ्लुओरो कार्बन
नाइट्रोजन के ऑक्साइड
सल्फर डाइऑक्सइड कार्बन
ओजोन
लेड
फ्लाइ ऐश
वायु प्रदूषण से बचाव
Air pollution को दूर करना एवं वायु की गुणवत्ता बढ़ाना तथा उसे नियंत्रित करना बहुत कठिन कार्य नहीं है। ऐसा करने के लिए हमें कुछ आवश्यक कदम तथा कुछ प्रतिबंध लगाने होंगे। ऐसे कुछ कदम एवं प्रतिबंध इस प्रकार हैं :-
1. ऊर्जा उत्पादन में कम प्रदूषणकारी उपायों जैसे कि सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा , ज्वारभाटिया ऊर्जा एवं भूतापीय ऊर्जा के उपयोग की ओर प्रवृत्त होना। नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य रूपों के उपयोग की संभावना की तलाश भी करनी चाहिए। जीवाश्म ईंधन का न्यूनतम उपयोग करना चाहिए। कारखानों एवं मीलों की चिमनियों पर धूम अवक्षेपित्र लगाए जाने चाहिए।
2. जहां तक संभव हो कारों , बसों एवं ट्रैकों के संचालन में लड़ रहित ईंधन जैसे की संपीडित प्रकृतिक गैस का उपयोग करना चाहिए। वाहनों की वायु प्रदूषण संबंधी जांच कड़ाई से की जानी चाहिए। इसी प्रकार , हमे प्रदूषण उत्पन्न करने वाली औद्योगिकी इकाइयों से सतर्क रहना चाहिए।
3. प्लास्टिक से बनी थैलियों का उपयोग न करें। केवल कपड़े एवं जूट के थैलों का उपयोग करें। सूखे पत्तों , पेड़ों की टहनियों , कागज एवं कचरे को खुले में ना जलाएं।
4. बिजली की बचत करें। अंततः इसका अर्थ जीवाश्म ईंधनों का कम उपयोग है।
5. ऐरोसॉल जो वायु में कुछ क्षणों से लेकर अनेक महीनों तक निलंबित रह सकते है जैसे इत्र , दुर्गंधनाशक स्प्रे , प्रसाधनसामग्री तथा इसी प्रकार के अन्य स्प्रे। इनका घरों में उपयोग कम किया जाना चाहिए।
6. अधिक वृक्ष उगाइये। ये प्रकृति के फेफड़े हैं। अपने पास – पड़ोस के वृक्षों की देखरेख कीजिये।
7. धूम्रपान न करे ; जो आपके पड़ोसी है उनके प्रति न्याय कीजिए।
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