एंजियोस्पर्म
पुष्पी पादपों अथवा एंजियोस्पर्म ( angiosperms) में परागकण तथा बीजाण्ड विशिष्ट रचना के रूप में विकसित होते हैं। जिसे पुष्प कहते हैं। जबकि जिम्नोस्पर्म में बीजाण्ड अनावृत होते हैं। एंजियोस्पर्म ( angiosperms) पुष्पी पादप है , जिसमे बीज फलों के भीतर होते हैं।
यह पादपों में सबसे बड़ा वर्ग है। उनके वासस्थान भी बहुत व्यापक है। इनका माप सूक्ष्मदर्शी जीवों वुल्फ़िया से लेकर सबसे ऊंचे वृक्ष यूकेलिप्टस तक होता है। इनसे हमें भोजन , चारा , ईंधन , औषधियाँ तथा अन्य दूसरी आर्थिक महत्व के उत्पादन प्राप्त होते हैं। ये दो वर्गों द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री में विभक्त होते हैं। एंजियोस्पर्म
द्विबीजपत्री पौधों के बीजों दो बीज पत्र होते है , जबकि एकबिजीपत्री में एक बीज पत्र होता है। पुष्प में नर लैंगिक अंग पुंकेसर है। प्रत्येक पुंकेसर में एक पतला तंतु होता है जिसकी चोटी पर परागकोश होता है। मिआसिस के बाद परागकोश में परागकण बनते हैं। पुष्प में मादा लैंगिक अंग स्त्रीकेसर अथवा अंडप होते हैं।
स्त्रीकेसर में अंडाशय होता है जिसके अंदर एक या एक से अधिक बीजाण्ड होते हैं। बीजाण्ड के अंदर बहुत ही न्यूनीकृत मादा युग्मकोदभिद होता है जिसे भ्रूणकोश कहते हैं। भ्रूणकोश बनने से पहले उसमे मिआसिस होता है। इसलिए भ्रूणकोश की प्रत्येक कोशिका अगुणित होती है। एंजियोस्पर्म
प्रत्येक भ्रूणकोश में तीन कोशिकीय अंड समुच्चय – एक अंड कोशिका तथा दो सहायक कोशिकाएं , तीन प्रतिव्यासांत कोशिकाएं तथा दो ध्रुवीय कोशिकाएं होती हैं। दो ध्रुवीय कोशिकाएँ आपस में जुड़ जाती है जिससे द्विगुणित द्वितीयक केंद्रक बनता है।
परागकण परागकोश से निकलने के बाद हवा अथवा अन्य एजेंसियों द्वारा स्त्री केसर के वर्त्तिकाग्र पर स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। इस स्थानांतरण को परागण कहते हैं। परागकण वर्त्तिकाग्र पर अंकुरित होते हैं , जिससे परागनली बनती है। परागनली वर्त्तिकाग्र तथा वर्तिका के ऊतकों के बीच से होती हुई बीजाण्ड तक पहुंचती है। एंजियोस्पर्म
परागनली भ्रूणकोश के अंदर जाती है ; जहां पर फटकर यह दो नर युग्मको को छोड़ देती है। इनमें से एक नर युग्मक अंड कोशिका से संगलित हो जाता है जिससे एक युग्मनज बनता है। दूसरा नर युग्मक द्विगुणित द्वितीयक केंद्रक से संगलित करता है। जिससे त्रिगणित प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक बनता है। एंजियोस्पर्म
चूँकि इसमें दो संगलन होते हैं , इसलिए इस द्विनिषेचन कहते हैं। द्विनिषेचन एंजियोस्पर्म ( angiosperms) का अद्वितीय गुण है। युग्मनज भ्रूण में विकसित हो जाता है और प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक भ्रूणपोष में विकसित हो जाता है।
भ्रूणपोष विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। इन घटनाओं के दौरान बीजाण्ड से बीज बन जाते हैं तथा अंडाशय से फल बन जाता है। निषेचन के बाद सहायक कोशिकाएं तथा प्रतिव्यासांत कोशिकाएं लुप्त हो जाती हैं। एंजियोस्पर्म
निष्कर्ष
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