एनोरेक्सिया
एनोरेक्सिया ( Anorexia) अथवा भोजन करने की इच्छा न होना – एनोरेक्सिया या अरुचि अन्य बहुत से रोगों में प्रकट होने वाला लक्षण है। अतः स्वतंत्र रूप से इस रोग ( एनोरेक्सिया ) की अपनी अहमियत कम है।
‘ एनोरेक्सिया ‘ ( Anorexia)से पीड़ित रोगी को – भूख नहीं लगती , वह पूरे – पूरे दिन बिना भोजन किये हुए ही रह लेता है।
एनोरेक्सिया के कारण
एनोरेक्सिया (Anorexia) अन्य रोगों से प्रकट होने वाला लक्षण है। अतः यह पेट , आंत , यकृत / जिगर तथा शरीर के अन्य भाग में होने वाले रोगों के कारण हो सकता है।
शरीर में विटामिन ‘ बी ‘ कम्प्लेक्स की कमी से भी भूख की कमी हो जाती है ।
अधिक पौष्टिक आहार सेवनोपरान्त सारे दिन कोई कार्य / श्रम न करने से भी ‘ अरुचि ‘ हो जाती है।
शरीर में ‘ कृमि ‘ ( वमर्स ) की उपस्थिति भी एनोरेक्सिया ( अरुचि ) का मुख्य कारण माना जाता है।
आमांश का अधिक मात्रा में संचय ( कब्ज ) के परिणाम स्वरूप भी भोजन में अरुचि होती है।
एनोरेक्सिया के लक्षण
रोगी को भूख नहीं लगती है , थोड़ा सा भोजन करने के उपरांत ही पेट भरा – भरा सा लगने लगता है।
लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन न करने से शरीर में कमजोरी तथा शारीरिक भार में कमी आ जाती है।
रोगी को डकारें आती है तथा मुख में ( पेट से वापस ) पानी आता है।
रोगी सदैव मानसिक चिंता से ग्रसित रहता है।
किसी भी कार्य में मन नहीं लगता ,शरीर में आलस्य और थकावट रहती है। स्वभाव में क्रोध और चिड़चिड़ापन रहता है।
रोगी को अल्प परिश्रम करने मात्र से ही अधिक थकावट प्रतीत होने लगती है।
कब्ज बनी रहती है। रोगी दिन – प्रतिदिन सूखता चला जाता है।
भोजन न करने पर भी रोगी को भूख नहीं लगती है।
रोगी की छाती में दर्द तथा पीड़ा होती है। रोगी का चेहरा मालिन और खुश्क हो जाता है।
मुख में उष्णता तथा दुर्गंध की उपस्थिति होती है। दीर्घकालीन रोगी में रक्ताल्पता हो जाती है।
एनोरेक्सिया नाशक कुछ सरल घरेलू आयुर्वेदिक प्रयोग
1. लहसुन की छिली हुई कलियां / पुतियों को पीस कर तथा इसमें कागजी नींबू का रस और थोड़ा सा नमक मिलाकर सेवन करने से एनोरेक्सिया तथा अपच रोग दूर होता है।
2. अनार के रस में जीरा व शक्कर मिलाकर सेवन करने से एनोरेक्सिया रोग नष्ट हो जाता है।
3. नींबू के रस में दोगुना पानी और लौंग व काली मिर्च का थोड़ा सा चूर्ण डालकर सेवन करने से अरुचि नष्ट / दूर हो जाती है।
4. 6 ग्राम खट्टे अनार के रस में 12 ग्राम असली शहद मिलाकर और इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से एनोरेक्सिया रोग दूर हो जाता है।
5. भोजन के समय 1 ग्राम सोडा बाई कार्ब को 100 मिली पानी में मिलाकर और कागजी नींबू के आधे टुकड़े का रस निचोड़कर सेवन करने से एनोरेक्सिया रोग समाप्त हो जाता है।
औषधि
1. झंडू जाइम टेबलेट – 2 – 2 गोली पानी के साथ भोजनोपरान्त दे।
2. लिव – 52 सीरप – 15 मिली दिन में 2 बार भोजनोपरान्त सेवन करायें।
3. यवानी खण्ड़व चूर्ण – इस चूर्ण को सुबह के समय मुख में रखकर चूसने से अरुचि नष्ट होती है।