वायुमंडलीय दाब
वायुमंडलीय दाब , वायुमंडल द्वारा पृथ्वी की सतह पर वायु के भार के फलस्वरूप लगने वाला दाब है। वायुमंडलीय वायु का दाब , जिसे सामान्यतः वायुमंडलीय दाब कहते हैं , पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
आप जानते हैं कि वायुमंडल पूर्णता गैसों का मिश्रण है। अतः वायुमंडलीय व्यवहार के पैटर्न को समझने के लिए हमें गैसों के व्यवहार को समझना होगा।
लगभग सभी गैसों में कुछ निश्चित गुण होता हैं। इनमें से प्रत्येक गुण हमारे वायुमंडल में वायु के व्यवहार को समझने में उपयोगी है। गैसों के कुछ ऐसे गुण जो हमारे वायुमंडल के व्यवहार को प्रभावित करते हैं इस प्रकार है :-
1. वायुमंडल में गैसें सतत एक दूसरे में मिश्रित एवं विसरित होती रहती है।
2. सूर्य की उष्मा वायुमंडलीय गैसों को गर्म करती हैं जिसके फलस्वरूप वायुमंडल में उपस्थित वायु का ताप , दाब एवं घनत्व बदलता रहता है। यह पवन के बनने का कारण है।
3. वायु को संपीडित किया जा सकता है।
4. वायुमंडल अपने परिवेश पर दाब डालता है। इसे हम वायुमंडलीय दाब कहते हैं। यह स्थान की ऊंचाई पर निर्भर करते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान की तुलना में भिन्न होता है।
वायु का दाब , वायु में उपस्थित गैसों के सूक्ष्म अणुओं के बर्तन अथवा जिस पात्र में वह रखा गया है उसकी दीवारों से सतत टकराने के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। हम स्वयं भी अपने शरीर पर कार्यरत वायुदाब का अनुभव कर सकते हैं।
कभी – कभी विशेषकर अधिक ऊंचाई पर , हमारे कानों के पर्दों पर पड़ने वाले वायुदाब को संतुलित करने के लिए हमारे कान एक तरह से खड़े हो जाते हैं।
पृथ्वी पर लगने वाला वायुदाब पृथ्वी के गुरुत्व के फलस्वरूप उत्पन्न वायु के भार के कारण होता है। गुरुत्वाकर्षण बल वायु को भार प्रदान करता है। इसे वायुमंडलीय दाब भी कहते हैं।
इसके फलस्वरूप पृथ्वी की सतह के निकटतम व्याप्त वायु उसके ऊपर की वायु के भार से संपीडित होती है। वायुमंडल दाब में सबसे अधिक परिवर्तन ऊंचाई में परिवर्तन से होता है। पृथ्वी के विभिन्न भागों में वायुदाब का अंतर पवन को जन्म देता है।
मानक मात्रकों में दाब को पास्कल में व्यक्त किया जाता है। एक न्यूटन बल द्वारा एक वर्गमीटर क्षेत्र पर लगने वाला दाब एक पास्कल कहलाता है। चूंकि पास्कल दाब की बहुत छोटी इकाई है अतः हम वायुदाब को सामान्यतः किलोपासकल में व्यक्त करते हैं।
वायुमंडलीय दाब का मापन जिस युक्ति से किया जाता है उसे बैरोमीटर कहते हैं। बैरोमीटर दो प्रकार के होते हैं : पारद बैरोमीटर तथा ऐनिरायड बैरोमीटर। वायुमंडलीय दाब को वायुमंडलीय भार द्वारा पृथ्वी की एक इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बाल के रूप में मापा जाता है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आप को atmospheric pressure के बारे में जानकारी दी। अगर आप को हमारी जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे। अगर कोई डाउट हो तो कमेंट करे। धन्यवाद
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