भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क :- मध्यकालीन स्मृतिकरों और टीकाकरों ने कहा है कि समुद्र – यात्रा नहीं करनी चाहिए।

भारत हड़प्पा – युग से ही अपने एशियाई पड़ोसियों से संपर्क बनाए रहा। भारतीय व्यापारी लोग मेसोपोटामिया के नगरों तक पहुंचे जहां ईसा – पूर्व 2400 से ईसा – पूर्व 1700 के बीच उनकी मुहरें पाई गई है।

ईस्वी सन के आरंभ से भारत ने चीन , दक्षिण – पूर्व एशिया , पश्चिम एशिया और रोमन साम्राज्य के साथ वाणिज्य संपर्क बनाए रखे।

भारत ने पड़ोसी देशों में धर्मप्रचारक , विजेता और व्यापारी भेजें , जिन्होंने वहां बस्तियां बनाई।

बौद्ध धर्म के प्रचार से श्रीलंका , बर्मा , चीन और मध्य एशिया के साथ भारत के संपर्क बढ़े।

ईसा – पूर्व दूसरी और पहले सदियों के छोटे-छोटे ब्राह्मी अभिलेख श्रीलंका में पाए गए हैं। भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

ईस्वी सन की आरंभिक सदियों में बौद्ध धर्म का प्रचार भारत से बर्मा में हुआ। यहां बौद्ध धर्म के ‘ थेरवाद ‘ को विकसित किया गया और बुद्ध की अनेक प्रतिमाएं और मंदिर बनाए गए।

बर्मा और श्रीलंका के बौद्धों ने प्रचुर बौद्ध साहित्य की रचना की , जो भारत में दुर्लभ था।

श्रीलंका में समस्त पालि मूल ग्रंथ संग्रहित किए गए और उन पर टिकाएं लिखी गई।

कनिष्क के शासनकाल से ही कई भारतीय धर्मप्रचारक चीन , अफगानिस्तान और मध्य एशिया जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार करते रहे। चीन से बौद्ध धर्म कोरिया और जापान पहुंचा।

फा – हियान और हुआन सांग जैसे कई चीनी यात्री बौद्ध धर्म ग्रंथों और सिद्धांतों की खोज में ही भारत आए।

बौद्धों की एक बस्ती चीन स्थित ‘ तुन – हुआड़ ‘ में बस गई , जहां से मरुभूमि के उस पार जाने वाली वाणिकों की टोलियां अपनी यात्रा शुरू करती थी। भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

भारतीयों ने रेशम उपजाने का कौशल चीन से सीखा और चीनियों ने बौद्ध चित्रकला भारत से सीखी।

अफगानिस्तान के उत्तरी भाग में स्थित ‘ बेगराम ‘ और ‘ बामियान ‘ से बुद्ध की मूर्तियां और विहार मिले हैं। बेगराम की हाथी दांत की दस्तकारी मशहूर है, जिसमें कुषाण काल की भारतीय कलाकारी से समानता है।

बामियान में दुनिया की सबसे बड़ी बुद्ध मूर्ति ईस्वी सन के आरंभिक वर्षों में चट्टान को काटकर बनाई गई है। यहां अनेक प्राकृतिक और कृत्रिम गुफाएं हैं जिनमें बौद्ध भिक्षु रहते थे।

अफगानिस्तान में बौद्ध धर्म सातवीं सदी तक जमा रहा। इस सदी में इस्लाम धर्म ने इसे अपदस्थ कर दिया।

मध्य एशियाई क्षेत्रों में कई स्थानों पर उत्खननों के फलस्वरूप कई बौद्ध विहार , स्तूप और अभिलेख प्रकाश में आए हैं और भारतीय भाषाओं में लिखी पांडुलिपियाँ मिली हैं।

कुषाण शासन के विस्तार के फलस्वरुप खरोष्ठी लिपि में लिखी प्राकृत भाषा मध्य एशिया में फैली , जहां ईसा की चौथी सदी के अनेक प्राकृत अभिलेख और पांडुलिपियाँ मिली हैं। भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

मध्य एशिया में बौद्ध धर्म की प्रमुखता सातवीं सदी के अंत के आसपास तक रही।

बर्मा को छोड़ कर दक्षिण – पूर्व एशिया के अन्य देशों में भारतीय संस्कृति का प्रसार मुख्यता ब्राह्मण धर्म के जरिए हुआ।

बर्मा के ‘ पेगू ‘ और ‘ मोलमेन ‘ ‘ सुवर्णभूमि ‘ कहलाते हैं।

भड़ौच , वाराणसी और भागलपुर के व्यापारी बर्मा के साथ व्यापार करते थे। बर्मा में गुप्त काल में काफी बौद्ध अवशेष मिले हैं।

भारत ने ईसा की पहली सदी से ही इंडोनेशिया ( जावा ) के साथ , जिसे प्राचीन भारत के लोग ‘ सुवर्णद्वीप ‘ कहते थे , घनिष्ठ व्यापारिक संबंध स्थापित किए। यहां भारतीय बस्तियां सबसे पहले 56 ईस्वी में स्थापित की गई। ईसा की दूसरी सदी में यहां कई छोटे-छोटे भारतीय राज्य कायम किए गए।

जब चीनी यात्री फा – हियान पांचवी सदी में जावा गया तो उसने वहां पर ब्राह्मण धर्म फैला पाया। भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

ईस्वी सन की आरंभिक सदियों में पल्लवों ने सुमात्रा में अपनी बस्तियां स्थापित की। कालक्रमेण वे सभी ‘ श्रीविजय राज्य ‘ के रूप में परिणत हुए जो राज्य पांचवी से दसवीं सदी तक महत्वपूर्ण शक्ति और भारतीय संस्कृति का केंद्र बना रहा।

जावा और सुमात्रा की भारतीय बस्तियां भारतीय संस्कृति के प्रसार का द्वार बन गई।

हिंदचीन में , जो सम्प्रति वियतनाम , कंबोडिया और लाओस में बँटा है , भारतीयों ने कंबोज और चंपा में शक्तिशाली राज्य स्थापित किए।

कंबोज अर्थात आज के कंबोडिया का शक्तिशाली राज्य छठी सदी में स्थापित हुआ। इसके शासक शैव थे। उन्होंने कंबोज को संस्कृत विद्या का केंद्र बना दिया तथा यहां असंख्य अभिलेख संस्कृत भाषा में लिखे गए।

कंबोज के निकट चंपा में , जिसमें उत्तरी वियतनाम की सीमापट्टी सहित दक्षिणी वियतनाम शामिल है , व्यापारियों ने अपनी बस्तियां बनाई। चंपा के राजा भी शैव थे और उनकी राजकीय भाषा संस्कृत थी। यह देश वेदों और धर्मशास्त्रों की शिक्षा का प्रमुख केंद्र माना जाता था। भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

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हिंद महासागर स्थित भारतीय बस्तियां 13वीं सदी तक फलती – फूलती रही। फलत: इन देशों की कला – कृतियों में भारतीय और स्थानीय तत्वों का सफल मिश्रण दिखाई देता है।

यह अद्भुत बात है की सबसे विशाल बौद्ध मंदिर भारत में नहीं बल्कि इंडोनेशिया के ‘ बोरोबुदुर ‘ में है। यह विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध मंदिर माना जाता है। इसका निर्माण आठवीं सदी में हुआ। इस पर बुद्ध के 436 चित्र उत्कीर्ण है।

कम्बोडिया के अंकोरवाट का मंदिर बोरोबुदुर के मंदिर से भी बड़ा है। इस मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत की कहानी उभरी हुई मूर्तियों में अंकित है।

इंडोनेशिया में रामायण की कहानी इतनी लोकप्रिय है कि वहां की जनता इस पर आधारित लोक नाट्य खेलती है।

इंडोनेशिया भाषा बहसा इंडोनेशिया में अनगिनत संस्कृत शब्द है।

थाईलैंड से मिला बुद्ध का मुण्ड , कम्बोज में पाया गया बुद्ध का मुण्ड तथा जावा में मिली काँसे की बुद्ध की शानदार मूर्तियां दक्षिण – पूर्व एशिया की स्थानीय कला – परंपराओं के साथ भारतीय कला के संगम के उत्कृष्टतम नमूने हैं।

चित्रकला के उत्कृष्ट उदाहरण श्रीलंका और चीनी सीमा स्थित ‘ तुन हुआंड ‘ में मिला है जिसकी तुलना अजंता के चित्रों से की जा सकती है। भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

धर्मप्रचारकों के पीछे-पीछे व्यापारी और विजयाकांक्षी भी जाते रहे और उन्होंने मध्य एशिया और दक्षिण – पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंधों को मजबूत बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई

भारतीयों ने अपने दूर और पास के पड़ोसियों से भौतिक संस्कृति के कई तत्वों को ग्रहण किया। उन्होंने यूनानियों और रोमानों से सोने का सिक्का ढालना सिखा , चीनियों से रेशम पैदा करना सीख , इंडोनेशिया से पान की बेल लगाना सीख , और कई अन्य चीज भी अपने पड़ोसी देशों से सीखी।

कपास उगाने का कौशल भारत से चीन और मध्य एशिया गया।

ऐसा प्रतीत होता है कि कला , धर्म , लिपि और भाषा के क्षेत्र में भारत का योगदान अधिक मूल्यवान रहा।

पड़ोसी देशों में जो संस्कृति विकसित हुई वह किसी भी तरह भारतीय संस्कृति की प्रतिकृति मात्रा नहीं थी , बल्कि भारतीय संस्कृति के तत्वों से मिली , उनकी अपनी-अपनी अलग संस्कृति थी। भारत का एशियाई देशों से सांस्कृतिक सम्पर्क

MCQ

प्रश्न 1 – बौद्ध धर्म का प्रचार भारत से बर्मा में हुआ –

उत्तर – ईस्वी सन की आरंभिक सदियों में

प्रश्न 2 – किस देश के लोगों ने बौद्ध धर्म के ‘ थेरवाद ‘ को विकसित किया और बुद्ध की आराधना के लिए अनेक प्रतिमाएं और मंदिर बनवाये ?

उत्तर – बर्मा

प्रश्न 3 – समस्त पालि मूल ग्रंथ किस देश में संग्रहित किए गए और उन पर टिकाएं लिखी गई ?
श्रीलंका

प्रश्न 4 – भारतीयों ने रेशम उपजाने का कौशल किस से सीखा ?

उत्तर – चीन

प्रश्न 5 – चीनियों ने बौद्ध चित्रकला किस से सीखी ?

उत्तर – भारत

प्रश्न 6 – दुनिया की सबसे बड़ी बुद्ध की मूर्ति कहाँ पर बनाई गई थी ?

उत्तर – बामियान

प्रश्न 7 – बर्मा को छोड़ कर दक्षिण – पूर्व एशिया के अन्य देशों में भारतीय संस्कृति का प्रसार मुख्यता किस धर्म के जरिए हुआ ?

उत्तर – ब्राह्मण धर्म

प्रश्न 8 – सुवर्णभूमि कौन कहलाता है ?

उत्तर – पेगू और मोलमेन

प्रश्न 9 – प्राचीन भारत के लोग सुवर्णद्वीप किसे कहते थे ?

उत्तर – इंडोनेशिया

प्रश्न 10 – भारतीयों ने कहाँ पर शक्तिशाली राज्य स्थापित किए ?

उत्तर – कंबोज और चंपा में

प्रश्न 11 – विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध मंदिर माना जाता है –

उत्तर – इंडोनेशिया के बोरोबुदुर मंदिर को

प्रश्न 12 – किस मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत की कहानी उभरी हुई मूर्तियों में अंकित है ?

उत्तर – अंकोरवाट के मंदिर में

प्रश्न 13 – भारतियों ने सिक्के ढालने की कला किससे सीखी ?

उत्तर – यूनानियों और रोमानों से

प्रश्न 14 – भारतियों ने पान की बेल लगाने की कला किससे सीखी ?

उत्तर – इंडोनेशिया

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