Chancroid का घरेलू व आयुर्वेदिक इलाज

Chancroid

Chancroid – जब कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ लैंगिक संबंध बनता है, तो उसके जननांगों पर जख्म बन जाते है , जिसे Chancroid कहते हैं।

Chancroid के मुख्य कारण

1. यह ‘ रजित रोग ‘ डक्री बैसिलस के संक्रमण से होता है।

2. भारतीय महिलाओं में इस रोग के कोई लक्षण नहीं होते है।

3. लैंगिक संसर्ग के दौरान जीवाणु संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति के जनन अंगों की त्वचा अथवा श्लैष्मिक कला में प्रवेश कर जाता है।

4. यह जीवाणु छोटा और पतला होता है। इसके किनारे गोल होते हैं। यह जोड़ों में रहतें है।

Chancroid के मुख्य लक्षण

1. असुरक्षित सम्भोग के 3 से 5 दिन के अंदर जननेन्द्रिय पर अथवा उसकी ऊपरी त्वचा के ऊपर कई पिटिकायें उभर आती है। कुछ दिनों के अंदर ये पिटिकायें फुंसी में परिवर्तित हो जाती है। इनके चारो तरफ लालिमा छा जाती है तथा इनके अंदर से मवाद निकलती है।

2. घावों को स्पर्श करने पर इनमें से बड़ी सरलता पूर्वक मवादयुक्त रक्त निकलने लगता है।

3. रोग के पुराना हो जाने पर संपूर्ण शरीर पर लाल – लाल चकत्ते निकल आते हैं तथा उन स्थानों पर घाव से बनते जाते हैं।

4. शरीर से एक विशिष्ट प्रकार की गंध आने लगती है।

5. रोगी द्वारा लापरवाही करने तथा समुचित उपचार के अभाव में रोगी की हालत बिगड़ जाती है तथा भीतरी जननेन्द्रिय गलनी शुरू हो जाती है।

Chancroid image

Chancroid के कुछ सरल घरेलू आयुर्वेदिक प्रयोग

1. बड़ी इलायची के दाने 4 ग्राम खाने वाला सोडा 6 ग्राम को लाल साठी के चावलों के मांड या धोवन के साथ Chancroid के रोगी को सेवन करायें।

2. फिटकरी 1 ग्राम और थोड़ा सा गुड इन दोनों को मिलाकर प्रतिदिन प्रातः समय खाली पेट Chancroid के रोगी को सेवन करायें।

3. चौलाई को उबालकर उसके पत्तों का आधा कप रस Chancroid के रोगी को प्रतिदिन सेवन करायें।

4. त्रिफला चूर्ण 1 चम्मच , पिसी हुई हल्दी 2 चम्मच तथा मिश्री 5 ग्राम इनको पीसकर अच्छी तरह मिला लें। फिर इसमें थोड़ा सा शहद डालकर प्रतिदिन सुबह के समय Chancroid के रोगी को सेवन करायें।

5. छोटे – छोटे एरंड के पत्तों का रस 15 -15 मिली की मात्रा में रोगी को दिन में दो बार दें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *