प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स :- प्राणी अपना भोजन प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पौधों से प्राप्त करता है।

कुछ प्राणी सीधे ही पौधों का भक्षण करते है जबकि कई अन्य उन जन्तुओ को अपना आहार बनाते है जो पौधे खाते है। कुछ जंतु , पौधों एवं जंतु दोनों को खाते है।

मानव सहित सभी जीवो को वृद्धि करने , शरीर को स्वस्थ एवं गतिशील बनाए रखने के लिए खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है।

प्राणियों के पोषण में पोषक तत्त्वों की आवश्यकता , आहार के अंतर्ग्रहण ( भोजन ग्रहण करने ) की विधि और शरीर में इसके उपयोग की विधि सन्निहित है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

कार्बोहाइड्रेट जैसे कुछ संघटक जटिल पदार्थ है। अनेक जंतु इन जटिल पदार्थो का उपयोग सीधे इसी रूप में नहीं कर सकते। अतः इन्हें सरल पदार्थो में बदलना आवश्यक है।

जटिल खाद्य पदार्थो का सरल पदार्थो में परिवर्तित होना या टूटना विखंडन कहलाता है तथा इस प्रक्रम को पाचन कहते है।

भोजन के अंतर्ग्रहण की विधि विभिन्न जीवों में भिन्न – भिन्न होती है। मधुमक्खी एवं मर्मर पक्षी ( हमिंग बर्ड ) पौधों का मकरंद चूसते है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

स्टारफिश कैल्सियम कार्बोनेट के कठोर कवच वाले जन्तुओ का आहार करती है।

कवच खोलने के बाद यह अपने मुख से अपना आमाशय बाहर निकलती है तथा जंतु के कोमल भागों को खाती है।

आमाशय वापस शरीर में चला जाता है तथा आहार धीरे – धीरे पचता है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

आहार नाल तथा स्रावी ग्रंथियाँ संयुक्त रूप से मानव के पाचन तंत्र का निर्माण करती है।

इसमें मुख -(1) गुहिका ; (2) ग्रसिका ; (3) आमाशय; (4) क्षुद्रांत्र; (5) बृहद्रांत्र ,जो मलाशय में समाप्त होती है तथा (6) गुदा सम्मिलित है।

पाचक रस स्त्रावित करने वाली मुख्य ग्रंथियाँ है :(1) लाला – ग्रंथि ; (2) यकृत एवं (3) अग्न्याशय।

आमाशय की भित्ति एवं क्षुद्रांत्र की भित्ति भी पाचक रस स्त्रावित करती है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

भोजन का अंतर्ग्रहण मुख द्वारा होता है। आहार को शरीर के अंदर लेने की क्रिया अंतर्ग्रहण कहलाती है।

हम दाँतो की सहायता से भोजन चबाते है तथा यांत्रिक विधि द्वारा उसे छोटे – छोटे टुकड़ो में पीस डालते है।

हमारे मुख में लाला – ग्रंथि होती है , जो लाला रस ( लार ) स्रावित करती है।

जीभ एक माँसल पेशीय अंग है , जो पीछे की ओर मुख – गुहिका के अधर तल से जुड़ी होती है।

इसका अग्र भाग स्वतंत्र होता है और किसी भी दिशा में मुड़ सकता है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

यह भोजन में लार को मिलाने का कार्य करती है तथा निगलने में भी सहायता करती है। जीभ द्वारा ही हमें स्वाद का पता चलता है।

जीभ पर स्वाद – कलिकाएँ होती है ,जिनकी सहायता से हमें विभिन्न प्रकार के स्वाद का पता चलता है।

निगला हुआ भोजन ग्रास – नली अथवा ग्रसिका में जाता है। ग्रसिका गले एवं वक्ष से होती हुई जाती है।

ग्रसिका की भित्ति के संकुचन से भोजन नीचे की ओर सरकता जाता है।

वास्तव में ,संपूर्ण आहार नाल संकुचित होती रहती है तथा यह गति भोजन को नीचे की ओर धकेलती रहती है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स image

आमाशय मोटी भित्ति वाली एक थैलीनुमा संरचना है। यह चपटा एवं ‘ J ‘ की आकृति का होता है तथा आहार नाल का सबसे चौड़ा भाग है।

यह एक ओर ग्रसिका ( ग्रास नली ) से खाद्य प्राप्त करता है तथा दूसरी ओर क्षुद्रांत्र में खुलता है।

आमाशय का आंतरिक अस्तर ( सतह ) श्लेष्मल , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पाचक रस स्रावित करता है।

श्लेष्मल आमाशय के आंतरिक अस्तर को सुरक्षा प्रदान करता है।

अम्ल अनेक ऐसे जीवाणुओं को नष्ट करता है , जो भोजन के साथ वहाँ तक पहुँच जाते है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

साथ ही यह माध्यम को अम्लीय बनता है जिससे पाचक रसों को क्रिया करने में सहायता मिलती है।

पाचक रस ( जठर रस ) प्रोटीन को सरल पदार्थों में विघटित कर देता है।

क्षुद्रांत्र लगभग 7.5 मीटर लम्बी अत्यधिक कुंडलित नली है। यह यकृत तथा अग्न्याशय से स्राव प्राप्त करती है।

इसके अतिरिक्त इसकी भित्ति से भी कुछ रस स्रावित होता है।

यकृत गहरे लाल – भूरे रंग की ग्रंथि है , जो उदर के ऊपरी भाग में दाहिनी ( दक्षिण ) ओर अवस्थित होती है। यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

यह पित्त रस स्रावित करती है ,जो एक थैली में संग्रहित होता रहता है ,इसे पित्ताशय कहते है।

पित्त रस वसा के पाचन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अग्न्याशय हल्के पिले रंग की बड़ी ग्रंथि है , जो आमाशय के ठीक नीचे स्थित होती है।

‘ अग्न्याशयिका रस ‘ , कार्बोहाइड्रेट्स एवं प्रोटीन पर क्रिया करता है तथा इनको उनके सरल रूप में परिवर्तित कर देता है।

आंशिक रूप से पचा भोजन अब क्षुद्रांत्र के निचले भाग में पहुँचता है जहाँ आंत्र रस पाचन क्रिया को पूर्ण कर देता है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

कार्बोहाइड्रेट सरल शर्करा जैसे की ग्लूकोस में परिवर्तित हो जाते है। ‘ वसा ‘ , वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में तथा ‘ प्रोटीन ‘,ऐमीनो अम्ल में परिवर्तित हो जाती है।

पचा हुआ भोजन अवशोषित होकर क्षुद्रांत्र की भित्ति में स्थित रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। इस प्रक्रम को अवशोषण कहते है।

क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर अँगुली के समान उभरी हुई संरचनाएँ होती है , जिन्हे दीर्घरोम अथवा रसांकुर कहते है।

दीर्घरोम पचे हुए भोजन के अवशोषण हेतु तल क्षेत्र बढ़ा देते है। प्रत्येक दीर्घरोम में सूक्ष्म रुधिर वाहिकाओं का जाल फैला रहता है।

दीर्घरोम की सतह से पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है तथा यह रुधिर वाहिकाओं में चला जाता है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

अवशोषित पदार्थों का स्थानांतरण रुधिर वाहिकाओं द्वारा शरीर के विभिन्न भागो तक होता है , जहाँ उनका उपयोग जटिल पदार्थों को बनाने में किया जाता है। इस प्रक्रम को स्वांगीकरण कहते है।

कोशिकाओं में उपस्थित ग्लूकोस का विघटन ऑक्सीजन की सहायता से कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल में हो जाता है और ऊर्जा मुक्त होती है।

भोजन का वह भाग , जिसका पाचन नहीं हो पाता अथवा अवशोषण नहीं होता , बृहद्रांत्र में भेज दिया जाता है।

बृहद्रांत्र, क्षुद्रांत्र की अपेक्षा चौड़ी एवं छोटी होती है। यह लगभग 1.5 मीटर लंबी होती है।

इसका मुख्य कार्य जल एवं कुछ लवणों का अवशोषण करना है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

बचा हुआ अपचित पदार्थ मलाशय में चला जाता है तथा अर्धठोस मल के रूप में रहता है।

समय – समय पर गुदा द्वारा यह मल बाहर निकाल दिया जाता है। इसे निष्कासन कहते है।

मंड जैसे कार्बोहइड्रेट का पाचन मुख में ही प्रारम्भ हो जाता है। प्रोटीन का पाचन आमाशय में प्रारम्भ होता है।

यकृत द्वारा स्रावित पित्त , अग्न्याशय से अग्न्याशयिक स्राव एवं क्षुद्रांत्र भित्ति द्वारा स्रावित पाचक रस की क्रिया से भोजन के सभी घटको का पाचन क्षुद्रांत्र में पूरा हो जाता है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

गाय, भैंस एवं हिरण जैसे घास खाने वाले जंतु पहले घास को जल्दी – जल्दी निगलकर आमाशय के एक भाग में भंडारित कर लेते है। यह भाग रुमेन (प्रथम आमाशय ) कहलाता है।

रूमिनैन्ट में आमाशय चार भागो में बँटा होता है। रुमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है , जिसे जुगाल (कड) कहते है।

परन्तु बाद में जंतु इसको छोटे पिंडको के रूप में पुनः मुख में लता है तथा जिसे वह चबाता रहता है।

इस प्रक्रम को रोमन्थन (जुगाली करना ) कहते है तथा ऐसे जंतु रूमिनैन्ट अथवा रोमंथी कहलाते है।

घास में सेलुलोस की प्रचुरता होती है , जो एक प्रकार का कार्बोहइड्रेट है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

किसी रूमिनैन्ट अथवा रोमंथी पशु , हिरन आदि के रुमेन में सेलुलोस का पाचन करने वाले जीवाणु पाए जाते है।

जानवरों जैसे – घोडा , खरगोश आदि में क्षुद्रांत्र एवं बृहद्रांत्र के बीच में एक थैलीनुमा बड़ी संरचना होती है जिसे अंधनाल कहते है।

भोजन के सेलुलोस का पाचन यहाँ पर कुछ जीवाणुओं द्वारा किया जाता है , जो मनुष्य के आहार नाल में अनुपस्थित होते है।

अमीबा जलाशयों में पाया जाने वाला एककोशिक जीव है।

अमीबा की कोशिका में एक कोशिका झिल्ली होती है ,एक गोल सघन केन्द्रक एवं कोशिका द्रव्य में बुलबुले के समान अनेक धानियाँ होती है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

अमीबा निरंतर अपनी आकृति एवं स्थिति बदलता रहता है।

यह एक अथवा अधिक अँगुली के समान प्रवर्ध निकालता रहता है , जिन्हे पादाभ (अर्थात कृत्रिम पाँव ) कहते है, जो इन्हे गति देने एवं भोजन पकड़ने में सहायता करते है।

अमीबा कुछ सूक्ष्म जीवो का आहार करता है। जब इसे भोजन का आभास होता है , तो यह खाद्य कण के चारो ओर पादाभ विकसित करके उसे निगल लेता है।

खाद्य पदार्थ उसकी खाद्य धानी में फँस जाते है। खाद्य धानी में ही पाचक रस स्रावित होते है।

ये खाद्य पदार्थ पर क्रिया करके उन्हें सरल पदार्थों में बदल देते है। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

पचा हुआ खाद्य धीरे – धीरे अवशोषित हो जाता है। बिना पचा अपशिष्ट खाद्यधानी द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

भोजन के पाचन का आधारभूत प्रक्रम सभी प्राणियों में समान है , जिसमे खाद्य पदार्थ सरल पदार्थों में परिवर्तित किये जाते है एवं ऊर्जा मुक्त होती है।

कभी – कभी जब आप जल्दी – जल्दी खाते है , अथवा खाते समय बात करते है , आपको खाँसी उठती है या हिचकी आती है अथवा घुटन का अनुभव होता है।

यह खाद्य कणो के श्वसन नली में प्रवेश करने के कारण होता है।

सामान्यत: हमारे मुख में जीवाणु पाए जाते है ,परन्तु उनसे हमें कोई हानि नहीं होती। प्राणियों में पोषण कक्षा 7 नोट्स

MCQ

प्रश्न 1. प्राणी अपना भोजन प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्राप्त करता है –

उत्तर- पौधों से

प्रश्न 2. जटिल खाद्य पदार्थो का सरल पदार्थो में परिवर्तित होना या टूटना विखंडन कहलाता है तथा इस प्रक्रम को कहते है –

उत्तर- पाचन

प्रश्न 3. आहार नाल तथा स्रावी ग्रंथियाँ संयुक्त रूप से निर्माण करती है –

उत्तर- मानव के पाचन तंत्र का

प्रश्न 4. भोजन का अंतर्ग्रहण होता है –

उत्तर- मुख द्वारा

प्रश्न 5. आहार को शरीर के अंदर लेने की क्रिया कहलाती है –

उत्तर- अंतर्ग्रहण

प्रश्न 6. जीभ एक माँसल पेशीय अंग है , जो पीछे की ओर जुड़ी होती है –

उत्तर- मुख – गुहिका के अधर तल से

प्रश्न 7. जीभ द्वारा ही हमें पता चलता है –

उत्तर- स्वाद का

प्रश्न 8. जीभ पर होती है ,जिनकी सहायता से हमें विभिन्न प्रकार के स्वाद का पता चलता है –

उत्तर- स्वाद – कलिकाएँ

प्रश्न 9. संपूर्ण आहार नाल होती रहती है तथा यह गति भोजन को नीचे की ओर धकेलती रहती है –

उत्तर- संकुचित

प्रश्न 10. यह चपटा एवं ‘ J ‘ की आकृति का होता है तथा आहार नाल का सबसे चौड़ा भाग है –

उत्तर- आमाशय

प्रश्न 11. आमाशय का आंतरिक अस्तर ( सतह ) स्रावित करता है –

उत्तर- श्लेष्मल , हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पाचक रस

प्रश्न 12. आमाशय के आंतरिक अस्तर को सुरक्षा प्रदान करता है –

उत्तर- श्लेष्मल

प्रश्न 13. पाचक रस ( जठर रस ) सरल पदार्थों में विघटित कर देता है –

उत्तर- प्रोटीन को

प्रश्न 14. क्षुद्रांत्र अत्यधिक कुंडलित नली है –

उत्तर- लगभग 7.5 मीटर लम्बी

प्रश्न 15. शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि –

उत्तर- यकृत

प्रश्न 16. यकृत पित्त रस स्रावित करता है ,जो एक थैली में संग्रहित होता रहता है ,इस थैली को कहते है –

उत्तर- पित्ताशय

प्रश्न 17. पित्त रस किस के पाचन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है ?

उत्तर- वसा के

प्रश्न 18. ‘ अग्न्याशयिका रस ‘ , क्रिया करता है तथा इनको उनके सरल रूप में परिवर्तित कर देता है –

उत्तर- कार्बोहाइड्रेट्स एवं प्रोटीन पर

प्रश्न 19. क्षुद्रांत्र की आंतरिक भित्ति पर अँगुली के समान उभरी हुई संरचनाएँ होती है , जिन्हे कहते है –

उत्तर- दीर्घरोम अथवा रसांकुर

प्रश्न 20. दीर्घरोम पचे हुए भोजन के अवशोषण हेतु बढ़ा देते है –

उत्तर- तल क्षेत्र

प्रश्न 21. प्रत्येक दीर्घरोम में जाल फैला रहता है –

उत्तर- सूक्ष्म रुधिर वाहिकाओं का

प्रश्न 22. भोजन का वह भाग , जिसका पाचन नहीं हो पाता अथवा अवशोषण नहीं होता , भेज दिया जाता है –

उत्तर- बृहद्रांत्र में

प्रश्न 23. बृहद्रांत्र लंबी होती है –

उत्तर- लगभग 1.5 मीटर

प्रश्न 24. बृहद्रांत्र का मुख्य कार्य है –

उत्तर- जल एवं कुछ लवणों का अवशोषण करना

प्रश्न 25. मंड जैसे कार्बोहइड्रेट का पाचन प्रारम्भ हो जाता है –

उत्तर- मुख में ही

प्रश्न 26. प्रोटीन का पाचन प्रारम्भ होता है –

उत्तर- आमाशय में

प्रश्न 27. गाय, भैंस एवं हिरण जैसे घास खाने वाले जंतु पहले घास को जल्दी – जल्दी निगलकर आमाशय के एक भाग में भंडारित कर लेते है। यह भाग कहलाता है –

उत्तर- रुमेन (प्रथम आमाशय )

प्रश्न 28. रुमेन में भोजन का आंशिक पाचन होता है , जिसे कहते है –

उत्तर- जुगाल (कड)

प्रश्न 29. रूमिनैन्ट में आमाशय बँटा होता है –

उत्तर- चार भागो में

प्रश्न 30. घास में प्रचुरता होती है , जो एक प्रकार का कार्बोहइड्रेट है –

उत्तर- सेलुलोस की

प्रश्न 31. किसी रूमिनैन्ट अथवा रोमंथी पशु , हिरन आदि के रुमेन में सेलुलोस का पाचन करने वाले पाए जाते है –

उत्तर- जीवाणु

प्रश्न 32. जानवरों जैसे – घोडा , खरगोश आदि में क्षुद्रांत्र एवं बृहद्रांत्र के बीच में एक थैलीनुमा बड़ी संरचना होती है जिसे कहते है –

उत्तर- अंधनाल

प्रश्न 33. अमीबा जलाशयों में पाया जाने वाला है –

उत्तर- एककोशिक जीव

प्रश्न 34. अमीबा निरंतर अपनी बदलता रहता है –

उत्तर- आकृति एवं स्थिति

प्रश्न 35. अमीबा एक अथवा अधिक अँगुली के समान प्रवर्ध निकालता रहता है, जो इन्हे गति देने एवं भोजन पकड़ने में सहायता करते है। ,उन्हें कहते है –

उत्तर- पादाभ (अर्थात कृत्रिम पाँव )

प्रश्न 36. अमीबा द्वारा बिना पचा अपशिष्ट बाहर निकाल दिया जाता है –

उत्तर- खाद्यधानी द्वारा