हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल :- अल – इद्रीसी बारहवीं सदी के भूगोलवेत्ता थे।

ऐतिहासिक अभिलेख कई तरह की भाषाओ में मिलते हैं और ये भाषाएँ भी समय के साथ – साथ बहुत बदली हैं। उदाहरण के लिए मध्ययुग की फ़ारसी ,आधुनिक फ़ारसी भाषा से भिन्न है।

यह भिन्नता सिर्फ व्याकरण और शब्द भंडार में ही नहीं आई है , समय के साथ शब्दों के अर्थ भी बदले है।

तेरहवीं सदी में जब फ़ारसी के इतिहासकार मिन्हाज – ए – सिराज ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग किया था तो उसका आशय पंजाब , हरियाणा और गंगा – यमुना के बीच में स्थित इलाकों से था।

मिन्हाज – ए – सिराज ने हिंदुस्तान का राजनीतिक अर्थ में उन इलाकों के लिए इस्तेमाल किया जो दिल्ली के सुल्तान के अधिकार क्षेत्र में आते थे। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

सल्तनत के प्रसार के साथ – साथ इस शब्द के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र भी बढ़ते गए , लेकिन हिंदुस्तान शब्द में दक्षिण भारत का समावेश कभी नहीं हुआ।

लेकिन हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग सोलहवीं सदी के आरंभ में बाबर ने इस उपमहाद्वीप के भूगोल , पशु – पक्षियों और यहाँ के निवासियों की संस्कृति के वर्णन करने के लिए किया।

जहाँ ‘ भारत ‘ को एक भौगोलिक और सांस्कृतिक सत्त्व के रूप में पहचाना जा रहा था वहाँ हिंदुस्तान शब्द से वे राजनीतिक और राष्ट्रिय अर्थ नहीं जुड़े थे जो हम आज जोड़ते हैं।

‘ विदेशी ‘ हमारे लिए आज इसका अर्थ होता है , ऐसा व्यक्ति जो भारतीय न हो लेकिन मध्ययुग में , किसी गाँव में आने वाला कोई भी अनजाना व्यक्ति , जो उस समाज या संस्कृति का अंग न हो ‘ विदेशी ‘ कहलाता था।

700 से 1750 ईस्वी के काल के बारे में सूचना इकट्ठी करने के लिए इतिहासकार सिक्कों , शिलालेखों , स्थापत्य ( भवन निर्माण कला ) तथा लिखित सामग्री पर निर्भर करते है। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

इस युग में प्रामाणिक लिखित सामग्री की संख्या और विविधता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गई। इसके आगे इतिहासकार सूचनाओं के दूसरे प्रकार के स्त्रोतों का इस्तेमाल धीरे – धीरे कम करने लगे।

इस समय के दौरान कागज क्रमशः सस्ता होता गया और बड़े पैमाने पर उपलब्ध भी होने लगा।

लोग धर्मग्रंथ , शासकों के वृत्तांत , संतों के लेखन तथा उपदेश , अर्जियाँ, अदालतों के दस्तावेज , हिसाब तथा करो के खाते आदि लिखने में कागज का उपयोग करने लगे।

धनी व्यक्ति , शासक जन , मठ तथा मंदिर , पांडुलिपियाँ एकत्रित किया करते थे।

इन पांडुलिपियों को पुस्तकालयों तथा अभिलेखागारों में रखा जाता था।

अभिलेखागार उस स्थान को कहते है जहाँ दस्तावेजों और पांडुलिपियों को संग्रहित किया जाता है। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

आज सभी राष्ट्रिय और राज्य सरकारों के अभिलेखागार होते हैं जहाँ वे अपने तमाम पुराने सरकारी अभिलेख और लेन – देन के ब्योरों का रिकॉर्ड रखते हैं।

चौदहवीं शताब्दी के इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने अपना वृत्तांत पहली बार 1356 में और दूसरी बार इसके दो वर्ष बाद लिखा था। दोनों में अंतर है।

1971 तक इतिहासकारों को पहली बार वाले वृत्तांत की जानकारी ही नहीं थी। यह पुस्तकालयों के विशाल संग्रहों में कहीं दबा पड़ा था।

इस काल ( सन 700 और 1750 के बीच ) में अलग – अलग समय पर नई प्रौद्योगिकी के दर्शन होते हैं , जैसे , सिंचाई में रहट, कतई में चरखे और युद्ध में आग्नेयास्त्रों ( बारूद वाले हथियार ) का इस्तेमाल।

इस उपमहाद्वीप में नई तरह का खान – पान भी आया – आलू , मक्का , मिर्च , चाय और कॉफ़ी। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

ये तमाम परिवर्तन – नई प्रौद्योगिकियाँ और फसलें – उन लोगों के साथ आए जो नए विचार भी लेकर आए थे।

यह काल आर्थिक , राजनितिक , सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी काल रहा।

इस काल में जिन समुदायों का महत्व बढ़ा उनमें से एक समुदाय था राजपूत , जिसका नाम ‘ राजपुत्र ‘ ( अर्थात राजा का पुत्र ) से निकला है।

आठवीं से चौदहवीं सदी के बीच यह नाम आमतौर पर योद्धाओं के उस समूह के लिए प्रयुक्त होता था जो क्षत्रिय वर्ण के होने का दवा करते थे। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

दिल्ली के सुल्तान image

‘ राजपूत ‘ शब्द के अंतर्गत केवल राजा और सामंत वर्ग ही नहीं , बल्कि वे सेनापति और सैनिक भी आते थे जो पूरे उपमहाद्वीप में अलग – अलग शासकों की सेनाओं में सेवारत थे।

कवि और चारण राजपूतों की आचार संहिता – प्रबल पराक्रम और स्वामिभक्ति – का गुणगान करते थे।

इस युग में राजनितिक दृष्टि से महत्त्व हासिल करने के अवसरों का लाभ मराठा , सिक्ख , जाट , अहोत और कायस्थ ( मुख्यतः लिपिकों और मुंशियों का कार्य करने वाली जाति ) आदि समूहों ने भी उठाया।

पर्यावास का तातपर्य किसी भी क्षेत्र के पर्यावरण और वहाँ के रहने वालों की सामाजिक और आर्थिक जीवन शैली से है। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

जैसे – जैसे समाज में अंतर बढ़ने लगे ( सामाजिक और आर्थिक ) , लोग जातियों और उपजातियों में बाँटे जाने लगे और उनकी पृष्ठभूमि और व्यवसाय के आधार पर उन्हें समाज में ऊँचा और नीचा दर्जा दिया जाने लगा।

ये दर्जे स्थायी नहीं थे। किसी जाति विशेष के सदस्यों के हाथों में कितनी सत्ता , प्रभाव और संसाधनों का नियंत्रण है , इसके आधार पर उसके दर्जे बदलते रहते थे।

एक ही जाति का किसी क्षेत्र में कोई दर्जा हो सकता था , और किसी अन्य क्षेत्र में कोई और।

अपने सदस्यों के व्यवहार का नियंत्रण करने के लिए जातियाँ स्वयं अपने – अपने नियम बनती थी। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

इन नियमों का पालन जाति के बड़े – बुजुर्गों की एक सभा करवाती थी जिसे कुछ इलाकों में ‘ जाति पंचायत ‘ कहा जाता था।

लेकिन जातियों को अपने निवास के गाँवों के रिवाजों का पालन भी करना पड़ता था।

इसके आलावा कई गाँवों पर मुखियाओं का शासन होता था। मिल – मिलाकर वे किसी राज्य की एक छोटी इकाई भर होती थीं।

सन 700 तक कई क्षेत्रों के अपने – अपने भौगोलिक आयाम तय हो चुके थे और उनकी अपनी भाषा तथा सांस्कृतिक विशेषताएँ स्पष्ट हो गई थीं। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

आज हम जिसे हिन्दू धर्म कहते हैं , उसमें भी इसी युग ( 700 से 1750 ईस्वी ) में महत्वपूर्ण बदलाव आए।

इन परिवर्तनों में से कुछ थे – नए देवी – देवताओं की पूजा , राजाओं द्वारा मंदिरों का निर्माण और समाज में पुरोहितों के रूप में ब्राह्मणों का बढ़ता महत्त्व तथा बढ़ती सत्ता आदि।

संस्कृत ग्रंथों के ज्ञान के कारण समाज में ब्राह्मणों का बड़ा आदर होता था।

इनके संरक्षक थे , नए – नए शासक जो स्वयं प्रतिष्ठा की चाह में थे। इन संरक्षकों का समर्थन होने के कारण समाज में इनका दबदबा और भी बढ़ गया था।

संरक्षक , कोई प्रभावशाली , धनी व्यक्ति जो किसी कलाकार , शिल्पकार विद्वान् या अभिजात जैसे किसी अन्य व्यक्ति को मदद या सहारा दे। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

इस युग में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन भक्ति की अवधारणा के रूप में आया।

इसमें ईश्वर की कल्पना एक ऐसे प्रेमल ईष्ट देवी – देवता के रूप में की गई थी जिस तक पुजारियों के विशद कर्मकांड के बिना ही भक्त स्वयं पहुँच सकें।

यही वह युग था जिसमें इस उपमहाद्वीप में नए – नए धर्मों का भी आगमन हुआ।

कुरान शरीफ का संदेश भारत में पहले – पहल सातवीं सदी में व्यापारियों और आप्रवासियों के जरिए पहुँचा। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

मुसलमानों में कुछ शिया थे जो पैगंबर साहब के दामाद अली को मुसलमानो का विधिसम्मत नेता मानते थे , और कुछ सुन्नी थे जो खलीफाओं के प्रभुत्व को स्वीकार करते थे।

इस्लाम के आरंभिक दौर में इस धर्म का नेतृत्व करने वाले खलीफा कहलाते थे और आगे भी इनकी परंपरा चलती रही।

उन्नीसवीं सदी के मध्य में अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तीन युगों में बाँटा था : ‘ हिन्दू ‘, ‘ मुस्लिम ‘ और ‘ ब्रिटिश ‘। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

यह विभाजन इस विचार पर आधारित था कि शासकों का धर्म ही एकमात्र महत्वपूर्ण ऐतिहासिक परिवर्तन होता है और अर्थव्यवस्था , समाज और संस्कृति में और कोई भी महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आता।

इस दृष्टिकोण में इस उपमहाद्वीप की अपार विविधता की भी उपेक्षा हो जाती थी।

इस काल विभाजन को आज बहुत कम इतिहासकार ही स्वीकार करते हैं।

अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक कारकों के आधार पर ही अतीत के विभिन्न कालखंडों की विशेषताएँ तय करते है। हजार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल

MCQ

प्रश्न 1. अल – इद्रीसी बारहवीं सदी के थे –

उत्तर- भूगोलवेत्ता

प्रश्न 2. मध्ययुग की फ़ारसी ,आधुनिक फ़ारसी भाषा से है –

उत्तर- भिन्न

प्रश्न 3. समय के साथ शब्दों के अर्थ भी –

उत्तर- बदले है

प्रश्न 4. तेरहवीं सदी में जब फ़ारसी के इतिहासकार मिन्हाज – ए – सिराज ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग किया था तो उसका आशय था –

उत्तर- पंजाब , हरियाणा और गंगा – यमुना के बीच में स्थित इलाकों से

प्रश्न 5. मिन्हाज – ए – सिराज ने हिंदुस्तान का राजनीतिक अर्थ में उन इलाकों के लिए इस्तेमाल किया जो दिल्ली के सुल्तान के आते थे –

उत्तर- अधिकार क्षेत्र में

प्रश्न 6. हिंदुस्तान शब्द में समावेश कभी नहीं हुआ –

उत्तर- दक्षिण भारत का

प्रश्न 7. वह स्थान जहाँ दस्तावेजों और पांडुलिपियों को संग्रहित किया जाता है , उसे कहते हैं –

उत्तर- अभिलेखागार

प्रश्न 8. कोई प्रभावशाली , धनी व्यक्ति जो किसी कलाकार , शिल्पकार विद्वान् या अभिजात जैसे किसी अन्य व्यक्ति को मदद या सहारा दे, उसे कहते है –

उत्तर- संरक्षक

प्रश्न 9. कुरान शरीफ का संदेश भारत में पहले – पहल सातवीं सदी में किस के जरिए पहुँचा ?

उत्तर- व्यापारियों और आप्रवासियों के

प्रश्न 10. शिया,जो पैगंबर साहब के दामाद अली को मुसलमानो का मानते थे –

उत्तर- विधिसम्मत नेता

प्रश्न 11. सुन्नी किस के प्रभुत्व को स्वीकार करते थे –

उत्तर- खलीफाओं का

प्रश्न 12. इस्लाम के आरंभिक दौर में इस धर्म का नेतृत्व करने वाले कहलाते थे –

उत्तर- खलीफा

प्रश्न 13. उन्नीसवीं सदी के मध्य में अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तीन युगों में बाँटा –

उत्तर- ‘ हिन्दू ‘, ‘ मुस्लिम ‘ और ‘ ब्रिटिश ‘ में