ध्वजारोहण के नियम
ध्वजारोहण के नियम – यहाँ हम आपको इन्ही नियमो के बारे में जानकारी दे रहे है और आप से यह आशा भी करते है कि आप इन नियमो का पालन भी करेंगे। प्राचीन काल से ही ध्वज का प्रयोग प्रतीक के रूप में किया जाता रहा है।
ध्वज के प्रयोग के प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त मूर्तियो , चित्रों तथा सिक्कों में मिलते हैं। कालांतर में ध्वजा राष्ट्र के प्रतिक के रूप में विकसित हुआ तथा ध्वज के सम्मान को राष्ट्र के सम्मान के साथ जोड़कर देखा गया।ध्वजारोहण के नियम
भारत में स्वतंत्रता की औपचारिक सहमति के बाद 23 जून, 1947 को डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक झंडा समिति का गठन किया गया। 14 जुलाई, 1947 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे में कुछ परिवर्तन कर उसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में मान्यता दी गई। हमारे राष्ट्रीय ध्वज को हम तिरंगे के नाम से भी जानते हैं। उसका सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। ध्वजारोहण के नियम
ध्वजारोहण के नियम
ध्वजारोहण के नियम – राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित नियमों को ‘ फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया ‘ तथा ‘ प्रिवेंशन ऑफ़ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर एक्ट ‘ में उल्लेखित किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक कर्तव्य निर्धारित किया गया है कि वह राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज का आदर करें। इसके अनुसार ध्वजारोहण के मुख्य नियम इस प्रकार है –
ध्वजारोहण के नियम
1. ध्वजारोहण ऐसे स्थान पर हो जहां से स्पष्ट दिखाई दे।
2. राष्ट्रीय ध्वज की केसरिया पट्टी ऊपर की ओर होनी चाहिए। जब इसे लंबाई की ओर से फहराया जाए तो केसरिया पट्टी सामने से देखने पर दाहिनी ओर होनी चाहिए।
3. राष्ट्रीय ध्वज को ऊपर की ओर तेजी से फहराया जाए तथा धीरे – धीरे आदर के साथ उतर जाए।
4. राष्ट्रीय ध्वज गंदा, मैला – कुचैला अथवा फटा हुआ नहीं होना चाहिए।
5. राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य झंडे के साथ एक ही स्तंभ में नहीं फहराया जाना चाहिए।
6. सभा मंच पर ध्वज वक्ता के दाहिनी और होना चाहिए अथवा ध्वज वक्ता के पीछे दीवार पर इसी स्थिति में फहराया जाना चाहिए।
7. राष्ट्रीय ध्वज किसी के अभिवादन में नहीं झुकना चाहिए।
8. राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराया गया झंडा सदैव ध्वज के बायीं ओर होना चाहिए तथा उसे राष्ट्रीय ध्वज से अनिवार्य रूप से बड़ा नहीं होना चाहिए।
9. राष्ट्रीय ध्वज को वस्त्र के रूप में या वस्त्रों पर छापे के रूप में प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
10. राष्ट्रीय ध्वज को राज्य अथवा सेना द्वारा किए जाने वाले मृतक संस्कारों के अतिरिक्त किसी अन्य के द्वारा प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
11. आरोहित ध्वज को सायंकाल सूर्यास्त से पूर्व आदर सहित उतार लेना चाहिए।
12. यदि किसी सरकारी भवन पर झंडा फहराने का प्रचलन है तो इसे रविवार और छुट्टियों में भी फहराया जाना चाहिए।
13. किसी विज्ञापन में राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग अथवा राष्ट्रीय ध्वज के दंड पर किसी विज्ञापन का लगाया जाना संप्रतीक एवं नाम अधिनियम 1950 के अंतर्गत दंडनीय है।
14. जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो इसे मर्यादा के अनुसार नष्ट कर देना चाहिए।
15. राष्ट्रीय ध्वज को फहराते या उतारते समय अथवा परेड या किसी निरीक्षण के अवसर पर ले जाते समय वहां उपस्थित सभी लोग झंडे की ओर मुंह करके सावधान की मुद्रा में खड़े होंगे तथा वर्दी पहने हुए व्यक्ति समुचित सलामी देंगे। ध्वजारोहण के नियम
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आपको ध्वजारोहण के नियम बताये। अगर आपको आर्टिकल अच्छा लगा हो तो जरूर आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। अगर आपको कोई भी कंफ्यूजन है तो आप कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं धन्यवाद. ध्वजारोहण के नियम