ग्रीनहाउस प्रभाव
ग्रीनहाउस प्रभाव अथवा पौधा घर प्रभाव को वायुमंडलीय उष्णता का एक कारक भी कहा जाता है। यह वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड जैसी कुछ गैसों की मात्रा में वृद्धि के फलस्वरूप होता है। आप जानते हैं कि जब ईंधनों का दहन किया जाता है तो कार्बन डाइऑक्साइड बनती है।
पौधे इस कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग अपने भोजन के संश्लेषण में करते हैं। वे इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन मुक्त करते हैं। किंतु , मानवीय गतिविधियों के फलस्वरूप मुक्त हुई कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा विश्व के सभी पौधों द्वारा प्रयुक्त मात्रा से अधिक होती है।
अब परिस्थिति दिन – प्रतिदिन खराब होती जा रही हैं क्योंकि पृथ्वी पर बहुत से जंगल समाप्त होते जा रहे हैं तथा अम्ल वर्षा के कारण वानस्पतिक जीवन को हानि पहुंच रही है।
अतः पृथ्वी के वायुमंडल का धीरे – धीरे गर्म होना ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण है। ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी के ऋतु – चक्र को असामान्य कर देता है।
ग्रीनहाउस प्रभाव के प्रमुख कारण ग्रीनहाउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड , जलवाष्प , मेथेन , नाइट्रस ऑक्साइड तथा क्लोरोफ्लुओरोकार्बन ( CFC , कार्बन यौगिक जिनमे कार्बन , क्लोरीन एवं फ्लुओरीन उपस्थित है ) है
जिनका अनुपातिक प्रतिशत वायुमंडल में बढ़ गया है। यह आश्चर्यजनक है कि 78% नाइट्रोजन एवं 21% ऑक्सीजन की ग्रीनहाउस प्रभाव में कोई भूमिका नहीं है।
कार्बन डाइऑक्साइड , मेथेन तथा नाइट्रस ऑक्साइड के सांद्रण में वृद्धि जीवाश्म ईंधन के दहन के फलस्वरूप होती है।
ऐरोसॉल के कारण भी ग्रीनहाउस प्रभाव होता है। आप जानते हैं कि ऐरोसॉल जिन्हें कणिका भी कहते हैं , वायुवाहित कण है जो विकरणों को अवशोषित , प्रकीर्णित तथा परिवर्तित करके आकाश में वापस भेजते हैं।
वायु के बहाने के कारण बने धूल के बादल तथा ज्वालामुखियों के फटने से उत्पन्न कण प्राकृतिक ऐरोसॉल के उदाहरण है।
क्या आपको यह आश्चर्य कभी नहीं हुआ कि इस प्रक्रम को ग्रीनहाउस प्रभाव क्यों कहते हैं। सन 1827 ईस्वी में फ्रांसीसी गणितज्ञ एवं भौतिक शास्त्री , जीन बेपटिस्ट जोसेफ फुरिये ने विभिन्न द्रव्यों में ऊष्मा के परिचालन का अध्ययन करते समय
वायुमंडल की तुलना कांच के किसी बंद पात्र से की ( आप में से कुछ ने पौधों को रखने के लिए प्रयुक्त इसी प्रकार के ग्रीनहाउस को देखा होगा ) ।
उन्होंने पाया कि हमारे ग्रह , पृथ्वी , के चारों ओर फैली वायु सूर्य के प्रकाश को , उसी प्रकार प्रवेश करने देती है जैसे कि कांच की छत।
आजकल संपूर्ण विश्व ग्रीनहाउस गैसों के सांद्रण को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। इसके फलस्वरूप भूमंडलीय उष्णता को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक उल्लेखनीय तरीका कोयला , तेल तथा प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के दहन को कम करना है।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आपको ग्रीनहाउस प्रभाव के बारे में बताया । अगर आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। अगर आपको कोई भी doubt है तो आप कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं धन्यवाद.
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