हाइड्रोसील
हाइड्रोसील (Hydrocele) – इसे हम अण्डकोष वृद्धि ,वर्षण कोष वद्धि , फोतो / पोतों में पानी भर जाना या जल वर्षण भी कहते है। हाइड्रोसील से पीड़ित रोगी के वर्षण कोष में द्रव एकत्र होता रहता है जिससे वह फूलकर नीचे को बढ़ जाता है।
हाइड्रोसील रोग से पीड़ित रोगी अंडकोष में धीरे – धीरे बढ़ाने वाली सूजन की शिकायत करता है तथा कभी – कभी पीड़ित के एक या दोनों अंडकोष में बहुत तेज दर्द भी होता है जिससे रोगी को बड़ा कष्ट तथा नित्यकार्य करने में अत्यंत असुविधा एवं चलने – फिरने और परिश्रम करने में काफी दिक्क्त होती है।
हाइड्रोसील के प्रकार
मुख्यतः हाइड्रोसील दो प्रकार का होता है –
1. जन्मजात।
2. जन्म के बाद।
* प्राइमरी – बिना कारण के।
* सेकेंडरी – वर्षणकोष के रोग से उत्पन्न।
हाइड्रोसील के मुख्य कारण
1. ट्यूनिका वेजाइनलिस में चूषण प्रक्रिया के काम न करने से।
2. हल्की चोट लगने पर।
3. लिम्फेटिक सिस्टम द्वारा द्रव को भली प्रकार ड्रेन नहीं कर पाने से।
4. अधिक साइकिल चलाना अथवा अधिक घुड़सवारी करना , रात – दिन रिक्शा चलाना।
5. फाइलेरिया , सुजाक या वर्षण संबंधी रोग में।
6. बहुत अधिक चलना।
7. भारी वजनदार सामानों को उठाना।
8. वीर्य की कमजोरी या पतलापन के कारण निरंतर स्वप्नदोष होते रहना।
9. अधिक या निरंतर स्त्री सम्भोग करना।
10. पुरानी कोष्ट बद्धता के कारण खूब जोर लगाकर मल त्याग करना आदि।
हाइड्रोसील के मुख्य लक्षण
1. नीचे की तरफ सदैव भारीपन रहना।
2. वर्षण फूलकर बड़ा हो जाता है। प्राय: एक तरफ का वर्षण फूला हुआ मिलता है। परंतु कुछ व्यक्तियों में यह दोनों तरफ के अंडकोषों में हो जाता है।
3. खिंचाव में दर्द का अनुभव।
4. सहवास करने में कष्ट।
5. इसके रोगी को चलने – फिरने तथा काम करने में परेशानी होती है।
6. भारी काम करने अथवा वजन उठाने में परेशानी।
7. संतान उत्पन्न करने की शक्ति समाप्त हो जाना।
हाइड्रोसील में उपयोगी कुछ घरेलू आयुर्वेदिक प्रयोग
1. अरंडी की जड़ सिरके में पीसकर वह गुनगुना करके लगाने से फोतों की सूजन ठीक हो जाती है।
2. अरहर की जड़ पानी में पीसकर गुनगुनी – गुनगुनी लगाने से फोते बढ़ने के रोग में आराम हो जाता है।
3. छिले हुए मसूर और अनार की छाल समान मात्रा में लेकर पानी में पकाये। जब गल जाये तो पीसकर फोतों पर लगा दे। ऐसा करने से लाभ होगा।
4. यदि फोतों में सर्दी से सूजन हो तो अरंड के बीज की गिरी पानी में पीसकर गर्म करके प्रतिदिन २ – ३ बार फोतों पर लगायें।
5. यदि फोतों में चोट लग जाए तो थोड़ी सी हल्दी पीसकर और मुर्गी के अंडे की जर्दी मिलकर आग पर गर्म करके निवाया – निवाया फोतों पर लेप करे आराम मिलेगा।
Note – इस रोग की पक्की / शर्तिया चिकित्सा एक मात्र ऑप्रेशन ही है। हालंकि कुछ चिकित्सक औषधियों से इसको ठीक करने का दावा करते हैं , किन्तु यह बात सत्य नहीं है। औषधियों से कुछ समय तक तो यह नहीं बढ़ता है , किन्तु औषधि प्रयोग / सेवन बंद करते ही बढ़ने लगता है।