जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

जनजातीय समाज

जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय :- समय के साथ कई महत्वपूर्ण राजनैतिक , सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हुए।

लेकिन सामाजिक परिवर्तन हर जगह एक समान नहीं थे , क्योंकि अलग – अलग किस्म के समाज अलग – अलग तरीकों से विकसित हुए।

उपमहाद्वीप के कई समाज ब्राह्मण द्वारा सुझाए गए सामाजिक नियमों और कर्मकांडो को नहीं मानते थे और न ही वे कई आसमान वर्गों में विभाजित थे। अकसर ऐसे समाजों को जनजातियाँ कहा जाता रहा है।

प्रत्येक जनजाति के सदस्य नातेदारी के बंधन से जुड़े होते थे।

कई जनजातियाँ खेती से अपनी जीविकोपार्जन करती थी। कुछ दूसरी जनजातियों के लोग शिकारी , संग्राहक या पशुपालक थे। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

कुछ जनजातियाँ खानाबदोश थी और वे एक जगह से दूसरी जगह घूमती रहती थी।

जनजातीय समूह , संयुक्त रूप से भूमि और चरागाहों पर नियंत्रण रखते थे और अपने खुद के बनाए नियमों के आधार पर परिवारों के बीच इनका बँटवारा करते थे।

इस उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में कई बड़ी जनजातियाँ फली – फूलीं। सामान्यतः ये जंगलों , पहाड़ों , रेगिस्तानों और दूसरी दुर्गम जगहों पर निवास करती थी।

कभी – कभी जाती विभाजन पर आधारित अधिक शक्तिशाली समाजों के साथ उनका टकराव होता था। लेकिन ये दोनों समाज अपनी विविध किस्म की जरूरतों के लिए एक – दूसरे पर निर्भर भी रहे।

टकराव और निर्भरता के इस संबंध ने दोनों तरह के समाजों को धीरे – धीरे बदलने का काम भी किया। 

जनजातीय लोग कौन थे ?

समकालीन इतिहासकारो और मुसाफिरों ने जनजातियों के बारे में बहुत कम जानकारी दी है।

कुछ अपवाद को छोड़ दें, तो जनजातिय लोग भी लिखित दस्तावेज नहीं रखते थे। लेकिन समृद्ध रीति – रिवाजो और वाचिक / मौखिक परंपराओं का वे संरक्षण करते थे।

ये परंपराएँ हर नयी पीढ़ी को विरासत में मिलती थी।

आज के इतिहासकार जनजातियों का इतिहास लिखने के लिए इन वाचिक परंपराओं का इस्तेमाल करने लगे हैं। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

जनजातीय लोग भारत के लगभग हर क्षेत्र में पाए जाते थे। किसी भी एक जनजाति का इलाका और प्रभाव समय के साथ – साथ बदलता रहता था। कुछ शक्तिशाली जनजातियों का बड़े इलाके पर नियंत्रण था।

पंजाब में खोखर जनजाति तेरहवीं और चौदहवीं सदी के दौरान बहुत प्रभावशाली थी। यहाँ बाद में गक्खर लोग ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए। उनके मुखिया, कमाल खान गक्खर को बादशाह अकबर ने मनसबदार बनाया था।

मुल्तान और सिंध में मुगलों द्वारा अधीन कर लिए जाने से पहले लंगाह और अरघुन लोगों का प्रभुत्व अत्यंत विस्तृत क्षेत्र पर था।

उत्तर – पश्चिम में एक और विशाल एवं शक्तिशाली जनजाति थी – बलोच। ये लोग अलग – अलग मुखियो वाले कई छोटे – छोटे कुलों में बँटे हुए थे। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

कुल – परिवारों या घरों की एक ऐसे समूह को कुल कहते हैं जो एक ही पूर्वज की संतान होने का दावा करते हैं। जनजातीय संगठन प्रायः नातेदारी या कुल संबंधी निष्ठा पर आधारित होते हैं।

पश्चिमी हिमालय में गडडी गड़रियों की जनजाति रहती थी ।

सुदूर उत्तर – पूर्वी भाग पर भी नागा , अहोम और कई दूसरी जनजातियों का पूरी तरह प्रभत्व था।

मौजूदा बिहार और झारखंड के कई इलाकों में चेर सरदारशाहियों का प्रभुत्व था।

बादशाह अकबर के प्रसिद्ध सेनापति राजा मानसिंह ने 1591 में चेर लोगों पर हमला किया और उन्हें परास्त किया लेकिन वे पूरी तरह अधीन नहीं बनाए गए। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

औरंगजेब के समय में मुगलो द्वारा इस जनजाति को अपने अधीनस्थ बनाया गया।

इस क्षेत्र में रहने वाली महत्वपूर्ण जनजातियों में मुंडा और संताल थे, यधपि ये उड़ीसा और बंगाल में भी रहते थे।

कर्नाटक और महाराष्ट्र की पहाड़ियाँ – कोली, बेराद तथा कई दूसरी जनजातियों के निवास स्थान थे। कोली लोग गुजरात के कई इलाकों में भी रहते थे।

कुछ और दक्षिण में कोरागा, वेतर, मारवार और दूसरी जनजातियों की विशाल आबादी थी।

भीलों की बड़ी जनजाति पश्चिमी और मध्य भारत में फैली हुई थी। मौजूदा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में गोंड लोग बड़ी तादाद में फैले हुए थे। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

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खानाबदोश और भ्रमणशील समूह

खानाबदोस घुमंतू लोग होते हैं। उनमें से कई पशुचारी होते हैं जो अपनी रेवड़ और पशुवृंद के साथ एक चरागाह से दूसरे चरागहा घूमते रहते हैं।

इसी तरह दस्तकार, फेरीवाले और नर्तक – गायक एवं अन्य तमशबीन भ्रमणशील समूह अपना कामधंधा करते – करते एक जगह से दूसरी यात्रा पर रहते हैं।

खानाबदोश और भ्रमणशील समूह, दोनों अकसर उस जगह लौट कर आते हैं जहाँ उन्होंने पिछले साल दौरा किया था। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

खानाबदोश और घुमंतू लोग कैसे रहते थे ?

खानाबदोश चरवाहे अपने जानवरों के साथ दूर – दूर तक घूमते थे। उनका जीवन दूध और अन्य पशुचारी उत्पादों पर निर्भर था।

वे खेतिहर गृहस्थों से अनाज , कपड़े, बर्तन और ऐसी ही चीजों के लिए ऊन, घी इत्यादि का विनिमय भी करते थे।

कुछ खानाबदोश अपने जानवरों पर सामानों की ढूलाई का काम भी करते थे। एक जगह से दूसरी जगह आते – जाते वे सामानों की खरीद – फरोख्त करते थे। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

बंजारा लोग सबसे महत्वपूर्ण व्यापारी – खानाबदोश थे। उनका कारवाँ ‘ टांडा ‘ कहलाता था।

छोटे – मोटे फेरीवालों की विभिन्न जातियाँ एक गाँव से दूसरे गाँव भ्रमण करते थी।

ये लोग रस्सी, सरकंडे की चीजे , फूस की चटाई और मोटे बोर जैसे माल बनाते और बेचते थे।

नर्तकों , गायकों और अन्य तमाशबीनों की जातियाँ विभिन्न नगरों और गांव में कमाई के लिए अपनी कला का प्रदर्शन करती थी। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

नयी जातियाँ और श्रेणियाँ

जैसे – जैसे अर्थव्यवस्था और समाज की जरूरतें बढ़ती गई, नए हुनर वाले लोगों की आवश्यकता पड़ी।

वर्णों के भीतर छोटी – छोटी जातियाँ उभरने लगी। उदाहरण के लिए , ब्राह्मणों के बीच नयी जातियाँ सामने आईं।

दूसरी ओर, कई जनजातियों और सामाजिक समूहो को जाति – विभाजित समाज में शामिल कर लिया गया और उन्हें जातियों का दर्जा दे दिया गया।

विशेषज्ञता प्राप्त शिल्पियों – सुनार , लोहार, बढ़ई और राजमिस्त्री – को भी ब्राह्मणो द्वारा जातियों के रूप में मान्यता दे दी गई।

वर्ण की बजाय जाति, समाज के संगठन का आधार बन गई। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

गोंड

गोंड लोग, गोंडवाना नमक विशाल वनप्रदेश में रहते थे। वे स्थानांतरित कृषि अर्थात जगह बदल – बदल कर खेती करते थे।

स्थानांतरित कृषि – किसी वानप्रांत के पेड़ों और झाड़ियो को पहले काटा और जलाया जाता है।

उसकी राख में ही फसल बो दी जाती है।

जब यह जमीन अपनी उर्वरता खो देती है, तब जमीन का दूसरा टुकड़ा साफ किया जाता है और इसी तरह से फसल उगाई जाती है। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

विशाल गोंड जनजाति कई छोटे – छोटे कुलों में भी बटी हुई थी। प्रत्येक कुल का अपना राजा या राय होता था। धीरे – धीरे ये कुल बड़े राज्यों में परिवर्तित होने लगे।

अकबरनामा में उल्लेखित है कि गढ़ कटंगा के गोंड राज्य में 70000 गांव थे।

इन राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था केंद्रीकृत हो रही थी। राज्य, गढ़ों में विभाजित थे।

हर गढ़ किसी खास गोंड कुल के नियंत्रण में था। ये पुनः चौरासी गाँवों की इकाइयों में विभाजित होते थे , जिन्हे चौरासी कहा जाता था। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

चौरासी का उप – विभाजन बरहोतों में होता था, जो बारह – बारह गाँवो को मिला कर बनते थे।

बड़े राज्यों के उदय ने गोंड समाज के चरित्र को बदल डाला।

उनका मूलतः बराबरी वाला समाज धीरे – धीरे असमान सामाजिक वर्गों में विभाजित हो गया।

ब्राह्मण लोगों ने गोंड राजाओं से अनुदान में भूमि प्राप्त की और अधिक प्रभावशाली बन गए। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

गढ़ कटंगा एक समृद्ध राज्य था। इसने हाथियों को पकड़ने और दूसरे राज्यों में उनका निर्यात करने के व्यापार में खासा धन कमाया।

गोंड सरदारों को अब राजपूतो के रूप में मान्यता प्राप्त करने के चाहत हुई। इसलिए गढ़ कटंगा के गोंड राजा अमन दास ने संग्राम शाह की उपाधि धारण की।

उसके पुत्र दलपत ने महोबा के चंदेल राजपूत राजा सालबाहन की पुत्री राजकुमारी दुर्गावती से विवाह किया।

दलपत की मृत्यु कम उम्र में ही हो गई।

रानी दुर्गावती बहुत योग्य थी और उसने अपने 5 साल के पुत्र बीर नारायण के नाम पर शासन की कमान सँभाल।

उसके समय में राज्य का और अधिक विस्तार हुआ। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

1565 में आसिफ खान के नेतृत्व में मुगल सेनाओं ने गढ़ कटंगा पर हमला किया।

रानी दुर्गावती ने इसका जमकर सामना किया।

उसकी हार हुई और उसने समर्पण करने की बजाय मर जाना बेहतर समझा।

उसका पुत्र भी तुरंत बाद लड़ता हुआ मर गया।

मुगलों ने राज्य का एक भाग अपने कब्जे में ले लिया और शेष बीर नारायण के चाचा चंदर शाह को दे दिया।

गढ़ कटंगा के पतन के बावजूद गोंड राज्य कुछ समय तक चलता रहा।

लेकिन वे काफी कमजोर हो गए और बाद में अधिक शक्तिशाली बुंदेलों और मराठों के खिलाफ उनके संघर्ष असफल रहे। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

अहोम

अहोम लोग मौजूद म्यांमार से आकर तेरहवीं सदी में ब्रह्मपुत्र घाटी में आ बसे।

उन्होंने भुइयाँ ( भूस्वामी ) लोगों की पुरानी राजनीतिक व्यवस्था का दामन करके नए राज्य की स्थापना की।

सोलहवीं सदी के दौरान उन्होंने चुटियों ( 1523 ) और कोच – हाजो ( 1581 ) के राज्यों को अपने राज्य को अपने राज्य में मिला लिया।

उन्होंने कई अन्य जनजातियों को भी अधीन कर लिया।

अहोमों ने एक बड़ा राज्य बनाया और इसके लिए 1530 के दशक में ही,इतने वर्षों पहले, आग्नेय अस्त्रों का इस्तेमाल किया।

1660 तक आते – आते वे उच्चस्तरीय बारूद और तोपों का निर्माण करने में सक्षम हो गए थे। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

लेकिन अहोम लोगों को दक्षिण – पश्चिम से कई आक्रमण का सामना करना पड़ा।

1662 में मीर जुमला के नेतृत्व में मुगलों ने ओहम राज्य पर हमला किया।

बहादुरी से सामना करने के बावजूद अहोम लोगों की पराजय हुई।

लेकिन उस क्षेत्र पर मुगलों का प्रत्यक्ष नियंत्रण ज्यादा समय तक बना नहीं रह सका।

अहोम राज्य, बेगार पर निर्भर था। राज्य के लिए जिन लोगों से जबरन काम लिया जाता था, वे ‘ पाइक ‘ कहलाते थे।

अहोम राज्य में एक जनगणना की गई थी।

प्रत्येक गांव को अपनी बारी आने पर निश्चित संख्या में पाइक भेजने होते थे।

इसके लिए जनगणना के बाद सघन आबादी वाले इलाकों से कम आबादी वाले इलाकों में लोगों को स्थानांतरित किया गया था।

इस प्रकार ओहम कल टूट गए। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

सत्रहवीं शताब्दी का पूर्वार्द्ध पूरा होते – होते प्रशासन खासा केंद्रीकृत हो चुका था।

लगभग सभी वयस्क पुरुष युद्ध के दौरान सेना में अपनी सेवाएं प्रदान करते थे।

दूसरे समय में वे बाँध, सिंचाई व्यवस्था इत्यादि के निर्माण या अन्य सार्वजनिक कार्यों में जुटे रहते थे।

अहोम लोग चावल की खेती के नए तरीके भी अमल में लाए। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

अहोम समाज, कुलों में विभाजित था, जिन्हें ‘ खेल ‘ कहा जाता था। वहाँ दस्तकारों की बहुत कम जातियाँ थी। इसलिए अहोम क्षेत्र में दस्तकार निकटवर्ती क्षेत्रों से आए थे ।

एक खेल के नियंत्रण में प्राय: कई गांव होते थे। किसानों को अपने ग्राम समुदाय के द्वारा जमीन दी जाती थी। समुदाय की सहमति के बगैर राजा तक इसे वापस नहीं ले सकता था।

शुरुआत में अहोम लोग, अपनी जनजातीय देवताओं की उपासना करते थे। लेकिन सत्रहवीं सदी के पूर्वार्ध में ब्राह्मणों के प्रभाव में बढ़ोत्तरी हुई।

मंदिरों और ब्राह्मणों को राजा के द्वारा भूमि अनुदान में दी गई। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

सिब सिंह ( 1714 – 44 ) के काल में हिंदू धर्म वहाँ का प्रधान धर्म बन गया था।

लेकिन अहोम राजाओं ने हिंदू धर्म को अपनाने के बाद अपनी पारंपरिक आस्था को पूरी तरह से नहीं छोड़ा था।

अहोम समाज, एक अत्यंत परिष्कृत समाज था।

कवियों और विद्वानों को अनुदान में जमीन दे दी जाती थी। नाट्य – कर्म को प्रोत्साहन दिया जाता था।

संस्कृत की महत्वपूर्ण कृतियों का स्थानीय भाषा में अनुवाद किया गया था।

बुरंजी नामक ऐतिहासिक कृतियों को पहले अहोम भाषा में और फिर असमिया में लिखा गया था। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

मंगोल

इतिहास में सबसे प्रसिद्ध पशुचारी और शिकारी – संग्राहक जनजाति मंगोलो की थी।

वे मध्य एशिया के घास के मैदानो ( स्टेपी ) और थोड़ा उत्तर की ओर के वन प्रांतो में बसे हुए थे।

1206 में चंगेज खान ने मंगोल और तुर्की जनजातियों में एकता पैदा करके उन्हें एक शक्तिशाली सैन्य बल में बदल डाला।

अपनी मृत्यु के समय ( 1227 ) वह एक सुविस्तृत प्रदेश का शासक था।

उसके उत्तराधिकारीयो ने एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया। अ

लग – अलग समय में इसके अंतर्गत रूस , पूर्वी यूरोप और चीन तथा मध्य – पूर्व का खासा बड़ा हिस्सा शामिल था।

मंगोलों के पास सुसंगठित सैन्य एवं प्रशासनिक व्यवस्थाएँ थी। ये विभिन्न जातीय और धार्मिक समूहो के समर्थन पर आधारित थी। जनजातियाँ खानाबदोश और एक जगह बसे हुये समुदाय

MCQ

प्रश्न 1. प्रत्येक जनजाति के सदस्य जुड़े होते थे –

उत्तर- नातेदारी के बंधन से

प्रश्न 2. जनजातीय समूह भूमि और चरागाहों पर नियंत्रण रखते थे –

उत्तर- संयुक्त रूप से

प्रश्न 3. पंजाब में तेरहवीं और चौदहवीं सदी के दौरान बहुत प्रभावशाली जनजाति थी –

उत्तर- खोखर

प्रश्न 4. गक्खर जनजाति के किस मुखिया को बादशाह अकबर ने मनसबदार बनाया था –

उत्तर- कमाल खान गक्खर

प्रश्न 5. मुल्तान और सिंध में मुगलों द्वारा अधीन कर लिए जाने से पहले प्रभुत्व अत्यंत विस्तृत क्षेत्र पर था –

उत्तर- लंगाह और अरघुन लोगों का

प्रश्न 6. उत्तर – पश्चिम में एक और विशाल एवं शक्तिशाली जनजाति थी –

उत्तर- बलोच

प्रश्न 7. भीलों की बड़ी जनजाति फैली हुई थी –

उत्तर- पश्चिमी और मध्य भारत में

प्रश्न 8. बंजारा लोग सबसे महत्वपूर्ण व्यापारी – खानाबदोश थे। उनका कारवाँ कहलाता था –

उत्तर- टांडा

प्रश्न 9. गोंड लोग विशाल वनप्रदेश में रहते थे –

उत्तर- गोंडवाना नमक

प्रश्न 10. गोंड लोग कृषि करते थे –

उत्तर- स्थानांतरित

प्रश्न 11. अकबरनामा में उल्लेखित है कि गोंड राज्य में 70000 गांव थे –

उत्तर- गढ़ कटंगा के

प्रश्न 12. गोंड राज्य विभाजित थे –

उत्तर- गढ़ों में

प्रश्न 13. हर गढ़ किसी खास के नियंत्रण में था –

उत्तर- गोंड कुल

प्रश्न 14. गोंड राज्यों के गढ़ विभाजित थे –

उत्तर- चौरासी में

प्रश्न 15. चौरासी का उप – विभाजन होता था –

उत्तर- बरहोतों में

प्रश्न 16. गढ़ कटंगा के गोंड राजा अमन दास ने उपाधि धारण की –

उत्तर- संग्राम शाह की

प्रश्न 17. गोंड राजा अमन दास के पुत्र दलपत ने महोबा के चंदेल राजपूत राजा सालबाहन की पुत्री से विवाह किया –

उत्तर- राजकुमारी दुर्गावती

प्रश्न 18. दलपत और दुर्गावती के पुत्र का नाम थे –

उत्तर- बीर नारायण

प्रश्न 19. 1565 में किस के नेतृत्व में मुगल सेनाओं ने गढ़ कटंगा पर हमला किया ?

उत्तर- आसिफ खान के

प्रश्न 20. अहोम लोग आकर तेरहवीं सदी में ब्रह्मपुत्र घाटी में आ बसे –

उत्तर- मौजूद म्यांमार से

प्रश्न 21. 1662 में किस के नेतृत्व में मुगलों ने ओहम राज्य पर हमला किया –

उत्तर- मीर जुमला

प्रश्न 22. अहोम राज्य निर्भर था –

उत्तर- बेगार पर

प्रश्न 23. अहोम राज्य के लिए जिन लोगों से जबरन काम लिया जाता था, वे कहलाते थे –

उत्तर- पाइक

प्रश्न 24. अहोम समाज, कुलों में विभाजित था, जिन्हें कहा जाता था –

उत्तर- खेल

प्रश्न 25. अहोम राज्य में किसानों को जमीन दी जाती थी –

उत्तर- अपने ग्राम समुदाय के द्वारा

प्रश्न 26. किस के काल में हिंदू धर्म अहोम राज्य का प्रधान धर्म बन गया था –

उत्तर- सिब सिंह ( 1714 – 44 ) के

प्रश्न 27. इतिहास में सबसे प्रसिद्ध पशुचारी और शिकारी – संग्राहक जनजाति थी –

उत्तर- मंगोलो की

प्रश्न 28. 1206 में किस ने मंगोल और तुर्की जनजातियों में एकता पैदा करके उन्हें एक शक्तिशाली सैन्य बल में बदल डाला ?

उत्तर- चंगेज खान ने