किशोरावस्था की ओर

किशोरावस्था की ओर

किशोरावस्था की ओर :- वृद्धि जन्म के समय से ही होने लगती है। परन्तु 10 या 11 वर्ष की आयु के बाद वृद्धि में एकाएक तीव्रता आती है और वृद्धि साफ़ दिखाई देने लगती है।

वृद्धि एक प्राकृतिक प्रक्रम है। जीवन काल की वह अवधि जब शरीर में ऐसे परिवर्तन होते है जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, किशोरावस्था कहलाती है।

किशोरावस्था लगभग 11 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होकर 18 या 19 वर्ष की आयु तक रहती है।

यह अवधि क्योकि अंग्रेज़ी के “teens” (Thirteen से Eighteen या Ninetten वर्ष की आयु ) तक होती है, किशोरों को ‘ टीनेजर्स ‘ भी कहा जाता है। किशोरावस्था की ओर

लड़कियों में यह अवस्था लड़को की अपेक्षा एक या दो वर्ष पूर्व प्रारम्भ हो जाती है। किशोरावस्था की अवधि व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न होती है।

किशोरावस्था के दौरान मनुष्य के शरीर में अनेक परिवर्तन आते है। यह परिवर्तन यौवनारम्भ का संकेत है।

इनमे से सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन है, लड़के एवं लड़कियों की जनन क्षमता का विकास। किशोर की जनन परिपक्वता के साथ ही यौवनारम्भ समाप्त हो जाता है। किशोरावस्था की ओर

यौवनारम्भ में होने वाले परिवर्तन

लंबाई में वृद्धि :- 

लंबाई में एकाएक वृद्धि यौवनारम्भ के दौरान होने वाला सबसे अधिक दृष्टिगोचर परिवर्तन है।

प्रारम्भ में लड़कियाँ लड़को की अपेक्षा अधिक तीव्रता से बढ़ती है।

परन्तु लगभग 18 वर्ष की आयु तक दोनों अपनी अधिकतम लम्बाई प्राप्त कर लेते है। किशोरावस्था की ओर

अलग-अलग व्यक्तियों की लम्बाई में वृद्धि की दर भी भिन्न-भिन्न होती है।

कुछ यौवनारम्भ में तीव्र गति से बढ़ते है तथा बाद में यह गति धीमी हो जाती है, जबकि कुछ धीरे-धीरे वृद्धि करते है।

लंबाई माता – पिता से प्राप्त जीन पर निर्भर करती है। परन्तु , वृद्धि के इन वर्षों में उचित प्रकार का संतुलित आहार आवश्यक है। किशोरावस्था की ओर

स्वर में परिवर्तन :- 

यौवनारम्भ में स्वरयंत्र अथवा लैरिंक्स में वृद्धि का प्रारम्भ होता है।

लड़को का स्वरयंत्र विकसित होकर अपेक्षाकृत बड़ा हो जाता है।

लड़को में बढ़ता हुआ ‘स्वरयंत्र’ गले के सामने की और सुस्पष्ट उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है जिसे ऐडम्स ऐपल ( कंठमणि ) कहते है।

लड़कियों में ‘ स्वरयंत्र ‘ अपेक्षाकृत छोटा होता है अतः बाहर से सामान्यत दिखाई नहीं देता। किशोरावस्था की ओर

सामान्यत: लड़कियों का स्वर उच्चतारत्व वाला होता है जबकि लड़को का स्वर गहरा होता है।

किशोर लड़को में कभी-कभी स्वरयंत्र की पेशियों में अनियंत्रित वृद्धि हो जाती है और आवाज फटने या भरारने लगती है।

यह स्थिति कुछ दिनों अथवा कुछ सप्ताह तक बनी रह सकती है जिसके बाद स्वर सामान्य हो जाता है। किशोरावस्था की ओर

स्वेद एवं तैलग्रंथियों की क्रियाशीलता में वृद्धि :- 

किशोरावस्था में स्वेद एवं तैलग्रंथियों का स्राव बढ़ जाता है। इन ग्रंथियों की अधिक क्रियाशीलता के कारण कुछ व्यक्तियों के चेहरे पर फुंसियाँ और मुँहासे आदि हो जाते है।

स्वेदग्रंथि, तैलग्रंथि तथा लारग्रंथि जैसी कुछ ग्रंथियाँ अपना स्त्राव वाहियो द्वारा स्त्रावित करती है।

अंत: स्त्रावी ग्रंथियाँ हॉर्मोनो को सीधे रुधिर प्रवाह में निर्मोचित करती है। इसलिए इन्हे नलिका-विहीन ग्रंथियाँ भी कहते है। किशोरावस्था की ओर

जनन अंगों का विकास :-

यौवनारम्भ में जननांग , जैसे कि वृषण एवं शिश्न , पूर्णत: विकसित हो जाते हैं। वृषण से शुक्राणुओं का उत्पादन भी प्रारंभ हो जाता है।

लड़कियों में अंडाशय साइज में वृद्धि हो जाती है तथा अंड परिपक्व होने लगते हैं। अंडाशय से अंडाणुओं का निर्मोचन भी प्रारंभ हो जाता है | किशोरावस्था की ओर

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गौण लैंगिक लक्षण

युवावस्था में लड़कियों में स्तनों का विकास होने लगता है तथा लड़को के चेहरे पर बाल उगने लगते है अर्थात दाढ़ी-मूछ आने लगती है।

ये लक्षण क्योकि लड़कियों को लड़को से पहचानने में सहायता करते है अतः इन्हे गौण लैंगिक लक्षण कहते है।

किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन हार्मोन द्वारा नियंत्रित होते है। हार्मोन रासायनिक पदार्थ है।

यह अतः स्त्रावी ग्रंथियों अथवा अतः स्त्रावी तंत्र द्वारा स्त्रावित किए जाते है। किशोरावस्था की ओर

यौवनारम्भ के साथ ही वृषण पौरुष हार्मोन अथवा टेस्टोस्टेरॉन का स्रवण प्रारम्भ कर देता है। यह लड़को में परिवर्तनों का कारक है।

लड़कियों में यौवनारम्भ के साथ ही अंडाशय स्त्री हार्मोन अथवा एस्ट्रोजन उत्पादित करना प्रारम्भ कर देता है जिससे स्तन विकसित हो जाते है।

दुग्धस्त्रावी ग्रंथियाँ अथवा दुग्ध ग्रंथियाँ स्तन के अंदर विकसित होती है।

इन हार्मोनो के उत्पादन का नियंत्रण एक अन्य हार्मोन द्वारा किया जाता है जो पियूष ग्रंथि अथवा पिट्रयूटरी ग्रंथि द्वारा स्त्रावित किया जाता है। किशोरावस्था की ओर

अंत : स्त्रावी ग्रंथियाँ हार्मोन रुधिरप्रवाह में स्त्रावित करती है जिससे वह शरीर के विशिष्ट भाग अथवा लक्ष्य – स्थल तक पहुँच सकें।

लक्ष्य – स्थल हार्मोन के प्रति अनुक्रिया करता है।

हमारे शरीर में अनेक अंत: स्त्रावी ग्रंथियाँ हैं। वृषण एवं अंडाशय लैंगिक हार्मोन स्रावित करते हैं। यह हार्मोन गौण लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है।

लैंगिक हार्मोन भी पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन के नियंत्रण में होता है।

पीयूष ग्रंथि अनेक हार्मोन स्रावित करती है। उनमें से एक हार्मोन अंडाशय में अंडाणु एवं वृषण में शुक्राणु के परिपक्व होने को नियंत्रित करता है। किशोरावस्था की ओर

मानव में जनन – काल की अवधि

जब किशोरों के वृषण तथा अंडाशय युग्मक उत्पादित करने लगते है तब वे जनन के योग्य हो जाते है।

युग्मक की परिपक्वता एवं उत्पादन की क्षमता पुरुषो में स्त्रियों की अपेक्षा अधिक अवधि तक रहती है।

स्त्रियों में जननावस्था का प्रारम्भ यौवनारम्भ (10 से 12 वर्ष की आयु तक ) से हो जाता है तथा सामान्यत: 45 से 50 वर्ष की आयु तक चलता रहता है।

स्त्रियों में गर्भाशय की दीवार निषेचित अंडाणु को ग्रहण करने के लिए अपने आप को तैयार करती है। 

निषेचन न होने की स्थिति में गर्भाशय की दीवार की आंतरिक सतह निस्तारित होकर शरीर से बाहर रक्त के साथ प्रवाहित हो जाती है। 

इसे ऋतुस्त्राव अथवा रजोधर्म कहते है। किशोरावस्था की ओर

पहला ऋतुस्त्राव यौवनाएम्भ में होता है जिसे रजोदर्शन कहते है। लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु में ऋतुस्त्राव रुक जाता है। ऋतुस्त्राव के रुक जाने को रजोनिवृत्ति कहते है।

ऋतुस्त्राव चक्र का नियंत्रण हार्मोन द्वारा होता है। इस चक्र में अंडाणु का परिपक्व होना , इसका निर्मोचन , गर्भाशय की दीवार का मोटा होना एवं निषेचन ना होने की स्थिति में उसका टूटना शामिल है।

यदि अंडाणु का निषेचन हो जाता है तो वह विभाजन करता है तथा गर्भाशय में विकास के लिए स्थापित हो जाता है। किशोरावस्था की ओर

संतति का लिंग – निर्धारण

निषेचित अंडाणु अथवा युग्मनज में, जन्म लेने वाले शिशु के लिंग निर्धारण का सन्देश होता है।

यह सन्देश निषेचित अंडाणु में धागे-सी संरचना अर्थात गुणसूत्रों में निहित होता है। गुणसूत्र प्रत्येक कोशिका के केन्द्रक में उपसिथत होते है।

सभी मनुष्यो की कोशिकाओं के केन्द्रक में 23 जोड़े गुणसूत्र पाए जाते है। जिन्हे X एवं Y कहते है।

स्त्री में दो X गुणसूत्र होते है जबकि पुरुष में एक X और एक Y गुणसूत्र होता है। किशोरावस्था की ओर

युग्मक में गुणसूत्रों का एक जोड़ा होता है। अनिषेचित अंडाणु में सदा एक X गुणसूत्र होता है।

परन्तु शुक्राणु दो प्रकार के होते है जिनमे एक प्रकार में X गुणसूत्र एवं दूसरे प्रकार में Y गुणसूत्र होता है।

जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो युग्मनज में दो X गुणसूत्र होंगे तथा वह मादा शिशु में विकसित होगा।

यदि अंडाणु को निषेचित करने वाले शुक्राणु में Y गुणसूत्र है तो युग्मनज नर शिशु में विकसित होगा।

अजन्मे शिशु का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है की युग्मनज में XX गुणसूत्र है अथवा XY गुणसूत्र। किशोरावस्था की ओर

अन्य हार्मोन्स

पियूष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित हार्मोन जनांगों को उनके हार्मोन उत्पन्न करने के लिए उद्दीपित करते है।

पियूष ग्रंथि एक अंत: स्त्रावित ग्रंथि है जो मसितष्क से जुडी होती है।

पियूष ग्रंथि, वृषण एवं अंडाशय के अतिरिक्त हमारे शरीर में थायरॉइड , अग्न्याशय एवं एड्रिनल जैसी कुछ अन्य अंत: स्त्रावी ग्रंथियों भी है।

गायटर नामक व्याधि थायरॉइड ग्रंथि का रोग है।

एड्रिनल ग्रंथि ऐसे हार्मोन का स्त्रावित करती है जो रुधिर में नमक की मात्रा को संतुलित करता है। किशोरावस्था की ओर

एड्रिनल एड्रिनेलिन नामक हार्मोन का स्रवण भी करती है। एड्रिनलिन क्रोध , चिंता ,एवं उत्तेजना की अवस्था में तनाव के संयोजन का कार्य करता है।

थायरॉइड एवं एड्रिनल ग्रंथि पियूष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित हार्मोन के माध्यम से प्राप्त आदेश के अनुसार ही अपने हार्मोन का स्रवण करती है।

पियूष ग्रंथि वृद्धि हार्मोन भी स्त्रावित करती है जो व्यक्ति की सामान्य वृद्धि के लिए आवश्यक है।

कीटो में कायांतरण का नियंत्रण कीट हार्मोन द्वारा होता है। मेंढक में थायरॉइड द्वारा स्त्रावित हार्मोन थायरॉक्सिन इसका नियमन करता है।

थायरॉक्सिन के उत्पादन के लिए जल में आयोडीन की उपस्थिति आवश्यक है। किशोरावस्था की ओर

यदि जल में जिसमे टैडपोल वृद्धि कर रहे है , पर्याप्त मात्रा में आयोडीन नहीं है तो टैडपोल वयस्क मेंढक में परिवर्धित नहीं हो सकते।

संतुलित आहार का अर्थ है भोजन में प्रोटीन ,कार्बोहायड्रेट , वसा, विटामिन, एवं खनिज का पर्याप्त मात्रा में समावेश।

AIDS, HIV नमक खतरनाक विषाणु ( वायरस ) द्वारा होता है।

यह वायरस एक पीड़ित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में ड्रग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सिरिंज द्वारा भी जा सकता है।

वायरस का संक्रमण पीड़ित माँ से दूध द्वारा उसके शिशु में भी हो सकता है।

HIV से पीड़ित व्यक्ति के साथ लैंगिक संपर्क स्थापित करने द्वारा भी इस रोग का संक्रमण हो सकता है। किशोरावस्था की ओर

MCQ

प्रश्न 1. जीवन काल की वह अवधि जब शरीर में ऐसे परिवर्तन होते है जिसके परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है, कहलाती है –

उत्तर- किशोरावस्था

प्रश्न 2. लड़कियों में किशोरावस्था लड़को की अपेक्षा प्रारम्भ हो जाती है –

उत्तर- एक या दो वर्ष पूर्व

प्रश्न 3. किशोरावस्था की अवधि व्यक्तियों में होती है –

उत्तर- भिन्न-भिन्न

प्रश्न 4. किशोर की जनन परिपक्वता के साथ ही समाप्त हो जाता है –

उत्तर- यौवनारम्भ

प्रश्न 5. अलग-अलग व्यक्तियों की लम्बाई में वृद्धि की दर भी होती है –

उत्तर- भिन्न-भिन्न

प्रश्न 6. लंबाई माता – पिता से प्राप्त निर्भर करती है –

उत्तर- जीन पर

प्रश्न 7. स्वरयंत्र अथवा लैरिंक्स में वृद्धि का प्रारम्भ होता है –

उत्तर- यौवनारम्भ में

प्रश्न 8. लड़को में बढ़ता हुआ ‘स्वरयंत्र’ गले के सामने की और सुस्पष्ट उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है जिसे कहते है –

उत्तर- ऐडम्स ऐपल ( कंठमणि )

प्रश्न 9. किशोरावस्था में स्वेद एवं तैलग्रंथियों का स्राव जाता है –

उत्तर- बढ़

प्रश्न 10. स्वेदग्रंथि, तैलग्रंथि तथा लारग्रंथि जैसी कुछ ग्रंथियाँ अपना स्त्राव स्त्रावित करती है –

उत्तर- वाहियो द्वारा

प्रश्न 11. अंत: स्त्रावी ग्रंथियाँ हॉर्मोनो को सीधे निर्मोचित करती है –

उत्तर- रुधिर प्रवाह में

प्रश्न 12. अंत: स्त्रावी ग्रंथियों को कहते है –

उत्तर- नलिका-विहीन ग्रंथियाँ

प्रश्न 13. यौवनारम्भ में लड़कों के वृषण से उत्पादन प्रारंभ हो जाता है –

उत्तर- शुक्राणुओं का

प्रश्न 14. यौवनारम्भ में लड़कियों के अंडाशय से उत्पादन प्रारंभ हो जाता है –

उत्तर- अंडाणुओं का

प्रश्न 15. वे लक्षण जो लड़कियों को लड़को से पहचानने में सहायता करते है इन्हे कहते है –

उत्तर- गौण लैंगिक लक्षण

प्रश्न 16. यौवनारम्भ के साथ ही वृषण स्रवण प्रारम्भ कर देता है –

उत्तर- पौरुष हार्मोन अथवा टेस्टोस्टेरॉन का

प्रश्न 17. लड़कियों में यौवनारम्भ के साथ ही अंडाशय उत्पादित करना प्रारम्भ कर देता है जिससे स्तन विकसित हो जाते है –

उत्तर- स्त्री हार्मोन अथवा एस्ट्रोजन

प्रश्न 18. लैंगिक हार्मोन नियंत्रण में होता है।

उत्तर- पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन के

प्रश्न 19. युग्मक की परिपक्वता एवं उत्पादन की क्षमता पुरुषो में स्त्रियों की अपेक्षा रहती है –

उत्तर- अधिक अवधि तक

प्रश्न 20. स्त्रियों में पहले ऋतुस्त्राव को कहते है –

उत्तर- रजोदर्शन

प्रश्न 21. स्त्रियों में ऋतुस्त्राव के रुक जाने को कहते है –

उत्तर- रजोनिवृत्ति

प्रश्न 22. सभी मनुष्यो की कोशिकाओं के केन्द्रक में पाए जाते है –

उत्तर- 23 जोड़े गुणसूत्र

प्रश्न 23. अनिषेचित अंडाणु में सदा होता है –

उत्तर- एक X गुणसूत्र

प्रश्न 24. जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करता है तो युग्मनज में दो X गुणसूत्र होंगे तथा वह विकसित होगा –

उत्तर- मादा शिशु में

प्रश्न 25. यदि अंडाणु को निषेचित करने वाले शुक्राणु में Y गुणसूत्र है तो युग्मनज विकसित होगा –

उत्तर- नर शिशु में

प्रश्न 26. अजन्मे शिशु का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है की युग्मनज में –

उत्तर- XX गुणसूत्र है अथवा XY गुणसूत्र

प्रश्न 27. पियूष ग्रंथि द्वारा स्त्रावित हार्मोन जनांगों को उनके हार्मोन उत्पन्न करने के लिए करते है –

उत्तर- उद्दीपित

प्रश्न 28. पियूष ग्रंथि एक अंत: स्त्रावित ग्रंथि है जो जुडी होती है –

उत्तर- मसितष्क से

प्रश्न 29. गायटर नामक व्याधि रोग है –

उत्तर- थायरॉइड ग्रंथि का

प्रश्न 30. एड्रिनल ग्रंथि ऐसे हार्मोन का स्त्रावित करती है जो संतुलित करता है –

उत्तर- रुधिर में नमक की मात्रा को

प्रश्न 31. एड्रिनेलिन नामक हार्मोन का स्रवण करती है

उत्तर- एड्रिनल ग्रंथि

प्रश्न 32. एड्रिनलिन क्रोध , चिंता ,एवं उत्तेजना की अवस्था में कार्य करता है –

उत्तर- तनाव के संयोजन का

प्रश्न 33. कीटो में कायांतरण का नियंत्रण द्वारा होता है –

उत्तर- कीट हार्मोन

प्रश्न 34. थायरॉक्सिन के उत्पादन के लिए जल में उपस्थिति आवश्यक है –

उत्तर- आयोडीन की