क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें : – वेद चार हैं – ऋग्वेद , सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद।
सबसे पुराना वेद है , ऋग्वेद जिसकी रचना लगभग 3500 साल पहले हुई।
ऋग्वेद में एक हजार से ज्यादा प्रार्थनाएँ हैं जिन्हें ,सूक्त कहा गया है।
सूक्त का मतलब है , अच्छी तरह से बोला गया।
ये विभिन्न देवी – देवताओं की स्तुति में रचे गए हैं।
इनमे से तीन देवता बहुत महत्वपूर्ण हैं : अग्नि , इंद्र और सोम।
अग्नि आग के देवता, इंद्र युद्ध के देवता हैं और सोम एक पौधा है, जिससे एक खास पेय बनाया जाता था।
वैदिक प्रार्थनाओं की रचना ऋषियों ने की थी। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
आचार्य विद्यार्थियों को इन्हें अक्षरों , शब्दों और वाक्यों में बाँटकर, सस्वर पाठ द्वारा कंठस्थ करवाते थे।
अधिकांश सूक्तों के रचियता , सिखने और सिखाने वाले पुरुष थे।
कुछ प्रार्थनाओं की रचना महिलाओं ने भी की थी।
ऋग्वेद की भाषा प्राक संस्कृत या वैदिक संस्कृत कहलाती है। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
ऋग्वेद का उच्चारण किया जाता था और श्रवण किया जाता था न कि पढ़ा जाता था।
रचना के कई सदियों बाद इसे पहली बार लिखा गया। इसे छपने का काम तो मुश्किल से दो सौ साल पहले हुआ।
ऋग्वेद के कुछ सूक्त वार्त्तालाप के रूप मे है।
ऋग्वेद कि प्रार्थनाओं में व्यास , सतलुज ,सरस्वती , सिंधु और उसकी सहायक नदियों का जिक्र हैं। गंगा और यमुना का उल्लेख सिर्फ एक बार हुआ हैं। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
ऋग्वेद में मवेशियों , बच्चों ( खासकर पुत्रों ) और घोड़ों की प्राप्ति के लिए अनेक प्रार्थनाएँ हैं।
घोड़ो को लड़ाई में रथ खींचने के काम में लाया जाता था।
लड़ाईयाँ जमीन ,मवेशी, पानी के स्रोतों और लोगो को बंदी बनाने के लिए लड़ी जाती थीं।
युद्ध में जीते गए धन का कुछ भाग सरदार रख लेते थे तथा कुछ हिस्सा पुरोहित को दिया जाता था। शेष धन आम लोगो में बाँट दिया जाता था। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
कुछ धन यज्ञ करने के लिए भी प्रयुक्त होता था।
यज्ञ की आग में आहुतियाँ ( घी , अनाज और कभी – कभी जानवर ) देवी – देवताओं को दी जाती थीं।
अधिकांश पुरुष इन युद्धों में भाग लेते थे।
कोई स्थायी सेना नहीं होती थी , लेकिन लोग सभाओं में मिलते – जुलते थे और युद्ध व शांति के विषय में सलाह – मशविरा करते थे।
सभा में लोग ऐसे लोंगो को अपना सरदार चुनते थे जो बहादुर और कुशल योद्धा हों। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
लोगों का वर्गीकरण काम , भाषा , परिवार या समुदाय , निवास स्थान या सांस्कृतिक परंपरा के आधार पर किया जाता था।
पुरोहित जिन्हे कभी – कभी ब्राह्मण कहा जाता था तरह – तरह के यज्ञ और अनुष्ठान करते थे।
राजा मात्र एक सरदार होता था, जिसके पास बाद के राजाओ की तरह महल , सेना और कर वसूलने का अधिकार नहीं थे।
राजा की मृत्यु के बाद उसका बेटा अपने आप ही शासक नहीं बन जाता था।
जनता या पूरे समुदाय के लिए जन और विश ( जिससे वैश्य शब्द निकला हैं ) शब्दों का इस्तेमाल होता था। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
ऋग्वेद में विश और जनों के नाम मिलते हैं। इसलिए हमें पुरु – जन या विश , भरत – जन या विश , यदु – जन या विश जैसे कई उल्लेख मिलते हैं।
जिन लोगो ने ऋग्वेद की प्रार्थनाओं की रचना की वे कभी – कभी खुद को आर्य कहते थे तथा अपने विरोधियों को दास या दस्यु कहता थे।
दस्यु वे लोग थे जो यज्ञ नहीं करते थे और शायद दूसरी भाषाएँ बोलते थे।
बाद के समय में दास ( स्त्रीलिंग : दासी ) शब्द का मतलब गुलाम हो गया।
दास वे स्त्री और पुरुष होते थे जिन्हे युद्ध में बंदी बनाया जाता था। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
कहानी महापाषाणों की
महापाषाण ( महा : बड़ा , पाषाण : पत्थर ) कब्रें बनाने की प्रथा लगभग 3000 साल पहले शुरू हुई।
यह प्रथा दक्कन, दक्षिण भारत, उत्तर – पूर्वी भारत और कश्मीर में प्रचलित थी।
कुछ महापाषाण जमीन के ऊपर ही दिख जाते हैं। कुछ महापाषाण जमीन के भीतर भी होते है।
कई बार पुरातत्त्वविदों को गोलाकार सजाए हुए पत्थर मिलते हैं। कई बार अकेला खड़ा हुआ पत्थर मिलता है।
ये ही एकमात्र प्रमाण हैं जो जमीन के नीचे कब्रों को दर्शाते है।
इन सब कब्रों में कुछ समानताएँ हैं। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
सामान्यतः मृतकों को खास किस्म के मिट्टी के बर्तनों के साथ दफनाया जाता था जिन्हें काले – लाल मिट्टी के बर्तनों ( ब्लैक एण्ड रेड वेयर ) के नाम से जाना जाता है।
इनके साथ ही मिले हैं लोहे के औजार और हथियार , घोड़ो के कंकाल और सामान तथा पत्थर और सोने के गहने।
कब्र में मिली वस्तुएँ लोगो की सामाजिक स्थिति में भिन्नता को दर्शाती है।
कुछ लोग अमीर थे तो कुछ लोग गरीब , कुछ लोग सरदार थे तो दूसरे अनुयायी।
ब्रह्मगिरि में एक व्यक्ति की कब्र में 33 सोने के मनके और शंख पाए गए हैं। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
कभी – कभी महापाषाणों में एक से अधिक कंकाल मिले हैं।
वे ये दर्शाते हैं कि शायद एक ही परिवार के लोगो को एक ही स्थान पर अलग – अलग समय पर दफनाया गया था।
बाद में मरने वाले लोगों को पोर्ट – होल के रास्ते कब्रों में लाकर दफनाया जाता था।
ऐसे स्थान पर गोलाकार लगाए गए पत्थर या चट्टान चिन्हों का काम करते थे , जहाँ लोग आवश्यकतानुसार शवों को दफनाने दुबारा आ सकते थे। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
इनामगाँव
इनामगाँव , भीम की सहायक नदी घोड़ के किनारे एक जगह है।
इस जगह पर 3600 से 2700 साल पहले लोग रहते थे।
यहाँ वयस्क लोगों को प्रायः गड्ढे में सीधा लिटा कर ( सिर उत्तर की ओर ) दफनाया जाता था।
कई बार उन्हें घर के अंदर ही दफनाया जाता था।
ऐसे बर्तन जिनमे शायद खाना और पानी हों , दफनाए गए शव के पास रख दिए जाते थे। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
इनामगांव में एक आदमी को पाँच कमरों वाले मकान ( बस्ती के बीच बसा गाँव के सबसे बड़े घरों में से एक ) के आँगन में , चार पैरों वाले मिट्टी के एक बड़े से संदूक में दफनाया ( शव के पैर मुड़े हुए थे ) गया था।
इस घर में एक अनाज का गोदाम भी था।
इनामगाँव में पुरातत्त्वविदों को गेहूँ, जौ, चावल , दाल , बाजरा , मटर और तिल के बीजो के साथ – साथ जानवरो कई हड्डियाँ ( कई हड्डियों पर काटने के निशान ) मिली हैं।
ऐसे साक्ष्य मिले हैं कि बेर , आँवला , जामुन , खजूर और कई तरह की रसभरियाँ एकत्र की जाती थी। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
संस्कृत भाषा भारोपीय ( भारत – यूरोपीय ) भाषा – परिवार का हिस्सा हैं।
भारत की कई भाषाएँ ( असमिया , गुजरती , हिंदी , कश्मीरी और सिंधी ) , एशियाई भाषाएँ ( जैसे फ़ारसी ) तथा यूरोप की बहुत – सी भाषाएँ ( जैसे अंग्रेजी , फ्रांसीसी , जर्मन , यूनानी , इतालवी , स्पैनिश आदि ) इसी परिवार से जुडी हुई है।
उन्हें एक भाषा – परिवार इसलिए कहा जाता है क्योंकि आरंभ में उनमे कई शब्द एक जैसे थे।
उपमहाद्वीप में दूसरे भाषा – परिवारों की भी भाषाएँ बोली जाती हैं।
पूर्वोत्तर प्रदेशों में तिब्बत – बर्मा परिवार की भाषाएँ बोली जाती हैं। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
तमिल , तेलुगु , कन्नड़ और मलयालम , द्रविड़ भाषा – परिवार की भाषाएँ हैं।
जबकि झारखंड और मध्य भारत के कई हिस्सों में बोली जाने वाली भाषाएँ ऑस्ट्रो – एशियाटिक परिवार से जुड़ी हैं।
आज से लगभग 2000 साल पहले चरक नाम के प्रसिद्ध वैध हुए थे।
उन्होंने चिकित्सा शास्त्र पर चरक संहिता नाम की किताब लिखी।
उन्होंने मनुष्य के शरीर में 360 हड्डियाँ बताई। क्या बताती हैं हमें किताबें और कब्रें
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
वेदों की रचना का प्रारंभ ( लगभग 3500 साल पहले )
महापाषाणों के निर्माण की शुरुआत ( लगभग 3000 साल पहले )
इनामगाँव में कृषकों का निवास ( 3600 से 2700 साल पहले )
चरक ( लगभग 2000 साल पहले )
MCQ
प्रश्न 1. वेद चार हैं –
उत्तर- ऋग्वेद , सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद
प्रश्न 2. सबसे पुराना वेद है –
उत्तर- ऋग्वेद
प्रश्न 3. ऋग्वेद में एक हजार से ज्यादा प्रार्थनाएँ हैं जिन्हें कहा गया है –
उत्तर- सूक्त
प्रश्न 4. सूक्त का मतलब है –
उत्तर- अच्छी तरह से बोला गया
प्रश्न 5. वैदिक प्रार्थनाओं की रचना की थी –
उत्तर- ऋषियों ने
प्रश्न 6. ऋग्वेद की भाषा कहलाती है –
उत्तर- प्राक संस्कृत या वैदिक संस्कृत
प्रश्न 7. ऋग्वेद के कुछ सूक्त है –
उत्तर- वार्त्तालाप के रूप मे
प्रश्न 8. ऋग्वेद में गंगा और यमुना का उल्लेख हुआ हैं –
उत्तर- सिर्फ एक बार
प्रश्न 9. राजा मात्र होता था, जिसके पास बाद के राजाओ की तरह महल , सेना और कर वसूलने का अधिकार नहीं थे –
उत्तर- एक सरदार
प्रश्न 10. जनता या पूरे समुदाय के लिए शब्दों का इस्तेमाल होता था –
उत्तर- जन और विश ( जिससे वैश्य शब्द निकला हैं )
प्रश्न 11. जिन लोगो ने ऋग्वेद की प्रार्थनाओं की रचना की वे कभी – कभी खुद को कहते थे –
उत्तर- आर्य
प्रश्न 12. आर्यअपने विरोधियों को कहता थे –
उत्तर- दास या दस्यु
प्रश्न 13. दस्यु वे लोग थे जो नहीं करते थे –
उत्तर- यज्ञ
प्रश्न 14. बाद के समय में दास ( स्त्रीलिंग : दासी ) शब्द का मतलब हो गया –
उत्तर- गुलाम
प्रश्न 15. महापाषाण कब्रों में सामान्यतः मृतकों को खास किस्म के मिट्टी के बर्तनों के साथ दफनाया जाता था जिन्हें नाम से जाना जाता है –
उत्तर- काले – लाल मिट्टी के बर्तनों ( ब्लैक एण्ड रेड वेयर ) के
प्रश्न 16. कब्र में मिली वस्तुएँ लोगो की दर्शाती है –
उत्तर- सामाजिक स्थिति में भिन्नता को
प्रश्न 17. ब्रह्मगिरि में एक व्यक्ति की कब्र में पाए गए हैं –
उत्तर- 33 सोने के मनके और शंख
प्रश्न 18. कभी – कभी महापाषाणों में मिले हैं –
उत्तर- एक से अधिक कंकाल
प्रश्न 19. भीम की सहायक नदी घोड़ के किनारे एक जगह है –
उत्तर- इनामगांव
प्रश्न 20. संस्कृत भाषा ,भाषा – परिवार का हिस्सा हैं –
उत्तर- भारोपीय ( भारत – यूरोपीय )
प्रश्न 21. तमिल , तेलुगु , कन्नड़ और मलयालम , भाषाएँ हैं –
उत्तर- द्रविड़ भाषा – परिवार की
प्रश्न 22. झारखंड और मध्य भारत के कई हिस्सों में बोली जाने वाली भाषाएँ जुड़ी हैं –
उत्तर- ऑस्ट्रो – एशियाटिक परिवार से
प्रश्न 23. चरक संहिता के लेखक थे –
उत्तर- चरक
प्रश्न 24. चरक ने मनुष्य के शरीर में हड्डियाँ बताई –
उत्तर- 360