प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
प्रकाश कक्षा 8 नोट्स :- प्रकाश सभी पृष्ठों से परावर्तित होता है।
किसी पृष्ठ पर पड़ने वाली प्रकाश-किरण को आपतित किरण कहते है।
पृष्ठ से परावर्तन के पशचात वापस आने वाली प्रकाश-किरण को परावर्तित किरण कहते है |
जिस बिंदु पर आपतित किरण दर्पण से टकराती है, उस पर दर्पण से 90 degree का कोण बनाते हुए एक रेखा खीचिए।
यह रेखा परावर्तन पृष्ठ के उस बिंदु पर अभिलम्ब कहलाती है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को आपतन कोण ( i) कहते है।
परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को परावर्तन (r) कोण कहते है।
परावर्तन के दो नियम है :
1. आपतन कोण , परावर्तन कोण के बराबर होता है।
2. आपतित किरण,आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण-ये सभी एक तल में होते है।
प्रकाश किरण का अस्तित्व एक आदर्शीकरण है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
वास्तव में, हमे प्रकाश का एक संकीर्ण किरण – पुंज प्राप्त होता है जो अनेक किरणों से मिल कर बना होता है।
सरलता के लिए हम प्रकाश के संकीर्ण किरण- पुंज के लिए किरण शब्द का उपयोग करते है।
दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में वस्तु का बायाँ भाग दाई ओर तथा दायाँ भाग बाई ओर दिखाई पड़ता है। इस परिघटना को पार्श्व – परिवर्तन कहते है।
दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में पार्श्व – परिवर्तन होता है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
जब सभी समांतर किरणे किसी खुरदुरे या अनियमित पृष्ठ से परावर्तित होने के पश्चात समान्तर नहीं होतीं ,तो ऐसे परावर्तन को विसरित परावर्तन कहते है।
याद रखिए कि विसरित परावर्तन में भी परावर्तन के नियमो का सफलतापूर्वक पालन होता है।
प्रकाश का विसरण गत्ते जैसे विषय परावर्ती पृष्ठ पर अनियमितताओं के कारण होता है।
विसरित या अनियमित परावर्तन खुरदरे पृष्ठों से होता है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
जब प्रकाश किसी चिकने , पॉलिश किए हुए तथा नियमित पृष्ठों पर आपतित होता है तो नियमित परावर्तन होता है। नियमित परावर्तन द्वारा प्रतिबिंब बनते है।
आपके चारों ओर की लगभग सभी वस्तुएँ आपको परावर्तित प्रकाश के कारण दिखाई देती है।
जो पिण्ड दूसरी वस्तुओ के प्रकाश में चमकते है उन्हें प्रदीप्त पिण्ड कहते है।
जो पिण्ड स्वय का प्रकाश उत्सर्जित करते है वे दीप्त पिण्ड कहलाते है। जैसे सूर्य , मोमबत्ती की ज्वाला तथा विद्युत लैम्प आदि | प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
किसी कोण पर झुके दो दर्पण अनेक प्रतिबिंब बना सकते है।
बहुलित परावर्तन के कारण कैलाइडोस्कोप में सुंदर पैटर्न बनते है।
सूर्य का प्रकाश जो श्वेत प्रकाश कहलाता है , सात रंगो से मिलकर बना है।
प्रकाश के अपने घटक रंगो में विभक्त होने को विक्षेपण कहते हैं। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
इंद्रधनुष विक्षेपण को दर्शाने वाली एक प्राकृतिक परिघटना है।
हमारे नेत्र की आकृति लगभग गोलाकार है। नेत्र का बाहरी आवरण सफेद होता है। यह कठोर होता है ताकि यह नेत्र के आतंरिक भागो की दुर्घटनाओं से बचाव कर सके।
इसके पारदर्शी अग्र भाग को कॉर्निया या स्वच्छ मंडल कहते है |
कॉर्निया के पीछे हम एक गहरे रंग की पेशियों की संरचना पाते है जिसे परितारिका ( आइरिस ) कहते है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
आइरिस में एक छोटा सा द्वार होता है जिसे पुतली कहते है।
पुतली के साइज को परितारिका से नियंत्रित किया जाता है।
परितारिका नेत्र का वह भाग है जो इसे इसका विशिष्ठ रंग प्रदान करती है।
जब हम कहते है की किसी व्यक्ति के नेत्र हरे है तो वास्तव में हम परितारिका के रंग की ही बात कर रहे होते है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
परितारिका नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
पुतली के पीछे एक लेंस होता है जो केंद्र पर मोटा होता है।
यह लेंस प्रकाश को आँख के पीछे एक परत पर फोकसित करता है। इस परत को रेटिना ( दृष्टि पटल ) कहते है।
रेटिना अनेक तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा अनुभव की गई संवेदनाओ को दृक तंत्रिकाओं द्वारा मसितष्क तक पहुँचा दिया जाता है।
तंत्रिका कोशिकाएँ दो प्रकार की होती है।
1. शंकु, जो तीव्र प्रकाश के लिए सुग्राही होते है तथा
2. शलाकाएँ, जो मंद प्रकाश के लिए सुग्राही होती है।
इसके अतिरिक्त, शंकु रंगो ( वर्णो ) की सूचनाएँ भी भेजते है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
दृक तंत्रिकाओं तथा रेटिना की संधि पर कोई तंत्रिका कोशिका नहीं होती। इस बिंदु को अंध बिंदु कहते है।
रेटिना पर बने प्रतिबिंब का प्रभाव , वस्तु को हटा लेने पर , तुरंत ही समाप्त नहीं होता। यह लगभग 1/16 सेकंड तक बना रहता है।
इसलिए , यदि नेत्र पर प्रति सेकंड 16 या इससे अधिक दर पर किसी गतिशील वस्तु के सिथर प्रतिबिंब बने, तो नेत्र को वह वस्तु चलचित्र की भांति चलती-फिरती अनुभव होगी।
हम जो चलचित्र देखते है वह वास्तव में कुछ-कुछ भिन्न अनेक चित्रों का उपयुक्त क्रम में परदे पर प्रक्षेपण है।
उन्हें नेत्र के सामने प्राय: 24 प्रतिबिंब प्रति सेकंड ( 16 प्रति सेकंड की दर से अधिक ) की दर से परिवर्तित होते दिखाया जाता है। इस प्रकार हम चलचित्र देख पाते है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
वह न्यूनतम दुरी जिस पर नेत्र वस्तुओ को स्पष्टतया देख सकता है, आयु के साथ परिवर्तित होती रहती है।
सामान्य नेत्र द्वारा पढ़ने के लिए सर्वाधिक सुविधाजनक दुरी लगभग 25 cm होती है।
कभी-कभी , विशेष रूप से वृद्धावस्था में नेत्र दॄष्टि धुंधली हो जाती है। यह नेत्र लेंस के धुंधला हो जाने के कारण होता है।
ऐसा होने पर यह कहा जाता है कि नेत्र में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है। इसके कारण दॄष्टि कमजोर हो जाती है जो कभी-कभी अत्यधिक गंभीर रूप ले लेता है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
इस दोष कि चिकित्सा संभव है। अपारदर्शी लेंस को हटा कर नया कृत्रिम लेंस लगा दिया जाता हैं।
जंतुओं के नेत्र विभिन्न आकृतियों के होते है। केकड़े के नेत्र बहुत छोटे होते है परन्तु इनके द्वारा केकड़ा चारो ओर देख सकता है। इसलिए यदि शत्रु पीछे से भी उसकी ओर आता है तब भी उसे पता लग जाता है।
तितली के बड़े नेत्र होते है जो सहस्रों छोटे नेत्रों से मिलकर बने प्रतीत होते है ।
यह केवल सामने अथवा पाशर्व में ही नहीं बल्कि पीछे का भी देख सकती है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
उल्लू रात में भली भांति देख सकता है परन्तु दिन में नहीं देख पाता।
इसके विपरीत दिन के प्रकाश में सक्रिय पक्षी ( चील, गरुड़ ) दिन में अच्छी प्रकार देख सकते है लेकिन रात में ठीक से नहीं देख पाते।
उल्लू के नेत्र में बड़ा कार्निया तथा बड़ी पुतली होती है, ताकि नेत्र में अधिक प्रकाश प्रवेश कर सके।
इसी के साथ-साथ इसके रेटिना में बड़ी संख्या में शलाकाएँ होती है तथा केवल कुछ ही शंकु होते है। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
इसके विपरीत दिन के पक्षियों ने नेत्रों में शंकु अधिक तथा शलाकाएँ कम होती है।
ब्रैल पद्धति का प्रयोग करके चाक्षुषविकृति युक्त व्यक्ति पढ़ तथा लिख सकते है। वर्तमान पद्धति 1932 में अपनाई गई।
लुई ब्रैल स्वय एक चक्षुषविकृति युक्त व्यक्ति थे, ने चक्षुषविकृति युक्त व्यक्तियों के लिए एक पद्धति विकसित की तथा इसे 1821 में प्रकाशित किया। प्रकाश कक्षा 8 नोट्स
MCQ
प्रश्न 1. किसी पृष्ठ पर पड़ने वाली प्रकाश-किरण को कहते है –
उत्तर- आपतित किरण
प्रश्न 2. पृष्ठ से परावर्तन के पशचात वापस आने वाली प्रकाश-किरण को कहते है –
उत्तर- परावर्तित किरण
प्रश्न 3. आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को कहते है –
उत्तर- आपतन कोण
प्रश्न 4. परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को कहते है –
उत्तर- परावर्तन कोण
प्रश्न 5. परावर्तन के दो नियम क्या है ?
उत्तर- (1) आपतन कोण , परावर्तन कोण के बराबर होता है।
(2) आपतित किरण,आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण-ये सभी एक तल में होते है।
प्रश्न 6. पार्श्व – परिवर्तन किसे कहते है ?
उत्तर- दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में वस्तु का बायाँ भाग दाई ओर तथा दायाँ भाग बाई ओर दिखाई पड़ता है। इस परिघटना को पार्श्व – परिवर्तन कहते है।
प्रश्न 7. जब सभी समांतर किरणे किसी खुरदुरे या अनियमित पृष्ठ से परावर्तित होने के पश्चात समान्तर नहीं होतीं ,तो ऐसे परावर्तन को कहते है –
उत्तर- विसरित परावर्तन
प्रश्न 8. विसरित या अनियमित परावर्तन होता है –
उत्तर- खुरदरे पृष्ठों से
प्रश्न 9. आपके चारों ओर की लगभग सभी वस्तुएँ आपको दिखाई देती है –
उत्तर- परावर्तित प्रकाश के कारण
प्रश्न 10. जो पिण्ड दूसरी वस्तुओ के प्रकाश में चमकते है उन्हें कहते है –
उत्तर- प्रदीप्त पिण्ड
प्रश्न 11. जो पिण्ड स्वय का प्रकाश उत्सर्जित करते है वे कहलाते है –
उत्तर- दीप्त पिण्ड
प्रश्न 12. किसी कोण पर झुके दो दर्पण बना सकते है –
उत्तर- अनेक प्रतिबिंब
प्रश्न 13. प्रकाश के अपने घटक रंगो में विभक्त होने को कहते हैं –
उत्तर- विक्षेपण
प्रश्न 14. कॉर्निया के पीछे हम एक गहरे रंग की पेशियों की संरचना पाते है जिसे कहते है –
उत्तर- परितारिका ( आइरिस )
प्रश्न 15. आइरिस में एक छोटा सा द्वार होता है जिसे कहते है –
उत्तर- पुतली
प्रश्न 16. पुतली के साइज को नियंत्रित किया जाता है –
उत्तर- परितारिका से
प्रश्न 17. परितारिका नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को करती है –
उत्तर- नियंत्रित
प्रश्न 18. दृक तंत्रिकाओं तथा रेटिना की संधि पर कोई तंत्रिका कोशिका नहीं होती। इस बिंदु को कहते है –
उत्तर- अंध बिंदु
प्रश्न 19. रेटिना पर बने प्रतिबिंब का प्रभाव , वस्तु को हटा लेने पर बना रहता है –
उत्तर- लगभग 1/16 सेकंड तक
प्रश्न 20. पद्धति का प्रयोग करके चाक्षुषविकृति युक्त व्यक्ति पढ़ तथा लिख सकते है –
उत्तर- ब्रैल पद्धति