मिश्रधातु
किसी धातु को 100 % शुद्ध रूप में प्राप्त करना लगभग असंभव होता है। अनेक बार , शुद्ध रूप में धातु को आवश्यक उद्देश्यों के लिए उपयोग में भी नहीं लाया जा सकता। धातु में अन्य धातुओं अथवा अधातुओं की उचित मात्रा मिलाकर उसमे वांछित गुणधर्म प्राप्त किए जा सकते है।
ऐसे मिश्रण को मिश्रातु या मिश्रधातु कहते है। मिश्रधातु किसी धातु का किसी दूसरी धातु ( धातुओं ) या अधातु ( अधातुओं ) के साथ मिश्रण होता है।
औद्योगिक रूप से लोहे के मिश्रधातु सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। लोहे में कार्बन की कुछ मात्रा मिलाने से इस्पात ( स्टील ) प्राप्त होता है। इसका उपयोग रेल की पटरियों और पुल बनाने में होता है। रसोईघर में बर्तन के रूप में हमारे घरों में स्टेनलेस स्टील का उपयोग होता है।
इसमें लोहा ( 80.6 %) , क्रोमियम ( 18 %) , निकेल ( 1 %) और कार्बन ( 0.4 %) होते है। मैगनीज स्टील में 13 % मैगनीज होता है और इसे 1000 degree celsius तक गर्म करके और फिर एकदम पानी में डालकर ठंडा करके अत्यधिक कठोर बनाया जाता है।
अच्छी गुणवत्ता वाले चुंबक एक ऐसी मिश्रधातु से बनाए जाते हैं जिसमें एलुमिनियम , निकेल और कोबाल्ट स्टील में मिश्रित किए गए हो । इस मिश्रधातु को आमतौर पर ऐलनिको कहते हैं। तांबा एक अन्य महत्वपूर्ण धातु है जिसे मिश्रधातु बनाने के लिए उपयोग किया जाता है |
कांसा तांबे का मिश्रधातु है इसलिए 7 भाग तांबा और एक भाग टिन होता है। कांसे को आसानी से ढाला जा सकता है और यह तांबे से अधिक कठोर होता है। तांबे का एक अन्य महत्वपूर्ण मिश्रधातु जर्मन सिल्वर है जिसे घरेलू बर्तन बनाने में उपयोग किया जाता है। इसमें 60% तांबा , 25% जिंक और 15% निकेल होता है।
पिछले 3 दशकों में एल्युमिनियम के मिश्रधातुओं का उपयोग निरंतर बढ़ा है। ये हल्की , प्रबल और संक्षारण रोधी होती है। इनका उपयोग खाने के बर्तनों और वायुयानों को बनाने में किया जाता है। ये समुद्र के जल से भी प्रभावित नहीं होती , अतः उनका उपयोग समुद्री जहाज को बनाने में भी किया जाता है।
निष्कर्ष
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