मध्यपाषाण काल

मध्यपाषाण काल मध्यपाषाण ( मिसोलिथिक ) काल – ऊपरी पाषाण युग का अंत 9000 ईसा पूर्व के आसपास हिम-युग के अंत के साथ ही हुआ और जलवायु गर्म व शुष्क हो गई। जलवायु के परिवर्तन के साथ ही पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं में भी परिवर्तन हुए और मानव के लिए नए क्षेत्रों की ओर अग्रसर होना […]

चोल साम्राज्य में सांस्कृतिक जीवन

चोल साम्राज्य में सांस्कृतिक जीवन चोल साम्राज्य में सांस्कृतिक जीवन – चोल साम्राज्य के विस्तार और उसके विशाल संसाधनों के फलस्वरूप चोल शासको को तंजावूर , गंगई , कोंडचोलपुरम , कांची आदि महानगरों का निर्माण करने की सामर्थ प्राप्त हुई। शासको की गृहस्थियाँ बड़ी – बड़ी होती थी और उनके प्रसाद विशाल तथा भव्य , […]

पूरापाषाण काल

पूरापाषाण काल पूरापाषाण ( पेलिअलिथिक ) काल  :-  पृथ्वी 400 करोड़ वर्षों से अधिक पुरानी है। इसकी परत के विकास में चार अवस्थाएं प्रकट होती हैं। चौथी अवस्था चतुर्थीकी ( क्वाटर्नरी ) कहलाती है , जिसके दो भाग हैं , अतिनूतन ( प्लाइस्टोसीन ) और अदयतन ( होलोसीन )। पहला दूसरे से पूर्व बीस लाख […]

चोल प्रशासन

चोल प्रशासन चोल प्रशासन में राजा सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति था। सारी सत्ता उसके हाथों में केंद्रित रहती थी , लेकिन उसे सलाह देने के लिए मंत्रियों की परिषद थी। प्रशासन से संपर्क रखने के लिए राजा दौरे पर निकलता रहता था। चोलो के पास एक विशाल सेना थी , जिसमे हस्ती – सेना , अश्वारोही […]

चोल राजवंश

चोल राजवंश चोल साम्राज्य ( चोल राजवंश ) की स्थापना विजयालय ने की जो आरंभ में पल्लवों का सामंत था। सबसे समृद्ध चोल राजा राजराज ( 985 ईस्वी – 1014 ईस्वी ) और उसका पुत्र राजेंद्र प्रथम ( 1014 ईस्वी – 1044 ईस्वी ) थे। राजराज को अपने पिता के जीवन काल में ही युवराज […]

राष्ट्रकूट वंश

राष्ट्रकूट वंश इस राजवंश ( राष्ट्रकूट वंश ) ने दकन को एक के बाद एक अनेक योद्धा तथा कुशल प्रशासक दिए। इस राज्य की स्थापना दन्तिदुर्ग ने की थी जिसने आधुनिक शोलापुर के निकट मान्यखेट या मालखेड़ को अपनी राजधानी बनाया। राष्ट्रकूटों ने शीघ्र ही उत्तर महाराष्ट्र के पूरे प्रदेश पर अपना वर्चस्व स्थापित कर […]

प्रतिहार वंश

प्रतिहार वंश प्रतिहार वंश – प्रतिहारों को गुर्जर – प्रतिहार भी कहते है जिसका कारण शायद यह है कि उनका उदभव गुर्जराष्ट्र या दक्षिण – पश्चिम राजस्थान में हुआ था। वे आरंभ में संभवतः स्थानीय ओहदेदार थे जिन्होंने मध्य और पूर्वी राजस्थान में कई इलाकों पर अपना स्वतंत्र अधिकार स्थापित कर लिया था। उन्हें सिंध […]

पाल वंश

पाल वंश पाल वंश ( साम्राज्य ) की स्थापना 750 ईस्वी में गोपाल ने की। उस क्षेत्र में फैली अराजकता से तंग आकर वहां के प्रमुख लोगो ने उसे राजा चुना था। 770 ईस्वी में उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र धर्मपाल राजा बना। धर्मपाल ने 810 ईस्वी तक शासन किया। धर्मपाल को राष्ट्रकूट के […]

शेरशाह सूरी

शेरशाह सूरी शेरशाह सूरी दिल्ली की गद्दी पर 67 साल की ढलती उम्र में बैठा। उसका मूल नाम फरीद था और उसका पिता जौनपुर का एक छोटा सा जागीरदार था। अपने पिता की जागीर की देख – रेख की जिम्मेदारी संभालते हुए फरीद ने प्रशासन का अच्छा अनुभव प्राप्त कर लिया। इब्राहिम लोदी की पराजय […]

तराइन का युद्ध

तराइन का युद्ध तराइन का युद्ध – मुइज्जुद्दीन मुहम्मद और पृथ्वीराज के बीच संघर्ष की शुरुआत तबरहिंद ( भटिंडा ) पर दोनों के दावों को लेकर हुई 1191 ईस्वी में तराइन की लड़ाई में गौरी फौज , बुरी तरह पराजित हुई और मुइज्जुद्दीन मुहम्मद की जान एक खिलजी घुड़सवार ने बचाई। मुइज्जुद्दीन मुहम्मद अपनी सैन्य […]