जायांग

जायांग जायांग फूलों के मादा जनन अंग होते हैं। ये एक अथवा अधिक अंडप से मिलकर बनते हैं। अंडप के तीन भाग होते है – वर्तिका , वर्तिकाग्र तथा अंडाशय। अंडाशय का आधारी भाग फूला हुआ होता है जिस पर एक लंबी नली होती है जिसे वर्तिका कहते हैं। वर्तिका अंडाशय को वर्तिकाग्र से जोड़ती […]

ब्रायोफाइटा

ब्रायोफाइटा ब्रायोफाइटा ( bryophyta) में मॉस तथा लीवरवर्ट आते हैं जो प्राय: पहाड़ियों में नम तथा छायादार क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ब्रायोफाइटा ( bryophyta) को पादप जगत में जलस्थलचर भी कहते हैं ; क्योंकि ये भूमि पर भी जीवित रह सकते हैं , किंतु लैंगिक जनन के लिए जल पर निर्भर करते हैं। ये […]

एंजियोस्पर्म

एंजियोस्पर्म पुष्पी पादपों अथवा एंजियोस्पर्म ( angiosperms) में परागकण तथा बीजाण्ड विशिष्ट रचना के रूप में विकसित होते हैं। जिसे पुष्प कहते हैं। जबकि जिम्नोस्पर्म में बीजाण्ड अनावृत होते हैं। एंजियोस्पर्म ( angiosperms) पुष्पी पादप है , जिसमे बीज फलों के भीतर होते हैं। यह पादपों में सबसे बड़ा वर्ग है। उनके वासस्थान भी बहुत […]

जिम्नोस्पर्म

जिम्नोस्पर्म जिम्नोस्पर्म ( जिम्नोस – अनावृत , स्पर्म – बीज ) ऐसा पौधा है; जिनमे बीजाण्ड अंडाशय भित्ति से ढके हुए नहीं होते और ये निषेचन से पूर्व तथा बाद में भी अनावृत ही रहते हैं। जिम्नोस्पर्म (gymnosperms) में मध्यम अथवा लंबे वृक्ष तथा झाड़ियां होती हैं। जिम्नोस्पर्म का सिकुआ वृक्ष सबसे लंबा है। इनकी […]

संक्षारण

संक्षारण संक्षारण – आपने देखा होगा कि लोहे की कील , पेंच , पाइप और रेलिंग यदि कुछ समय तक वायु में खुले पड़े रहे तो उन्हें जंग लग जाता है। धातु की सतह पर जंग की परत ढीली जमी होती है , अतः यह वस्तु से आसानी से अलग हो जाती है। धातु की […]

मिश्रधातु

मिश्रधातु किसी धातु को 100 % शुद्ध रूप में प्राप्त करना लगभग असंभव होता है। अनेक बार , शुद्ध रूप में धातु को आवश्यक उद्देश्यों के लिए उपयोग में भी नहीं लाया जा सकता। धातु में अन्य धातुओं अथवा अधातुओं की उचित मात्रा मिलाकर उसमे वांछित गुणधर्म प्राप्त किए जा सकते है। ऐसे मिश्रण को […]

मस्तिष्क

मस्तिष्क मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यह शरीर का नियंत्रण केंद्र होता है। शरीर के विभिन्न भागो में तालमेल स्थापित करना , सुन्ना , देखना ,सोचना , अनुभव करना या किसी बात को याद रखना आदि सभी शारीरिक क्रियाएं mind द्वारा ही नियंत्रित होती है। मस्तिष्क का संबंध तंत्रिका तंत्र से होता […]

ह्रदय

ह्रदय ह्रदय हमारे शरीर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग होता है। यह वक्ष में बाईं ओर स्थित होता है। इसका आकर बंद मुट्ठी की तरह होता है तथा इसका भार लगभग 300 ग्राम होता है। इसके दोनों ओर दो फेफड़े होते है। ह्रदय पर झिल्ली का बना एक आवरण होता है , जिसे पेरीकार्डियम ( […]

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण मनुष्य के क्रियाकलापों के फलस्वरूप पर्यावरण में हानिकारक तथा अवांछित घटकों की उपस्थिति प्रदूषण कहलाती हैं। यह प्रदूषण वायु , जल एवं मृदा किसी का भी हो सकता है। वायु का अर्थात वायुमंडलीय प्रदूषण जीवाश्म ईंधनों के दहन , मोटर वाहनों से निकलने वाली अनुपयोगी गैसों तथा विभिन्न उद्योगों द्वारा वायुमंडल में छोड़ी […]

वायुमंडलीय दाब

वायुमंडलीय दाब वायुमंडलीय दाब , वायुमंडल द्वारा पृथ्वी की सतह पर वायु के भार के फलस्वरूप लगने वाला दाब है। वायुमंडलीय वायु का दाब , जिसे सामान्यतः वायुमंडलीय दाब कहते हैं , पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आप जानते हैं कि वायुमंडल पूर्णता गैसों का मिश्रण है। अतः वायुमंडलीय व्यवहार के पैटर्न […]