वायु तथा जल का प्रदूषण

वायु तथा जल का प्रदूषण

वायु तथा जल का प्रदूषण :- वायु गैंसों का मिश्रण है। आयतन के अनुसार इस मिश्रण का लगभग 78 % नाइट्रोजन , तथा लगभग 21 % ऑक्सीजन है।

कार्बन डाइऑक्साइड , ऑर्गन , मेथेन तथा जल वाष्प भी वायु में अल्प मात्रा में उपस्थित है।

जब वायु ऐसे अनचाहे पदार्थों के द्वारा संदूषित हो जाती है जो सजीव तथा निर्जीव दोनों के लिए हानिकर है , तो इसे वायु प्रदूषण कहते है।

जो पदार्थ वायु को संदूषित करते है उन्हें वायु प्रदूषक कहते है। वायु तथा जल का प्रदूषण

कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड , कार्बन डाइऑक्साइड , मेथेन तथा सल्फर डाइऑक्साइड वायु के प्रमुख प्रदूषक है।

पेट्रोल तथा डीजल जैसे ईंधनों के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह एक विषैली गैस है।

कार्बन मोनोऑक्साइड रुधिर में ऑक्सीजन वाहक क्षमता को घटा देती है। वायु तथा जल का प्रदूषण

धूम-कोहरा, धुए तथा कोहरे से बनता है । इसके कारण साँस लेने में कठिनाई वाले रोग , जैसे – दमा, खांसी, तथा बच्चो में साँस के साथ हरहराहट उत्त्पन हो जाते है।

पेट्रोलियम परिष्करणशालाएँ सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे गैसीय प्रदूषकों की प्रमुख स्रोत है।

विद्युत संयंत्रों में कोयला जैसे ईंधन के दहन से सल्फर डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। वायु तथा जल का प्रदूषण

सल्फर डाइऑक्साइड फेफड़ों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त करने के साथ – साथ श्वसन समस्याएँ भी उत्पन्न कर सकती है।

क्लोरोफ्लोरो कार्बन ( CFC ) का उपयोग रेफ्रिजरेटरों , एयर कंडीशनरों तथा एरोसॉल फुहार में होता है।

CFCs के द्वारा वायुमंडल की ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो जाती है। वायु तथा जल का प्रदूषण

गैसों के अतिरिक्त डीजल तथा पेट्रोल के दहन से चलने वाले स्वचालित वाहनों द्वारा अत्यंत छोटे कण भी उत्पन्न होते है जो अत्यधिक समय तक वायु में निलंबित रहते है।

ये कण दृश्यता को घटा देते है। साँस लेने पर ये शरीर के भीतर पहुँचकर रोग उत्पन्न करते है।

ये कण इस्पात निर्माण तथा खनन जैसे औद्योगिक प्रक्रमों द्वारा भी उत्पन्न होते है। वायु तथा जल का प्रदूषण

वायु तथा जल का प्रदूषण image

आगरा शहर में स्थित ताजमहल के सफेद संगमरमर को वायु प्रदूषक बदरंग कर रहे है।

आगरा तथा इसके चारों ओर स्थित रबड़ प्रक्रमण, स्वचालित वाहन , उद्योग सल्फर डाइआक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइआक्साइड जैसे प्रदूषको को उत्त्पन करने के लिए उत्तरदायी रहे है।

ये गैसे वायुमंडल में उपसिथत जलवाष्प से अभिक्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाती है।

ये वर्षा को अम्लीय बनाकर वर्षा के साथ पृथ्वी पर बरस जाते है। इसे अम्ल वर्षा कहते है। वायु तथा जल का प्रदूषण

अम्ल वर्षा के कारण स्मारक के संगमरमर का संक्षारण होता है। इस परिघटना को संगमरमर कैंसर भी कहते है।

मथुरा तेल परिष्करणी से उत्सृजित काजल कण जैसे निलंबित कणों का संगमरमर को पीला करने में योगदान है।

सूर्य की किरणें वायुमंडल से गुजरने के पश्चात पृथ्वी की सतह को गर्म करती है।

पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्य के विकिरणों का कुछ भाग पृथ्वी अवशोषित कर लेती है और कुछ भाग परावर्तित होकर वापस अंतरिक्ष में लौट जाता है। वायु तथा जल का प्रदूषण

परावर्तित विकिरणों का कुछ भाग वायुमंडल में रुक जाता है। ये रुका हुआ विकिरण पृथ्वी को और गर्म करता है।

आपने देखा होगा कि पौधशाला में सूर्य की उष्मा पौधा घर में प्रवेश तो कर जाती है पर इससे बाहर नहीं निकल पाती।

यही रुकी हुई ऊष्मा पौधा-घर को गर्म करती है। पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा रोके गए विकिरण यही कार्य करते हैं। यही कारण है कि उसे पौधा-घर प्रभाव कहते हैं।

इस पराक्रम के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो सकता है। अब यह पराक्रम जीवन के लिए खतरा बन गया है इस प्रभाव के लिए हवा में CO2 की अधिकतम उत्तरदायी है। वायु तथा जल का प्रदूषण

CO2 वायु का एक घटक है जो पौधों के लिए आवश्यक है लेकिन यदि वायु में CO2 की अधिकता हो तो यह प्रदूषक के भांति कार्य करती है।

CO2 ऊष्मा को रोक लेती है और उसे वायुमंडल में नहीं जाने देती। परिणामस्वरूप वायुमंडल के औसत तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसे विश्व ऊष्णता ( Global warming ) कहते है।

मेथेन, नाइट्रस, आक्साइड तथा जलवाष्प जैसी अन्य गैसे भी इस प्रभाव में योगदान करती है। CO2 की भांति इन्हे भी पौधा-घर गैसे कहते है।

संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अंतर्गत पौधा – घर गैसों के उत्सर्जन में कमी करने के लिए क्योटो प्रोटोकॉल अनुबंध बनाया गया है। वायु तथा जल का प्रदूषण

 जब भी वाहित मल, विषैले रसायन, गाद आदि जैसे हानिकर पदार्थ जल में मिल जाते है तो जल प्रदूषित हो जाता है।

जल को प्रदूषित करने वाले पदार्थो को जल प्रदूषक कहते है।

गर्म जल भी एक प्रदूषक हो सकता है। यह जल प्राय: विधुत संयंत्रों तथा उद्यगो से आता है। इसे नदियों में बहाया जाता है।

यह जलाशयों के ताप में वृद्धि कर देता है जिससे उसमे रहने वाले पेड़ पौधे व् जीव जन्तुओ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वायु तथा जल का प्रदूषण

1985 में गंगा नदी को बचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना आरम्भ की गयी जिसे गंगा कार्य परियोजना कहते है।

भारत सरकार ने 2016 में एक नए प्रस्ताव का शुभारंभ किया जिसे स्वच्छ गंगा भारत मिशन के नाम से जाना जाता है।

पीने के लिए उपयुक्त जल को पेय जल कहते है।

जल एक अनमोल प्राकृतिक संसाधन है। हमे इसके संरक्षण के उपाय सीखने चाहिए। वायु तथा जल का प्रदूषण

MCQ

प्रश्न 1. वायु गैंसों का है –

उत्तर- मिश्रण

प्रश्न 2. जब वायु ऐसे अनचाहे पदार्थों के द्वारा संदूषित हो जाती है जो सजीव तथा निर्जीव दोनों के लिए हानिकर है , तो इसे कहते है –

उत्तर- वायु प्रदूषण

प्रश्न 3. जो पदार्थ वायु को संदूषित करते है उन्हें कहते है –

उत्तर- वायु प्रदूषक

प्रश्न 4. कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड , कार्बन डाइऑक्साइड , मेथेन तथा सल्फर डाइऑक्साइड वायु के है –

उत्तर- प्रमुख प्रदूषक

प्रश्न 5. पेट्रोल तथा डीजल जैसे ईंधनों के अपूर्ण दहन से उत्पन्न होती है –

उत्तर- कार्बन मोनोऑक्साइड

प्रश्न 6. कार्बन मोनोऑक्साइड रुधिर में ऑक्सीजन वाहक क्षमता को देती है –

उत्तर- घटा

प्रश्न 7. विद्युत संयंत्रों में कोयला जैसे ईंधन के दहन से उत्पन्न होती है –

उत्तर- सल्फर डाइऑक्साइड

प्रश्न 8. CFCs के द्वारा वायुमंडल की ओजोन परत हो जाती है –

उत्तर- क्षतिग्रस्त

प्रश्न 9. आगरा शहर में स्थित ताजमहल के सफेद संगमरमर को बदरंग कर रहे है –

उत्तर- वायु प्रदूषक

प्रश्न 10. अम्ल वर्षा के कारण स्मारक के संगमरमर का संक्षारण होता है। इस परिघटना को भी कहते है –

उत्तर- संगमरमर कैंसर

प्रश्न 11. सूर्य की किरणें वायुमंडल से गुजरने के पश्चात पृथ्वी की सतह को करती है –

उत्तर- गर्म

प्रश्न 12. पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्य के विकिरणों का कुछ भाग पृथ्वी कर लेती है –

उत्तर- अवशोषित

प्रश्न 13. यदि वायु में CO2 की अधिकता हो तो यह कार्य करती है –

उत्तर- प्रदूषक के भांति

प्रश्न 14. जल को प्रदूषित करने वाले पदार्थो को कहते है –

उत्तर- जल प्रदूषक

प्रश्न 15. 1985 में गंगा नदी को बचाने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना आरम्भ की गयी जिसे कहते है –

उत्तर- गंगा कार्य परियोजना

प्रश्न 16. पीने के लिए उपयुक्त जल को कहते है –

उत्तर- पेय जल