वायुमंडल (Atmosphere)
वायु से आप परिचित हैं। वायु कई गैसों का मिश्रण है। यह पृथ्वी पर सर्वत्र व्याप्त है। हम वायु से चारों ओर से घिरे घने क्षेत्र में रहते हैं जिसे वायुमंडल (atmosphere) कहते हैं।
सभी सजीवो को किसी ने किसी रूप में वायु की आवश्यकता होती है। वायु , जो हमारी पृथ्वी के चारों ओर के वायुमंडल (atmosphere) का निर्माण करती है , गैसों का मिश्रण है।
इसमें मुख्यतः नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन तथा सूक्ष्म मात्रा में ऑर्गन , कार्बन डाइऑक्साइड , जलवाष्प एवं अति सूक्ष्म मात्रा में हीलियम , निऑन , क्रिप्टान एवं जीनॉन गैसे उपस्थित हैं।
Atmosphere में ऑक्सीजन की उपस्थिति के बिना मनुष्य , प्राणी ( जलीय प्राणियों सहित ) तथा वनस्पति जीवन संभव ही नहीं है। वायुमंडल (atmosphere) में उपस्थित विभिन्न गैसों को , विभिन्न उद्देश्यों के लिए , एक दूसरे से अलग किया जा सकता है।
वायु में लगभग 78% नाइट्रोजन , 21% ऑक्सीजन, 0.5% ऑर्गन , 0.04% जलवाष्प , 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड तथा शेष निऑन , हीलियम , क्रिप्टॉन तथा जीनॉन है एवं अन्य घटक अति सूक्ष्म मात्रा में उपस्थित रहते हैं।
हमारा वायुमंडल (atmosphere) पृथ्वी से लगभग 120 km की ऊंचाई तक व्याप्त है। किंतु वायु का संघटन उसका ताप तथा अन्य स्थितियां ऊंचाई के साथ बदलती रहती हैं।
अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से वायुमंडल (atmosphere) को चार प्रमुख स्तरों में विभाजित किया गया है। यह है : क्षोभमंडल , समतापमंडल , मध्यमंडल तथा बाह्य वायुमंडल।
पृथ्वी की सतह के सबसे निकट की वायु सतह को क्षोभमंडल कहते हैं। वायुमंडल (atmosphere) के संपूर्ण द्रव्यमान का सबसे अधिक अंश इसमें उपस्थित रहता है।
पृथ्वी के निकट की वायुमंडलीय (atmosphere) वायु का ताप पृथ्वी की सतह के ताप के लगभग बराबर होता है। किन्तु जैसे – जैसे हम ऊपर जाते हैं , इस सतह का ताप कम होता जाता है।
क्षोभमंडल में प्रति एक किलोमीटर ऊपर बढ़ने पर औसत तापमान 6 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है। इसी प्रकार , ऊंचाई के साथ क्षोभमंडल में जलवाष्प की मात्रा भी तेजी से घटती जाती है।
वायुमंडल (atmosphere) में वायु की दूसरी मुख्य सतह समताप मंडल कहलाती है। यह पृथ्वी की सतह से 10 से 50 km की ऊँचाई तक व्याप्त है। समताप मंडल में वायु का ताप लगभग 25 km की ऊंचाई तक अधिकांशत: स्थिर रहता है।
पृथ्वी की सतह से 50 से 80 km ऊंचाई तक का वायुमंडल (atmosphere) मध्यमण्डल कहलाता है। मध्यमण्डल में ताप क्षोभमंडल या समताप मंडल की तुलना में काम होता है।
मध्य मंडल के ऊपर के वायुमंडल को बाह्य वायुमंडल कहते हैं। बाह्य वायुमंडल में ताप ऊंचाई बढ़ाने के साथ बढ़ता है। यह वृद्धि वायुमंडल (atmosphere) के तल में उपस्थित ऑक्सीजन की सीमित मात्रा द्वारा सूर्य की तीव्र विकरणों के अवशोषण के फलस्वरूप होती है।
वायुमंडल (atmosphere) का अध्ययन हमारे लिए बहुत उपयोगी है। बादलों के बनने , वर्षा होने एवं हिम निर्माण में वायुमंडल की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सूर्य के कुछ हानिकारक विकरणों को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से रोकता है। यह पवन प्रवाह में भी सहायक है।
इसके अध्ययन से मौसम की भविष्यवाणी में भी मदद मिलती है। मौसम की भविष्यवाणी मूसलधार वर्षा , बादलों के फटने , चक्रवात , एवं शुष्क दौर से जन , पशु एवं फासले बचाने के लिए आवश्यक उपाय करने में मदद करती है।
यह हमें सूखे एवं बाढ़ से बचाव के समुचित उपाय अपनाने में मदद करती है। दूसरे शब्दों में , मौसम की भविष्यवाणी हमें विनाश के प्रबंधन में सहायता करती है।
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