इमारतें, चित्र तथा किताबें

इमारतें, चित्र तथा किताबें

इमारतें चित्र तथा किताबें  : – प्राचीन भारतीय धातुवैज्ञानिक ने विश्व धातुविज्ञान के क्षेत्र में प्रमुख योगदान दिया हैं।

हड़प्पावासी कुशल शिल्पी थे और उन्हें तांबे के धातुकर्म ( धातुशोधन ) की जानकारी थी।

उन्होंने तांबे और टिन को मिलाकर कांसा भी बनाया था।

जहाँ हड़प्पावासी कांस्य युग से जुड़े थे वहीं उनके उत्तराधिकारी लौह युग से संबद्ध थे।

भारत अत्यंत विकसित किस्म के लोहे का निर्माण करता था – खोटा लोहा , पिटवा लोहा , ढलवा लोहा। इमारतें चित्र तथा किताबें 

महरौली (दिल्ली ) में कुतुबमीनार के परिसर में खड़ा लौह स्तंभ जिसकी ऊंचाई 7.2 मीटर और वजन 3 टन से भी ज्यादा है जिसपर आज तक जंग नहीं लगा , भारतीय शिल्पकारों की कुशलता का एक अद्भुत उदाहरण है।

इसका निर्माण लगभग 1500 साल पहले हुआ जिसकी जानकारी हमें इस पर खुदे अभिलेख से मिलती है।

इस अभिलेख में ‘ चन्द्र ‘ नाम के एक शासक का जिक्र है जो संभवतः गुप्त वंश के थे।

स्तूप का शाब्दिक अर्थ टीला होता है हालाँकि स्तूप विभिन्न आकर के थे – कभी गोल या लंबे तो कभी बड़े या छोटे। उन सब में एक समानता है। इमारतें चित्र तथा किताबें 

प्रायः सभी स्तूपों के भीतर एक छोटा – सा डिब्बा रखा रहता है, जिसमें बुद्ध या उनके अनुयायियों के शरीर के अवशेष ( जैसे दाँत हड्डी या राख ) या उनके द्वारा प्रयुक्त कोई चीज या कोई कीमती पत्थर अथवा सिक्के रखे रहते हैं। इसे धातु – मंजूषा कहते है।

स्तूपों के चारों ओर परिक्रमा करने के लिए बने वृत्ताकार पथ को प्रदक्षिणा पथ कहते हैं।

प्रदक्षिणा पथ को रेलिंग से घेर दिया जाता था जिसे वेदिका कहते है।

वेदिका में प्रवेशद्वार बने होते थे। रेलिंग तथा तोरण प्रायः मूर्तिकला की सुंदर कलाकृतियों से सजे होते थे। इमारतें चित्र तथा किताबें 

साँची का महान स्तूप मध्य प्रदेश में है।

इस स्तूप में ईंटों का प्रयोग संभवतः अशोक के जमाने का है , जबकि रेलिंग और प्रवेशद्वार बाद के शासकों के काल में जोड़े गए।

हाथी दाँत का काम करने वाले श्रमिकों के संघ ने साँची के एक अलंकृत प्रवेशद्वार ( तोरण ) को बनाने का खर्च दिया था।

अमरावती में कभी एक भव्य स्तूप हुआ करता था, इसे सजाने के लिए लगभग 2000 साल पहले इसकी शिलाओं पर चित्र उकेरे गए। इमारतें चित्र तथा किताबें 

इस काल में कुछ आरंभिक हिन्दू मंदिरों का भी निर्माण किया गया।

इन मंदिरों में विष्णु , शिव तथा दुर्गा जैसे देवी – देवताओं की पूजा होती थी।

मंदिरों का सबसे महत्वपूर्ण भाग गर्भगृह होता था , जहाँ मुख्य देवी या देवता की मूर्ति को रखा जाता था।

इसी स्थान पर पुरोहित धार्मिक अनुष्ठान तथा भक्त पूजा करते थे। इसे पवित्र स्थान के रूप में दिखने के लिए इसके ऊपर काफी ऊंचाई तक निर्माण किया जाता था , जिसे शिखर कहते थे।

अधिकतर मंदिरों में मंडप नाम की एक जगह होती थी। यह एक सभागार होता था , जहाँ लोग इकट्ठा होते थे। इमारतें चित्र तथा किताबें 

महाबलिपुरम के एकाश्मिक मंदिर बहुत ही सुंदर है। इनमे से प्रत्येक मंदिर एक ही विशाल पहाड़ी को तराश कर बनाया गया है। इसीलिए इन्हें एकाश्म कहा गया है।

चट्टान तराश कर बनाए जाने वाले मंदिरों को पत्थर काटने वाले ऊपर से नीचे के क्रम में बनाते हैं।

ऐहोल का दुर्गा मंदिर लगभग 1400 साल पहले बनाया गया था।

अजंता के पहाड़ों में सैकड़ों सालों के दौरान कई गुफाएँ खोदी गईं। इनमें से ज्यादातर बौद्ध भिक्षुओं के लिए बनाए गए विहार थे। इनमें से कुछ को चित्रों द्वारा सजाया गया था।

गुफाओं के अंदर अँधेरा होने की वजह से , अधिकांश चित्र मशालों की रोशनी में बनाए गए थे। इमारतें चित्र तथा किताबें 

इन चित्रों के रंग 1500 साल बाद भी चमकदार हैं। ये रंग पौधों तथा खनिजों से बनाए गए थे। इन महान कृतियों को बनाने वाले कलाकार अज्ञात हैं।

करीब 1800 साल पहले एक प्रसिद्ध तमिल महाकाव्य सिलप्पदिकारम की रचना इलांगो नामक कवि ने की। इसमें कोवलन नाम के एक व्यापारी की कहानी है।

एक और तमिल महाकाव्य , मणिमेखलई को करीब 1400 साल पहले सत्तनार द्वारा लिखा गया। इसमें कोवलन तथा माधवी की बेटी की कहानी है।

हिन्दू धर्म से जुडी कई कहानियाँ जो बहुत पहले से प्रचलित थीं इसी काल में लिखी गईं। इनमें पुराण भी शामिल हैं। इमारतें चित्र तथा किताबें 

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पुराण का शाब्दिक अर्थ है प्राचीन या पुराण।

पुराणों में विष्णु , शिव , दुर्गा या पार्वती जैसे देवी – देवताओं से जुड़ी कहानियाँ हैं।

इनमें ( पुराणों में ) इन देवी – देवताओं की पूजा की विधियाँ दी गई है। इसके अतिरिक्त इनमें संसार की सृष्टि तथा राजाओं के बारे में भी कहानियाँ हैं।

अधिकतर पुराण सरल संस्कृत श्लोक में लिखे गए हैं , जिससे सब उन्हें सुन और समझ सकें।

स्त्रियाँ तथा शूद्र जिन्हें वेद पढ़ने की अनुमति नहीं थी वे भी इसे सुन सकते थे। इमारतें चित्र तथा किताबें 

पुराणों का पाठ पुजारी मंदिरों में किया करते थे जिसे लोग सुनने आते थे।

माना जाता है कि पुराणों और महाभारत दोनों को ही व्यास नाम के ऋषि ने संकलित किया था।

संस्कृत रामायण के लेखक वाल्मीकि माने जाते हैं।

इसी समय गणितज्ञ तथा खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने संस्कृत में आर्यभट्टीयम नामक पुस्तक लिखी।

इसमें उन्होंने लिखा कि दिन और रात पृथ्वी कि अपनी धुरी पर चक्कर काटने की वजह से होते है। इमारतें चित्र तथा किताबें 

उन्होंने ग्रहण के बारे में भी एक वैज्ञानिक तर्क दिया।

उन्होंने वृत्त की परिधि को मापने की भी विधि ढूँढ़ निकली , जो लगभग उतनी ही सही है , जितनी कि आज प्रयुक्त होने वाली विधि।

अंकों का प्रयोग पहले से होता रहा था , पर अब भारत के गणितज्ञों ने शून्य के लिए एक नए चिन्ह का आविष्कार किया।

गिनती की यह पद्धति अरबों द्वारा अपनाई गई और तब यूरोप में भी फैल गई।

आज भी यह पूरी दुनिया में प्रयोग की जाती हैं। इमारतें चित्र तथा किताबें 

रोम के निवासी शून्य का प्रयोग किए बगैर गिनती करते थे।

आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान की एक विख्यात पद्धति है , जो प्राचीन भारत में विकसित हुई।

प्राचीन भारत में आयुर्वेद के दो प्रसिद्ध चिकित्सक थे – चरक ( प्रथम – द्वितीय शताब्दी ईस्वी ) और सुश्रुत ( चौथी शताब्दी ईस्वी )।

चरक द्वारा रचित चरकसंहिता औषधिशास्त्र की एक उल्लेखनीय पुस्तक है।

अपनी रचना सुश्रुतसंहिता में सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा की विधियों का विस्तृत वर्णन किया है। इमारतें चित्र तथा किताबें 

अन्यत्र

कागज का आविष्कार करीब 1900 साल पहले काई लून नाम के व्यक्ति नए चीन में किया।

कागज बनाने की तकनीक को सदियों तक गुप्त रखा गया।

करीब 1400 साल पहले यह कोरिया तक पहुँची। इसके तुरंत बाद ही यह जापान तक फैल गई।

करीब 1800 साल पहले यह बगदाद में पहुँची। फिर बगदाद से यह यूरोप , अफ्रीका और एशिया के अन्य भागों में फैली।

इस उपमहाद्वीप में भी कागज की जानकारी बगदाद से ही आई। इमारतें चित्र तथा किताबें 

कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ

स्तूप निर्माण की शुरुआत ( 2300 साल पहले )

अमरावती ( 2000 साल पहले )

कालिदास ( 1600 साल पहले )

लौह स्तंभ , भीतरगाँव का मंदिर , अजंता की चित्रकारी , आर्यभट्ट ( 1500 साल पहले )

दुर्गा मंदिर ( 1400 साल पहले )

MCQ

प्रश्न 1. हड़प्पावासी जुड़े थे –

उत्तर- कांस्य युग से

प्रश्न 2. महरौली लौह स्तम्भ के निर्माण की जानकारी मिलती है –

उत्तर- इस पर खुदे अभिलेख से

प्रश्न 3. महरौली लौह स्तंभ पर खुदे अभिलेख में किस शासक का जिक्र किया गया है ?

उत्तर- चन्द्र

प्रश्न 4. स्तूप का शाब्दिक अर्थ होता है –

उत्तर- टीला

प्रश्न 5. प्रायः सभी स्तूपों के भीतर एक छोटा – सा डिब्बा रखा रहता है, जिसमें बुद्ध या उनके अनुयायियों के शरीर के अवशेष ( जैसे दाँत हड्डी या राख ) या उनके द्वारा प्रयुक्त कोई चीज या कोई कीमती पत्थर अथवा सिक्के रखे रहते हैं। इस कहते है –

उत्तर- धातु – मंजूषा

प्रश्न 6. स्तूपों के चारों ओर परिक्रमा करने के लिए बने वृत्ताकार पथ को क्या कहते हैं ?

उत्तर- प्रदक्षिणा पथ

प्रश्न 7. प्रदक्षिणा पथ को रेलिंग से घेर दिया जाता था जिसे कहते है –

उत्तर- वेदिका

प्रश्न 8. साँची का महान स्तूप स्थित है –

उत्तर- मध्य प्रदेश में

प्रश्न 9. मंदिरों का सबसे महत्वपूर्ण भाग , जहाँ मुख्य देवी या देवता की मूर्ति को रखा जाता था –

उत्तर- गर्भगृह

प्रश्न 10. प्रसिद्ध तमिल महाकाव्य सिलप्पदिकारम की रचना की –

उत्तर- इलांगो नामक कवि ने

प्रश्न 11. प्रसिद्ध तमिल महाकाव्य सिलप्पदिकारम में किस की कहानी है ?

उत्तर- कोवलन नाम के एक व्यापारी की

प्रश्न 12. तमिल महाकाव्य , मणिमेखलई को करीब 1400 साल पहले लिखा गया –

उत्तर- सत्तनार द्वारा

प्रश्न 13. पुराण का शाब्दिक अर्थ है –

उत्तर- प्राचीन

प्रश्न 14. पुराणों और महाभारत दोनों को ही संकलित किया था –

उत्तर- व्यास नाम के ऋषि ने

प्रश्न 15. संस्कृत रामायण के लेखक माने जाते हैं –

उत्तर- वाल्मीकि

प्रश्न 16. संस्कृत में आर्यभट्टीयम नामक पुस्तक लिखी –

उत्तर- आर्यभट्ट ने

प्रश्न 17. कहाँ के निवासी शून्य का प्रयोग किए बगैर गिनती करते थे ?

उत्तर- रोम के

प्रश्न 18. आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान की एक विख्यात पद्धति है , जो विकसित हुई –

उत्तर- प्राचीन भारत में

प्रश्न 19. प्राचीन भारत में आयुर्वेद के दो प्रसिद्ध चिकित्सक थे –

उत्तर- चरक और सुश्रुत

प्रश्न 20. चरकसंहिता की रचना किसने की ?

उत्तर- चरक ने

प्रश्न 21. सुश्रुतसंहिता की रचना किसने की ?

उत्तर- सुश्रुत ने

प्रश्न 22. कागज का आविष्कार किसने किया ?

उत्तर- काई लून ने