बल तथा गति के नियम
बल तथा गति के नियम – वह बाह्य कारक ( धक्का या खिंचाव ) जो किसी पिंड के रूप व आकर या स्थिति में परिवर्तन कर सकता है , बल कहलाता है।
बल एक सदिश राशि है और इसका SI मात्रक न्यूटन तथा CGS मात्रक डाइन होता है।
1 न्यूटन = 1 किग्राम – मी / से 2
1 न्यूटन = 105 डाइन
बल का एक अन्य मात्रक किलोग्राम – भार भी है।
1 न्यूटन = (1 / 9.81) किग्राम – भार बल तथा गति के नियम
बल के प्रभाव
बल लगाने से किसी वस्तु के आकार या आयतन में परिवर्तन किया जा सकता है।
बल लगाने से किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन किया जा सकता है।
बल किसी वस्तु की गति की दिशा बदल सकती है। बल तथा गति के नियम
बल के प्रकार
संतुलित बल – यदि किसी वस्तु पर एक साथ दो या दो से अधिक बल कार्य कर रहे हो तथा बलों का परिणामी प्रभाव शून्य हो , तो वे बल संतुलित बल कहलाते हैं।
संतुलित बलों के प्रभाव में वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता है , परंतु वस्तु की आकृति बदल जाती है।
उदाहरण – यदि एक बक्से को दोनों और सामान बाल लगाकर परस्पर विपरीत दिशा में ले जाया जाता है , तब बक्से में कोई गति नहीं होती है। अतः बक्से पर लगा बल संतुलित बल कहलाता है। बल तथा गति के नियम
असंतुलित बल – यदि किसी वस्तु अथवा निकाय पर लगे हुए बलों का परिणामी बल शून्य नहीं है , तो वे बल असंतुलित बल कहलाते हैं।
असंतुलित बल द्वारा किसी स्थिर वस्तु को गति प्रदान की जा सकती है तथा किसी गतिमान वस्तु को रोका जा सकता है।
उदाहरण – रस्साकशी में यदि एक टीम दूसरी टीम से अधिक शक्तिशाली है , तो वह रस्से तथा कमजोर टीम दोनों को अपनी ओर खींच लेती है। इस दशा में रस्सें पर लगने वाला बाल असंतुलित बल है। बल तथा गति के नियम
न्यूटन के गति के नियम
गति का प्रथम नियम – गति के प्रथम नियम के अनुसार ” यदि कोई वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था में है , तो वह इस अवस्था में बनी रहती है , जब तक कि उस पर बाहर से कोई बाल न लगाया जाए। “
यह नियम जड़त्व का नियम या गैलीलियो का नियम भी कहलाता है। बल तथा गति के नियम
जड़त्व तथा द्रव्यमान
किसी वस्तु का वह गुण जो उसकी विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है , जड़त्व कहलाता है।
किसी वस्तु का जड़त्व उस वस्तु का प्राकृतिक गुण होता है।
किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप है। इसका SI मात्रक किलोग्राम है।
मात्रात्मक रूप से , किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान से मापा जाता है।
किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है , अतः जिस वस्तु का द्रव्यमान अधिक होगा , उसका जड़त्व भी अधिक होगा। बल तथा गति के नियम
जड़त्व के प्रकार
जड़त्व निम्नलिखित दो प्रकार का होता है –
विराम का जड़त्व – किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह वस्तु अपनी विराम की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है। विराम का जड़त्व कहलाता हैं।
गति का जड़त्व – किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह वस्तु अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है। गति का जड़त्व कहलाता हैं। बल तथा गति के नियम
गति के प्रथम नियम पर आधारित कुछ व्यावहारिक उदाहरण
1. बस अथवा कर का विराम अवस्था से अचानक गति में आने से यात्रियों का पीछे झुकाना।
2. कंबल को तेजी से झाड़ने पर धूल के कणों का अलग होना।
3. पेड़ की शाखा को जोर से हिलाने पर फलों और पत्तियों का झड़ना।
4. काँच की खिड़की पर बंदूक से दागी गई गोली द्वारा छोटा छिद्र बनाना । बल तथा गति के नियम
रेखीय संवेग
किसी गतिमान वस्तु के द्रव्यमान व वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं। इसे p से प्रदर्शित किया जाता है।
यदि m द्रव्यमान की कोई वस्तु v वेग से गतिमान है , तो वस्तु का संवेग
p = mv
संवेग एक सदिश राशि है अर्थात इसमें परिमाण व दिशा दोनों होते हैं।
संवेग की दिशा वही होती है जो वेग की दिशा होती है।
संवेग का SI मात्रक किलोग्राम – मीटर / सेकंड होता है।
चूँकि किसी असंतुलित बल के प्रयोग से वस्तु के वेग में परिवर्तन होता है , इसलिए यह कहा जा सकता है कि बल ही संवेग को भी परिवर्तित करता है।
वस्तु के संवेग में परिवर्तन लाने में लगने वाला बल उसकी उस समय दर पर निर्भर करता है , जिसमे कि संवेग में परिवर्तन होता है। बल तथा गति के नियम
गति का द्वितीय नियम – किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर वस्तु पर आरोपित असंतुलित बल के समानुपाती एवं बल की दिशा में होती है।
गति के द्वितीय नियम का गणितीय सूत्रण
माना कि m द्रव्यमान कि कोई वस्तु u प्रारंभिक वेग से सरल रेखा में चल रही है। t समय तक एक निश्चित बल F लगाने पर उस वस्तु का वेग v हो जाता है। तब इसका प्रारंभिक और अंतिम संवेग क्रमशः p1 = m u और p2 = m v होंगे।
संवेग में परिवर्तन ∝ p2 – p1
∝ mv – mu
∝ m × ( v – u )
संवेग में परिवर्तन की दर ∝ m × ( v – u ) / t
या लगाया गया बल , F ∝ m × ( v – u ) / t
F = k m × ( v – u )/t
F = k m a
जहाँ a = ( v – u ) / t = त्वरण
यदि , k = 1 तब , F = m a
अर्थात किसी वस्तु पर लगाया गया बल , वस्तु में उत्पन्न त्वरण तथा वस्तु के द्रव्यमान के गुणनफल के बराबर होगा।
बल का मात्रक kg m s-2 है , इसे न्यूटन भी कहते है , जिसे N द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
गति के द्वितीय नियम से हमे किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने की विधि मिलती है।
बल को उस वस्तु में उत्पन्न त्वरण तथा वस्तु के द्रव्यमान के गुणनफल से प्राप्त किया जाता है। बल तथा गति के नियम
न्यूटन के द्वितीय नियम से न्यूटन के प्रथम नियम का निगमन
हम जानते है , F = m a
या F = m ( v – u ) / t
या F t = m v – m u
अर्थात जब F = 0 , तो किसी भी समय t पर , v = u इसका अर्थ यह है कि वस्तु समान वेग u से चलती रहेगी।
यदि u शून्य है तो v भी शून्य होगा अर्थात वस्तु विरामावस्था में ही रहेगी। बल तथा गति के नियम
न्यूटन के द्वितीय नियम के निष्कर्ष
किसी नियत द्रव्यमान की वस्तु में उत्पन्न त्वरण , आरोपित बल के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात a ∝ F
अतः त्वरण और बाल के मध्य खींचा गया आरेख एक सरल रेखा प्राप्त होता है।
यदि पिंड पर आरोपित बल का परिमाण नियत है , तो पिंड की गति में उत्पन्न त्वरण , द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है। a ∝ 1 / m
अतः त्वरण और वास्तु के द्रव्यमान के मध्य खींचा गया आरेख अतिपरवलय प्राप्त होता है। बल तथा गति के नियम
गति के द्वितीय नियम पर आधारित कुछ व्यावहारिक उदाहरण
1. क्रिकेट में गेंद को कैच लेते समय खिलाड़ी का अपने हाथ को पीछे की ओर खींच लेना।
2. ऊंची कूद के खिलाड़ी का स्पंज के गद्दे पर गिरना।
3. कराटे के खेल में खिलाडी द्वारा टाइलों के समूह को एक ही बार में तोडना। बल तथा गति के नियम
बल का आवेग
यदि कोई बल , अत्यन्त कम समय के लिए किसी पिंड पर लगता है , तो बल और समयांतराल का गुणनफल बाल का आवेग कहलाता है।
इस I से प्रदर्शित करते हैं। आवेग एक सदिश राशि है।
आवेग की दिशा बाल की दिशा होती है।
आवेग का मात्रक न्यूटन * सेकंड अथवा किग्रा – मीटर / सेकंड होता है।
यदि कोई बल ( F ) , अल्प समय ( t ) में किसी वस्तु पर कार्यरत है , तो आवेग I = बल * समयान्तराल
संवेग – परिवर्तन की दर , आवेग कहलाती है।
आवेग = संवेग – परिवर्तन बल तथा गति के नियम
गति का तृतीय नियम
इस नियम के अनुसार , जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है।
ये दोनों बल परिणाम में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते है।
इसका तात्पर्य यह है कि बल सदैव युगल रूप में होते है।
माना A व B दो पिंड एक – दूसरे पर बल आरोपित कर रहे है , तब इस नियम के अनुसार ,
A पिंड द्वारा B पिंड पर आरोपित बल = B पिंड द्वारा A पिंड पर विपरीत दिशा में बल
FAB = – FBA
ये बल कभी एक वस्तु पर कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग – अलग वस्तुओं पर कार्य करते है।
गति के तृतीय नियम को इस प्रकार भी व्यक्त किया जाता है : किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके समान किन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
यधपि यह अवश्य याद रखना चाहिए कि क्रिया और प्रतिक्रिया बल सदैव दो अलग – अलग वस्तुओं पर कार्य करते है। बल तथा गति के नियम
गति के तृतीय नियम पर आधारित कुछ व्यावहारिक उदाहरण
1. बंदूक से गोली चलाने पर बंदूक का पीछे हटना।
2. भूमि पर चलते समय पैरों को पीछे की ओर धकेलना।
3. तैरते समय पानी को पीछे की ओर धकेलना। बल तथा गति के नियम
संवेग संरक्षण का सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार , “यदि वस्तुओं के निकाय पर बाह्य बल आरोपित न हो , तो संयुक्त निकाय का कुल संवेग सदैव संरक्षित रहता है। “
इससे स्पष्ट है कि एक पिंड में जितना संवेग परिवर्तन होता है , दूसरे पिंड में भी उतना ही संवेग परिवर्तन विपरीत दिशा में होता है।
अर्थात यदि , Fबाह्य = 0 तो निकाय का कुल संवेग नियत होगा।
यदि m1 व m2 द्रव्यमान के दो पिंड u1 व u2 वेग से गतिमान है तथा आपस में टकराने के पश्चात उनके वेग v1 व v2 हो जाते हैं , तो
टक्कर से पूर्व कुल संवेग , p1 = m1 u1 + m2 u2
टक्कर के पश्चात कुल संवेग , p2 = m1 v1 + m2 v2
दोनों पिंडों के टकराने की स्थिति में कोई भी बाह्य बल विद्यमान नहीं है , अतः संवेग संरक्षण के नियम अनुसार , दोनों पिंडों का ( निकाय का ) कुल संवेग संरक्षित अर्थात नियत रहेगा।
अतः टक्कर से पहले कुल संवेग = टक्कर के बाद कुल संवेग
m1 u1 + m2 u2 = m1 v1 + m2 v2 बल तथा गति के नियम
संवेग संरक्षण पर आधारित कुछ व्यावहारिक उदाहरण
1. नाव से किनारे पर कूदने पर नाव का पीछे हट जाना।
2. रॉकेट में जब दहन कक्ष में ईंधन जलने पर गैसें तीव्र से बाहर निकलती है , तो रॉकेट ऊपर की ओर प्रक्षेपित हो जाता है। बल तथा गति के नियम
MCQ
प्रश्न 1. वह बाह्य कारक जो किसी पिंड के रूप व आकर या स्थिति में परिवर्तन कर सकता है , कहलाता है –
उत्तर- बल
प्रश्न 2. बल एक राशि है –
उत्तर- सदिश
प्रश्न 3. बल का SI मात्रक होता है –
उत्तर- न्यूटन
प्रश्न 4. यदि किसी वस्तु पर एक साथ दो या दो से अधिक बल कार्य कर रहे हो तथा बलों का परिणामी प्रभाव शून्य हो , तो वे बल कहलाते हैं –
उत्तर- संतुलित बल
प्रश्न 5. यदि किसी वस्तु अथवा निकाय पर लगे हुए बलों का परिणामी बल शून्य नहीं है , तो वे बल कहलाते हैं –
उत्तर- असंतुलित बल
प्रश्न 6. किसी वस्तु का वह गुण जो उसकी विराम या गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करता है , कहलाता है –
उत्तर- जड़त्व
प्रश्न 7. किसी वस्तु का जड़त्व उस वस्तु का होता है –
उत्तर- प्राकृतिक गुण
प्रश्न 8. किसी वस्तु का द्रव्यमान माप है –
उत्तर- उसके जड़त्व की
प्रश्न 9. मात्रात्मक रूप से , किसी वस्तु का जड़त्व मापा जाता है –
उत्तर- उसके द्रव्यमान से
प्रश्न 10. किसी वस्तु का जड़त्व उसके द्रव्यमान के होता है –
उत्तर- अनुक्रमानुपाती
प्रश्न 11. किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह वस्तु अपनी विराम की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है, कहलाता हैं –
उत्तर- विराम का जड़त्व
प्रश्न 12. किसी वस्तु का वह गुण जिसके कारण वह वस्तु अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती है, कहलाता हैं –
उत्तर- गति का जड़त्व
प्रश्न 13. किसी गतिमान वस्तु के द्रव्यमान व वेग के गुणनफल को कहते हैं –
उत्तर- संवेग
प्रश्न 14. संवेग की दिशा वही होती है जो दिशा होती है –
उत्तर- वेग की
प्रश्न 15. संवेग का SI मात्रक होता है –
उत्तर- किलोग्राम – मीटर / सेकंड
प्रश्न 16. हमे किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने की विधि मिलती है –
उत्तर- गति के द्वितीय नियम से
प्रश्न 17. किसी नियत द्रव्यमान की वस्तु में उत्पन्न त्वरण , आरोपित बल के होता है –
उत्तर- अनुक्रमानुपाती
प्रश्न 18. यदि कोई बल , अत्यन्त कम समय के लिए किसी पिंड पर लगता है , तो बल और समयांतराल का गुणनफल कहलाता है –
उत्तर- बाल का आवेग
प्रश्न 19. आवेग की दिशा होती है –
उत्तर- बाल की दिशा
प्रश्न 20. यदि वस्तुओं के निकाय पर बाह्य बल आरोपित न हो , तो संयुक्त निकाय का कुल संवेग सदैव संरक्षित रहता है –
उत्तर- संवेग संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार
प्रश्न 21. गति के किस नियम के अनुसार , “किसी भी क्रिया के लिए ठीक उसके समान किन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है ” –
उत्तर- तृतीय नियम